Posted on 08 Sep, 2015 11:41 AM1. सिंध तट वासियों से, हिन्द के निवासियों से, कवि का निवेदन है, पानी को बचाइये। पास के कुँओं से, बावड़ियों से निकाल नीर, पानी पियो, पर व्यर्थ पानी ना बहाइये।। बादलों की आरती उतारिये लगा के पेड़, धरती माता को हरी चूनरी उढ़ाईये। नदी में न गन्दगी बहाइये, ओ मेरे भाई, ‘अनुरागी’ बन मान नदी का बढ़ाईये।।
Posted on 08 Sep, 2015 09:20 AMजल धरती पर अमृत है इसका पूरा सम्मान करो। जल की एक बूँद का भी तुम कभी नहीं अपमान करो। कितना भी हो हरा भरा जीवन गुलाब सा खिल जाये। जीवन की सारी शोभा सुगंध भी तुमको मिल जाये।।
चमक दमक वैभव की पाकर वैभव में ही नहीं फूलो। बरसाती मौसम में भी जल की कीमत को नहीं भूलो।। जल का वह उपयोग करो गंदा नाला नहीं बन जाये। जल जीवन का प्राण -स्रोत है कभी नहीं यह तरसाये।।