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परियोजना आधारित परियोजनाओं का ब्यौरा
Posted on 30 Sep, 2008 12:15 PM प्रदूषण के संदर्भ में मछली/सीप विविधता

परिकल्पना:
कम प्रदूषण स्तर वाले पानी में मछली की प्रजातियों की विविधता कहीं अधिक होती है।
कारण:
किसी खास क्षेत्र में जीवों के विशेष समुदाय मसलन पौधे, मछली या सरिसृप की विविधता का स्तर किन बातों पर निर्भर करता है इस पर कई परिकल्पनाएं हैं। विविधता के उच्च स्तर के लिए पर्यावरण अधिक उत्पादक और स्थिर होना चाहिए। इसी तरह ऐसे पर्यावरण जहां लंबे समय तक समुदायों का उद्भव हुआ हो, वहां भी विविधता का उच्च स्तर होने की उम्मीद की जाती है।
तुलनात्मक और प्रयोगशील दृष्टिकोण
Posted on 30 Sep, 2008 09:26 AM किसी भी वैज्ञानिक परिकल्पना की कई स्थितियों में जांच की ज़रूरत होती है। इस तरह की विभिन्नताएं मानवीय प्रबंधन से सृजित की जा सकती हैं जो प्रयोगशील तरीका है। या प्राकृतिक विभिन्नताओं का फायदा उठाया जाए जो तुलनात्मक विधि है। सामान्य प्रणालियों पर आधारित परिकल्पनाओं की जांच कई बार प्रयोगात्मक रूप से की जा सकती है। इस तरह की सामान्य परिकल्पनाएं किसी बड़ी खोज की ओर ले जा सकती हैं। किसी भी परिकल्पना की प
परिकल्पना-निष्कर्ष विधि
Posted on 30 Sep, 2008 09:21 AM “परिकल्पना-निष्कर्ष” विधि सभी वैज्ञानिक गतिविधियों का मूल प्रस्थान बिंदु है। वैज्ञानिक प्रगति प्रयोग योग्य परिकल्पनाओं के निर्धारण से ही विज्ञान की प्रगति होती है। दूसरे शब्दों में हर वैज्ञानिक परिकल्पना एक बयान पर आधारित होती है जिसकी प्रयोगों के आधार पर पुष्टि या खंडन किया जाता है। अगर उसे स्वीकार किया जाता है तो वह उन स्थितियों को वैध ठहराती है जिनके आधार पर वह परिकल्पना की गई होती है। स्वीकार
वेबसाइट के शैक्षिक हिस्से के लिए सुझाव
Posted on 30 Sep, 2008 09:17 AM “यह कितना विचित्र है कि लोग यह नहीं समझते कि महत्व का हर पर्यवेक्षण, किसी विचार के पक्ष या विपक्ष में होता है।”
चार्ल्स डार्विन, 1861
पानी या जैव विविधता की वेबसाइटों के शैक्षिक खंड में छात्रों के लिए कुछ दिलचस्प परिकल्पनाओं को ख़ास तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। दरअसल पर्यावरण के बारे में जागरुकता दुनिया के सीधे संपर्क में रह कर प्रकृति को समझने से आ सकती है।
पानी उठाने के लिए उचित स्थानो पर हाइड्रम की स्थापना
Posted on 23 Sep, 2008 11:01 AM हाइड्रालिक रैम एक स्वचालित पानी उठाने का यन्त है जो कि विश्व मे कई वर्षों से प्रयोग हो रहा है भारत वर्ष के पहाड़ी इलाको मे पानी उठाने के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। पहाड़ी इलाको मे विघुत एवं डीजल से चलने वाले पानी उठाने के यन्त्रो की मरम्मत व चलाने की लागत अधिक होने के कारण सफल नही हो सकते है। उत्तराखन्ड की पहाड़ियो मे सिचाई के लिए पानी उठाने के लिए हाइड्रम एक दूसरा विकल्प है। उत्तराखन्ड के पहाड़ी स्थ
अपकेन्द्रीय पम्पों का प्रचालन सिद्धान्त
Posted on 23 Sep, 2008 10:56 AM अगर एक बाल्टी को एक हाथ की लम्बाई पर घुमाये तो यह क्रिया उसमें भरे जल पर इतना दाब उत्पन्न कर देगी कि उसके तल में लगी टोंटी से पानी की एक धार निकलने लगेगी। एक अपकेन्द्रीय पम्प में आंतरनोदकों पर लगे वेन (vane) हाथ और रस्सी के समान ही कार्य करते हैं। पम्प का बाल्यूट बाल्टी की तरह पानी रखता है। दोनों मामलों के सिद्धान्त एक समान हैं। जैसे आतरनोदक घूमता है यह पानी को बाहरी किनारों की ओर फेंकता है। वाल्य
यॉंत्रिक शक्ति चालित उपकरण
Posted on 23 Sep, 2008 10:50 AM

यॉंत्रिक शक्ति चालित उपकरणों में विभिन्न प्रकार के पम्प आते हैं। पम्पों के प्रचालन में लगने वाले यांत्रिक सिद्धान्तों के आधार पर उनको निम्नलिखित वर्गो में बाटा जाता हैः

1- घूणी पम्प (Rotary pump)

2- ऊर्ध्वाधर टरबाइन पम्प (Vertical turbine pump)
3- निमज्जक पम्प (Submersible pump)
4- नोदक पम्प (Propeller pump)

Tube well
पानी उठाने के उपकरण
Posted on 23 Sep, 2008 10:28 AM

जब पानी खेत से निचली जगह पर उपलब्ध होता है, तो उसे खेत के तल तक उठाने के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरण प्रयुक्त किये जाते हैं। शक्ति स्रोत के आधार पर पानी उठाने वाले उपकरणों को मानव शक्ति चालित, पशु शक्ति चालित और यांत्रिक शक्ति चालित में विभाजित किया जा सकता है। नदी, भूजल और कुओं से पानी उठाने के लिये प्रयोग किये जाने वाले उपकरणो को विस्तार मे नीचे दिया गया है।

rehat
नदी मुख अथवा लघु खाड़ियों की खोज
Posted on 21 Sep, 2008 08:06 PM

नदीमुख वे स्‍थान होते हैं जहां ताजे पानी की नदियां और धाराएं समुद्र के पानी से मिलती हुई महासागरों में गिरती हैं। विभिन्‍न प्रकार के पक्षी, मछली तथा अन्‍य वन्‍य जातियां इन नदी मुखों को अपना आवास बनाती हैं। इन नदी मुखों तथा इसके आसपास की भूमि पर जनता निवास करती है, मछलियां पकड़ती हैं, तैरती है और प्रकृति का आनंद उठाती है।

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पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के नजरिए से विश्लेषण
पाठ्यपुस्तकों से अपेक्षा है कि ज्ञान को स्थानीय व वैश्विक पर्यावरण के संदर्भ में रखें ताकि विज्ञान, तकनीक व समाज के पारस्परिक संवाद के क्रम में मुद्दों को समझा जा सके। जब इस वैधता पर हम पुस्तकों को देखते हैं तो इनमें स्वच्छता, शौचालय, कचरा प्रबंधन आदि पर विस्तार से बात की गई है जिससे यह उम्मीद दिखती है कि इन मुद्दों पर समाज में संवाद कायम होगा और बदलाव भी आ सकेगा। लेकिन इनके महत्त्व को स्थापित करने हेतु उचित तर्क चुने जाने चाहिए थे। Posted on 14 Nov, 2023 02:55 PM

भारत में स्कूली शिक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण पद्धतियों को बनाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 दस्तावेज एक खाका प्रदान करता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार, शिक्षा के उद्देश्य हमारे संवैधानिक मूल्यों के आधार पर तय किए गए हैं (एनसीएफ 2005, अध्याय-1, पृ.

पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें
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