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उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) और ‘नौला फ़ाउंडेशन’ के संयुक्त तत्वावधान में परंपरागत पहाड़ी जल स्रोतों, नौले-धारों के संरक्षण एवं संवर्धन पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। ‘नौला-धारों का विज्ञान’ विषय पर आयोजित वेबिनार में लोगों ने पहाड़ के लोगों के जीवनरेखा नौले-धारों को पुनर्जीवित करने को जरूरी बताया। 10 मई 2020 को हुए आयोजन में देश भर के हिमालयी स्प्रिंग्स के जानकार
प्रस्तावना
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जल प्रकृति का अनुपम उपहार है। मान्यता है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति जल से ही हुई। जीवनदाता जल की मानव ही नहीं अपितु समस्त जीव-जंतु, वनस्पतियों के लिये कितनी अधिक उपयोगिता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है, तभी तो कहते हैं- "जल ही जीवन है"। जल के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती, जल और जीवन का अटूट सम्बन्ध है। जल तत्व वाष्प और बादल के रूप में आकाश में विद्यमान रहता है, वे बादल बरसकर पृथ्व
हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र में इस वर्ष हिमपात में अभूतपूर्व कमी आने से जल संकट की संभावना और भी मजबूत हो गई है। हाल ही में प्रकाशित एक शोधपत्र में वैज्ञानिकों ने इस पर गंभीर चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हिमालय पर हिमपात की मात्रा में कमी के कारण, पहाड़ों के नीचे बसे समुदायों को पेयजल की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है। 'नेपाल स्थित ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय
रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून पानी गये न ऊबरे, मानुष मोती चून ।।
हाल ही में एक शोध में पर्वतीय क्षेत्र में पानी की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त की गई है। हिंदू-कुश क्षेत्र (यह चार देशों-भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में विस्तारित है) में किये गए इस अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र के 8 शहरों में पानी की उपलब्धता आवश्यकता के मुकाबले 20-70% ही थी। रिपोर्ट के अनुसार, मसूरी, देवप्रयाग, सिंगतम, कलिमपॉन्ग और दार्जलिंग जैसे शहर जलसंकट से जूझ रहे हैं। प्राकृ
पेयजल के भरोसेमंद स्रोत नौला मनुष्य द्वारा विशेष प्रकार के सूक्ष्म छिद्र युक्त पत्थर से निर्मित एक सीढ़ीदार जल भण्डार है, जिसके तल में एक चौकोर पत्थर के ऊपर सीढ़ियों की श्रृंखला जमीन की सतह तक लाई जाती है। सामान्यतः तल पर कुंड की लम्बाई- चौड़ाई 5 से 8 इंच तक होती है, और ऊपर तक लम्बाई-चौड़ाई बढ़ती हुई 4 से 8 फीट (लगभग वर्गाकार) हो जाती है। नौले की कुल गहराई स्रोत पर निर्भर करती है। आम तौर पर गहर