नौले-धारे

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June 21, 2022 While springs in Kashmir have still retained their good quality and have a great potential to be used for drinking water, threats to them are growing. Their protection and sustainable management is crucial.
Verinag spring in Anantanag district of Kashmir (Image Source: Wikimedia Commons)
March 21, 2022 Recognizing women's accumulated knowledge and adaptive capacities in springshed management
Van Panchayat Samiti discussing the matters related to forest (Image: Varun Raja)
February 3, 2022 Shailendra Patel, a passionate water warrior from Pune, is on a mission to save a live spring in the city. It is important that he is heard and action taken!
Shailendra Patel, near the Bavdhan spring, Pune (Image Source: Tushar Sarode)
May 21, 2021 The water woes of Darjeeling continue to grow with unreliable public water supply and highly elastic private water markets. Is there a way out?
Darjeeling, in the grip of a water crisis (Image Source: Bernard Gagnon via Wikimedia Commons)
January 18, 2021 Multilateral action needed for a green post-COVID-19 recovery.
A living root bridge, a type of simple suspension bridge formed of living plant roots by tree shaping in village Nongriat, Meghalaya (Image: Wikimedia Commons)
October 1, 2019 Deconstructing the traditional narrow engineering based policy discourses around floods and droughts and connecting them to social and cultural realities is the need of the hour in India.
Water talk Series at Mumbai (Image Source:Tata Insitute of Social Sciences)
नौला-धारों के पुनर्जीवन से ही टलेगा पहाड़ी लोगों का जलसंकट
Posted on 11 May, 2020 01:37 PM

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) और ‘नौला फ़ाउंडेशन’ के संयुक्त तत्वावधान में परंपरागत पहाड़ी जल स्रोतों, नौले-धारों के संरक्षण एवं संवर्धन पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। ‘नौला-धारों का विज्ञान’ विषय पर आयोजित वेबिनार में लोगों ने पहाड़ के लोगों के जीवनरेखा नौले-धारों को पुनर्जीवित करने को जरूरी बताया। 10 मई 2020 को हुए आयोजन में देश भर के हिमालयी स्प्रिंग्स के जानकार

नौलों-धारों के विज्ञान पर कार्यशाला का आयोजन
पिथौरागढ़ के नौले-धारे
Posted on 21 Jul, 2017 09:55 AM
गाड़ गधेरे, नौले, धारे के बारे में सबने सुना होगा, धीरे-धीरे सब खत्म या कम होते जा रहे हैं लेकिन पहले ऐसा नहीं था, पहले इन नौलों गाड़ों गधेरों में कई बच्चों ने अपने पहले प्यार, पहली तैराकी और पहली ट्रेकिंग की ट्रेनिंग ली थी।
सूखती जल धाराओं पर गहरी चिन्ता : पुनर्जीवन के लिये कार्ययोजना
Posted on 22 Dec, 2015 11:16 AM
पिघलते गलेशियर और व्यावसायिक वनों के कटान सहित बढ़ते प्रदूषण
नौले-धारों और नदियों को 'सारा' से मिलेगा नया जीवन
वर्षा जल संरक्षण के लिए राज्य में सभी नौले, धारे और नदियों का मानचित्र बनाकर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। नदियों की शुरुआत से अंत तक के पानी को संग्रहित करने के उपायों में हजारों चेकडैम और जल संरक्षण के पौधे शामिल होंगे Posted on 31 Oct, 2023 02:49 PM

केंद्र सरकार ने ‘कैच द रेन कार्यक्रम’ के जरिए जलस्रोतों को सुधारने का प्रयास किया है। इसी प्रकार, उत्तराखंड में भी धामी सरकार वर्षा के पानी को संचय करके नौले-धारे और नदियों को संरक्षित और संवारने का प्रोजेक्ट आरंभ करने की योजना बना रही है। सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में, स्प्रिंग एंड रिवर रिज्यूविनेशन अथॉरिटी (सारा) की स्थापना को मंजूरी मिली, जो जलागम निदेशालय के तहत सोसायटी के रूप में पंजीकृ

नौले-धारे और नदियाँ
हिमालय में सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोत
उत्तराखंड में लगभग 461 झरनों का पानी जिसे स्थानीय भाषा में "गदेरा" कहा जाता है। वह  वर्ष  2018 और 2019 के बीच कम से कम 10% तक सूख चुके है। Posted on 14 Mar, 2023 12:10 PM

हिमालय अपने जल संसाधनों, वन विविधता, अद्वितीय वन्य जीवन, समृद्ध संस्कृति और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के लिए प्रसिद्ध रहा है। विभिन्न बारहमासी नदियों का निवास स्थान होने के कारण हिमालय को एशिया का जल मीनार माना जाता है। गंगा और यमुना देश की दो सबसे पवित्र नदियाँ हैं इन प्रमुख नदियों  के स्रोत गढ़वाल हिमालय (उत्तराखंड) में हैं और इस क्षेत्र को बहुत प्राचीन काल से तीर्थ यात्रा का केंद्र बनाते हैं। इ

हिमालय में सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोत, PC(Twitter-Anoop Nautiyal)
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 500 साल पुराना जलाशय राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ
भारत के पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा की मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली स्यूनराकोट के नौला-धारा को राष्ट्रीय प्राचीन स्मारक घोषित किया गया है। Posted on 15 Feb, 2023 10:13 AM

भारत के छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा की मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली स्यूनराकोट  के  नौला-धारा (स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले जलभृत) को राष्ट्रीय प्राचीन स्मारक घोषित किया गया है। इस मौके पर  एएसआई देहरादून सर्कल हेड मनोज कुमार सक्सेना ने कहा, "केंद्र सरकार ने हाल ही में स्यूनराकोट नौला को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित कर अधिसूचना जारी की थी। अब भारतीय पुरात

500 साल पुराना जलाशय,(PC:-Toi)
एनजीटी ने मसूरी झील के व्यावसायिक प्रयोग पर लगाई रोक
एनजीटी ने मसूरी झील के पानी के व्यावसायिक प्रयोग पर रोक लगा दी है साथ ही समिति को दो महीने के अंदर एक विस्तृतअनुपालन रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया है और अगली सुनवाई 3 अप्रैल को तय की गई है। Posted on 08 Feb, 2023 12:22 PM

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने होटलों द्वारा मसूरी झील से अवैध रूप से पानी निकालने पर नाराजगी जताई है और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट को टैंकरों के माध्यम से व्यावसायिक उपयोग के लिए झील के पानी की आपूर्ति बंद करने का आदेश दिया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले झील से पानी की अनियमित निकासी के प्रतिकूल प्रभाव का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया था क्योंकि माना जा रहा

मसूरी झील, (PC- holidify)
द्वाराहाट, अल्मोड़ा में पानी बोओ, पानी उगाओ
Posted on 12 Nov, 2022 01:02 PM

‘पानी बोओ अभियान’ अल्मोड़ा, उत्तराखंड की प्रस्तावना

पहले गांव के नजदीक के स्रोत से पानी नल के माध्यम से लाया गया। वह सूख गया तो पास के गाड-गधेरों से नल में लाया गया। उसमें पानी कम हुआ तो पाप की बड़ी नदी से पानी लाया गया। उम्ममें भी कम हुआ तो पिंडर व अलकनंद से पानी लाने की आवाज उठ रही हैं। आखिर कब तक नदियों से पानी मिलता रहेगा?

चाल-खाल की एक तस्वीर, फोटो साभार - मोहन चन्द्र कांडपाल
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