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बेहद शर्मीली प्रवृति का जीव पैंगोलिन भोजन के रूप में अमूमन दीमक अथवा चीटिंयों को अपना निवाला बनाता है। इस जीव की
बीते दिनों उत्तराखंड के कार्बेट क्षेत्र में तुमड़िया बांध के पास बीन गुज विचरण करते पाए गए। उत्तराखंड में पहली ब
जल, वनस्पति और झील को आवास, आहार और प्रजनन का स्थल बनाने वाले जीव-जंतुओं पर शोध की तैयारी की जा रही है। यह शोध आर्द्रभूमि शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र करेगा। इसके तहत झील में अध्ययन बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के साथ मिलकर किया जाएगा। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में सीआईएफआरआई के साथ विश्व बैंक के सहयोग से चल रहे एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना के तहत मछली पारिस्थितिकी और विभिन्न तथ्यों के बारे में अध्ययन किया जाएगा। आधुनिक विकास झीलों, तालाबों और नदियों के लिए प्रदूषण का ऐसा कारण बन गया है, जिससे इंसान तो इंसान पक्षी भी हैरान-परेशान हैं।
देश में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ की आंच अब परिंदों तक जा पहुँची है। पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़ने की वजह से पक्षियों के जीवनचक्र पर विपरीत असर पड़ रहा है। यही वजह है कि विश्व प्रसिद्ध घना पक्षी-अभ्यारण्य के अलावा दूसरे अभ्यारण्यों की मनोरम झीलों पर जो परिंदे हर साल हजारों की संख्या में डेरा डाला करते थे, वे इस साल नदारद हैं। मेहमान पक्षी तो हजारों किलोमीटर की यात्रा कर देश की उथली झीलों, तालाबों, दलदलों और नदियों के किनारों पर चार महीने बसेरा किया करते थे। उनकी संख्या में काफी कमी आई है। बदलती आबोहवा की वजह से कई परंपरागत आवास स्थलों पर इन प्रवासी पक्षियों ने शगुन के लिए भी पड़ाव नहीं डाला। यह स्थिति पर्यावरणविदों के लिए तो चिंताजनक है ही, पर्यटन व्यवसाय की नजर से भी गंभीर चेतावनी है। राजस्थान में भरतपुर का केवलादेव घना राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण्य देश में एक ऐसा मनोरम स्थल था, जहां प्रवासी पक्षियों का सबसे ज्यादा जमावड़ा होता था।हमें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन नेचर (आईयूसीएन) का एहसानमंद होना चाहिए जिसने अपनी रेड लिस्ट के जरिये बताया है कि हमारे यहां पक्षियों की 1,228 में से करीब 82 प्रजातियां खत्म हो गई है और अनेक खत्म होने के कगार पर हैं। पक्षी संरक्षण के नाम पर डाक विभाग ने कुछ समय पहले पक्षी दिवस के मौके पर गौरैया पर डाक टिकट जारी कर रस्म निभायी। उत्तर प्रदेश में सारसों की गिनती के बाद अब वहां गिद्ध की गणना करा
मेरे विचार से साइंस के कारण जो गड़बड़ियां देश में हुई हैं, उनमें यह सबसे बड़ी है। अब वक्त आ चुक