Posted on 01 Jan, 2016 02:30 PM सन् 1929 से पहले कावेरी नदी के ऊपर जो नया बाँध बनाया गया है उसकी खुदाई में टीपू सुल्तान के समय का फारसी अक्षरों में खुदा एक शिलालेख मिला। 1797 ई. में टीपू सुल्तान ने इसी जगह बाँध की बुनियाद रखते समय यह शिलालेख लगवाया था। यह शिलालेख हमारे पुराने जल प्रबन्धन की एक झलक दिखाता है।
Posted on 29 Dec, 2015 03:50 PM अनुपम सौगात है वर्षाजल जो बरसकर दौड़ रहा द्रुत गति से उसे किसी भाँति अंकुश लगा चलना सिखा दें। जहाँ पानी चल रहा हो उसे प्रयास कर धीमी गति से रेंगना सिखा दें। और जहाँ देखें रेंगता हुआ उसे घेर-पकड़ कर धरती मैया की कोख में पहुँचा दें। ताकि जरूरत पड़ने पर निकाल सके जल संचित यही है जल संरक्षण का बेमिसाल उपाय।
Posted on 29 Dec, 2015 03:42 PM जल पर जीवन निर्भर करता, जल नहीं तो मन है डरता। है आधार यह कई काम का, निपटाता काम यह सुबह-शाम का। कपड़े धोना, नहाना, पीना, इससे तर रहता है सीना। इस पर टिकी हुई है खेती, जल से धरती फसल है देती। पैदा नहीं होता जब पड़ता सूखा, मानव तब रहता है भूखा। जल संचय से होता मंगल, हरे-भरे रहते हैं जंगल। पैदा होते हैं फल-फूल,
Posted on 29 Dec, 2015 03:01 PM कभी-कभी जाते थे जिसे मिलने, वही तापी आ गई सबके घर रहने। बनी चण्डिका, जल की ले चाबुक। देखते ही झील बन गया सारा शहर, प्रलय सा मच गया बाढ़ का कहर। मानो सूरत ने ले ली हो जल समाधि, कहीं घर पूरे डूबे, कहीं छत आधी। गली, घर, दफ्तर, हो या हो पाठशाला, अस्पताल, दुकान का हो पहला माला, सारी जमीन पानी में थी गर्क, मिट गया ऊँच-नीच का फर्क।
Posted on 22 Dec, 2015 02:36 PM नमस्कार दोस्तों, मैं तुम्हारा मित्र पानी हूँ,
मैं जहाँ हूँ, वहाँ जीवन है, खुशहाली है, हरियाली है, मैं तुम्हारे हर काम में भागीदार हूँ-चाहे वे छोटे-छोटे काम हों या बड़े-बड़े “डाम” तुम्हारी रसोई से लेकर, टाॅयलेट व स्नानागार तक, सफाई-धुलाई से लेकर, खेत-खलिहान तक, रेलगाड़ी से लेकर, हवाई-जहाज तक, हेयर सैलून से लेकर, कल-कारखानों तक
Posted on 05 Dec, 2015 08:43 AM (70 के दशक में टिहरी में जिस नौजवान पीढ़ी की धूम थी और जिन्हें शहर का हर छोटा-बड़ा व्यक्ति बखूबी जानता-पहचानता था, उनमें से एक हैं राकेश थपलियाल। लब्ध-प्रतिष्ठित शिक्षक आदरणीय राम प्रसाद थपलियाल जी के ज्येष्ठ पुत्र राकेश काफी लम्बे समय से महाराष्ट्र में हिन्दुस्तान इन्सैक्टिसाइट में हिन्दी अधिकारी के पद पर तैनात हैं प्रस्तुत आलेख उनका संस्मरण है, जिसमें उस दौर की टिहरी, वहाँ की आबो-हवा, स