Posted on 25 Sep, 2015 03:31 PM परिशिष्ट - II छोटे व गोल पत्थरों की दीवाल काफी अस्थिर होती है और भूकम्प में तुरन्त ध्वस्त हो जाती है। ऐसे इलाकों में जहाँ छोटे व गोल पत्थर ही मिलते हों वहाँ काँक्रीट के ब्लाॅक बनाए जा सकते हैं।
यह थोड़ा महंगा जरूर होता है परन्तु पत्थर की तुलना में इसके निम्न फायदे भी हैंः
Posted on 25 Sep, 2015 03:04 PM परिशिष्ट - I मकान बनाने के लिए मिट्टी एक ऐसा साधन है जो देश के हर कोने में उपलब्ध है और जिसे ग्रामीण लोग सदियों से इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यह मकान बनाने का एक सस्ता और आसान साधन है।
कुर्सी की पट्टी डालने के पश्चात अब दीवाल खड़ी करनी है। पर इससे पहले दरवाजों की चौखटों को अपनी जगह पर सुतली की मदद से खड़ा करना होगा। इसके लिए 6x3 फिट की चौखट तैयार करें। यह ध्यान रहे कि चौखट में होल्ड फास्ट जरूर लगा हो। इससे चौखट दीवाल के साथ अच्छी तरह पकड़ बनाता है। खिड़की की चौखट में भी होल्ड फास्ट जरूर लगाएँ।
Posted on 22 Sep, 2015 04:01 PM निर्माण किए जाने वाले मकान की बुनियाद 2 फिट चौड़ी होगी। ईंट या काँक्रीट-ब्लाॅक के लिए बुनियाद 1.5 फिट चौड़ी ठीक रहेगी। बुनियाद की गहराई कम से कम 1.5 फिट होनी चाहिए। यदि मिट्टी नरम है तो गहराई 2 या 2.5 फिट हो सकती है, परन्तु इसे 3 फिट से ज्यादा गहरी न करें। यदि 3 फिट की गहराई पर भी मिट्टी नरम ही मिले तो बुनियाद को ज्यादा गहरा खोदने के बजाए उसे अधिक चौड़ा करना ज्यादा उचित होगा। ऐसा करने पर बल
Posted on 22 Sep, 2015 03:07 PM उचित स्थान का चुनाव करना बहुत ही जरूरी है। इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देना अति आवश्यक है : 1. मकान किसी पहाड़ की चोटी पर न बनायें ऐसी जगहों पर भूकम्प का कम्पन ज्यादा होता है।
2. भूकम्प में कम ढाल वाली जगह या फिर लगभग समतल स्थान पर बने मकान ज्यादा स्थिर व सुरक्षित रहते हैं।
Posted on 22 Sep, 2015 02:45 PM भारत के कई हिस्से, विशेष रूप से हिमालय के पर्वतीय इलाके, भूकम्पग्रस्त क्षेत्र हैं। अनेक भूकम्पों का यह अनुभव है कि लगभग सभी मौतें मकानों के गिरने से होती है।