मध्य प्रदेश

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बरगी बांध की डूब में डूबते-उतराते सवाल
Posted on 17 Feb, 2011 11:42 AM


साथियों, 2010 का साल बड़े बाँधों की 50वीं बरसी का साल था। यह 50वां साल हमें समीक्षा का अवसर देता है कि हम यह तय कर सकें कि यह नव-विकास क्या सचमुच अपने साथ विकास को लेकर आ रहा है या इस तरह के विकास के साथ विनाश के आने की खबरें ज्यादा है। इस पूरी बहस में एक सवाल यह भी है कि यह विकास हम मान भी लें तो यह किसकी कीमत पर किसका विकास है? दलित/आदिवासी या हाशिये पर खड़े लोग ही हर बार इस विकास की भेंट क्यों चढ़ें? आखिर क्यों?

ब्रह्मपुत्र की हत्या का फरमान
Posted on 14 Jan, 2011 06:19 PM
ब्रह्मपुत्र को बचाने का नजरिया नदी घाटी की अवधारणा पर आधारित होना चाहिए न कि संकीर्ण राष्ट्रीय हितों पर, जिनके चलते भारत और चीन की सरकारें अपनी जनता की राय के प्रति अंधी हो चुकी हैं। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा के बाद की स्थिति में भारत, चीन और विशेषकर बांग्लादेश में पर्यावरण पर काम करने वाले समूहों के लिए सबसे ज्यादा चिंताजनक और ध्यान देने वाले सवाल त्सांगपो-ब्रह्मपुत्र प
सूचना का अधिकार कानूनः धुंधली होती पारदर्शिता
Posted on 25 Dec, 2010 12:45 PM सूचना का अधिकार अधिनियम को कमजोर करने के सरकारी प्रयास पूरे जोर-शोर से जारी हैं। आजादी के बाद पहली बार एक ऐसा कानून प्रचलन में आया है, जिसमें आम जनता को सवाल पूछने का अधिकार मिला था। परंतु सरकारों और अधिकारियों को आम जनता को जवाब देना नागवार गुजर रहा है इसलिए वे इस कानून में परिवर्तन कर इसकी आत्मा को ही नष्ट कर देना चाहते हैं। का. सं.
बाढ़-सूखे की चपेट में मानव जीवन
Posted on 09 Dec, 2010 02:47 PM आज देश का अधिकांश भाग-सूखा-अकाल की चपेट में है । देश का बड़ा भाग जहां एक ओर सूखाग्रस्त है, वहीं दूसरी ओर कुछ भाग में बाढ़ एवं तूफान ने तबाही मचाई हुई है । विशेषज्ञों का मत है कि किसी भी भू-भाग का पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए कम से कम एक तिहाई भू-भाग पर वन होने चाहिए । पहाड़ी क्षेत्र में तो ६० प्रतिशत भू-भाग पर ही जंगल हैं । वैज्ञानिकों का मत है कि जिस क्षेत्र का वन क्षेत्र १० प्रतिशत से कम
आवश्यक है भूजल भण्डारों का पुनर्भरण
Posted on 09 Dec, 2010 12:25 PM आज सिंचाई सुविधाएं कृषि के विकास की अनिवार्य शर्त बन गई हैं। चाहे सिंचाई के लिए हो या अन्य उपयोग के लिए हो, वर्षा पानी की आपूर्ति का अंतिम स्त्रोत होती है । मनुष्य वर्षा जल को या तो नदियों पर बांध बनाकर अथवा उसे रिसन के जरिए भूजल भण्डारों में पहुंचने के बाद, उसका उद्वहन करके उपयोग करता है ।
समृद्धि का संगम
Posted on 08 Dec, 2010 12:38 PM चीन ने तिब्बत से आने वाले भारत के प्रमुख नद ब्रह्मपुत्र को रोककर बिजली और सिंचाई के साधन बढ़ा लिए हैं। चूंकि तिब्बत को चीन अपना ही इलाका समझता है, इसलिए वह वहां की ऐसी नदियों के साथ भी मनमानी कर रहा है, जो लंबा सफर भारत में तय करती हैं। तिब्बत और चीन से आनेवाली नदियां भारत की परिस्थितियों और भूगोल को भी निर्धारित और प्रभावित करती हैं। अधिकांश भारतीय नदियों के उद्गम का स्रोत हिमालय में है और हिमालय
बाबा महारिया की चिट्ठी सीएम के नाम
Posted on 07 Dec, 2010 04:49 PM
नर्मदा आंदोलन के 25 साल पूरे हो गये लेकिन लड़ाई अब भी जारी है। बाबा आमटे, मेधा पाटकर, स्व। आशीष, आलोक, चितरुपा, कमलू जीजी, कैलाश भाई जैसे नेतृत्वकारी साथियों के अलावा इस लड़ाई की असली ताक़त वे हज़ारों लोग हैं, जो अपनी-अपनी समझ और क्षमता के अनुसार उस लड़ाई का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के झाबुआ के जलसिंधी गाँव के निवासी बाबा महारिया ऐसे ही लड़ाकों में से हैं। सालों पहले निरक्षर बाबा
बदली जिले की तकदीर
Posted on 22 Nov, 2010 07:30 AM

जलाभिषेक अभियान का ब्रांड एम्बेसडर बना देवास जिला

हजारों भागीरथ बनाए कलेक्टर उमराव ने

आंदोलन ने जगाई अहिंसक संघर्ष के प्रति आस्था
Posted on 17 Nov, 2010 06:56 AM

पिछले 25 साल से चल रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन से मुझे काफी सीखने एवं समझने का मौका मिला है. सबसे बड़ी सीख मिली है - अहिंसक संघर्ष के प्रति आस्था. अहिंसक संघर्ष बहुत लंबा और गहरा होता है. यह किसी अकेले व्यक्ति का काम नहीं होता. इसके पीछे संगठन की ताकत होती है. इसके पीछे जनता का समर्थन एवं सहयोग होता है. नर्मदा घाटी के लोगों के समर्थन से यह सब संभव हुआ है. इसके अलावा देश एवं दुनिया भर में चल रहे बिरादराना अहिंसक आंदोलनों का भी हमें भरपूर सहयोग मिल रहा है.

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