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मध्य प्रदेश
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तीन दशकों का जहर
Posted on 04 Aug, 2014 12:20 PMदिसम्बर 1984 को भोपाल के यूनियन कार्बाइड में हुई गैस त्रासदी के बाद के तीस वर्षों के दौरान कई तरह के अध्ययन हुए हैं। अभी हाल ही में सेन्टर फॉर साइंस एंड एनवायरमेन्ट (सीएसई) दिल्ली द्वारा एक अध्ययन किया गया और देश भर के विशेषज्ञों के साथ बैठकर इस घातक प्रदूषण से मुक्ति पाने की कार्ययोजना बनाई गई ताकि वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाजा न भुगतना पड़े। हादसे के बाद किसी संस्था ने पहली बार इस तबांध की ऊंचाई नर्मदा घाटी को डुबाने का फैसला
Posted on 14 Jul, 2014 02:41 PMमोदी सरकार से सरदार सरोवर नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ाने को मंजूरी मिलते ही नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ाने का काम शुरू हो गया। कंक्रीट से बने नर्मदा बांध की करीब 122 मीटर ऊंचाई तक का निर्माण का काम पूरा हो गया है। इस पर 16 मीटर ऊंचे दरवाजे लगाकर इसकी ऊंचाई 138 मीटर करना है।आमंत्रण : आठवाँ मीडिया सम्मेलन
Posted on 06 Jul, 2014 01:35 AMसाथियोंविकास और जनसरोकार के मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला साल-दर-साल आगे बढ़ता ही जा रहा है। हालाँकि इस बार हम यह राष्ट्रीय सम्मेलन अपने तय समय से थोडा देर से करने जा रहे हैं, लेकिन कई बार मार्च में संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्र और बजट की आपाधापी में फंसने के कारण बहुत सारे साथी आ नहीं पाते थे। और इस बार तो थे चुनाव और उसके बाद नई सरकार तो, इस बार सोचा थोडा लेट चलें, लेकिन सब मिल सकें।
आप सब जानते ही हैं कि यह सफ़र 2007 में सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी से शुरू हुआ। चित्रकूट, बांधवगढ़, महेश्वर, छतरपुर, पचमढ़ी फिर सुखतवा (केसला) के बाद इस बार हम यह आयोजन चंदेरी में करने जा रहे हैं। इस बार कई दौर की बैठकों के बाद चंदेरी संवाद के लिए जो विषय चुना गया है, वह है।
आदिवासी – हमारी, आपकी और मीडिया की नजर में
समय, स्थान- 23,24,25 अगस्त 2014, चंदेरी, जिला- अशोकनगर, मध्यप्रदेश
निमाड़ की जल चौपाल
Posted on 03 Jul, 2014 05:02 PM'जल चौपाल' नाम से प्रकाशित पुस्तक सप्रे संग्रहालय और राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद की सहयोग से प्रकाशित हुई है। मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों के लोक संस्कृति में जलविज्ञान व प्रकृति की खोज यात्रा है 'जल चौपाल'। ' निमाड़ की जल चौपाल' अध्याय 'जल चौपाल' का दूसरा अध्याय है।
बुंदेलखण्ड की जल चौपाल
Posted on 01 Jul, 2014 01:28 PM
'लोक संस्कृति में जलविज्ञान और प्रकृति' की अध्ययन यात्रा की शुरुआत 'राष्ट्रीय वि
'लोक संस्कृति में जलविज्ञान और प्रकृति' की अध्ययन यात्रा की शुरुआत 'राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद' और 'माधव राव सप्रे स्मृति संचार संग्रहालय एवं शोध संस्थान' के आपसी सहयोग से हुई। इस यात्रा के मार्गदर्शक की भूमिका में जलविज्ञानी श्रीकृष्ण गोपाल व्यास थे।
पीढ़ी बचाओ अभियान
Posted on 11 Mar, 2014 10:57 PMवैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी का सृजन लगभग 450 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था। पृथ्वी में जीवन का प्रादुर्भाव होने के पूर्व लगातार पृथ्वी में वर्षा होती रही है, ऐसा वैज्ञानिकों का मत है। जाहिर है कि करोड़ों-करोड़ों वर्षों तक जो वर्षा होती रही है, उसका काफी हिस्सा भू-जल के रूप में पृथ्वी के अंदर एकत्रित होता रहा है। चूंकि शुरुआती दौर में पृथ्वी की सतह पर जंगल, घास आदि की बहुतायत थी, अतः वर्षा के जल का पृथ्पानी के निजीकरण पर राष्ट्रीय बैठक
Posted on 25 Nov, 2013 02:28 PMभोपाल – 11 एवं 12 दिसंबर 2013
हमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मंथन अध्ययन केन्द्र जल क्षेत्र में सुधार संबंधी गतिविधियो पर जन पहल मध्यप्रदेश और पानी के निजीकरण विरोधी राष्ट्रीय प्लेटफार्म (National Platform Against Water Privatisation के साथ मिलकर आगामी 11 एवं 12 दिसंबर 2013 को भोपाल में एक राष्ट्रीय बैठक आयोजित कर रहा हैं।
शौचालय कम कर सकता है शिशु एवं बाल मृत्यु दर
Posted on 25 Nov, 2013 08:32 AM19 नवंबर 2013, भोपाल। शौचालय नहीं होने से महिलाओं को अक्सर असुरक्षा से गुजरना पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध एवं बलात्कार की घटनाएं अक्सर शौच के लिए बाहर जाने के समय होती है। जिन राज्यों में खुलेमें शौच करने वालों की संख्या ज्यादा है, वहां कुपोषण एवं शिशु और बाल मृत्यु दर भी ज्यादा है, इसलिए कुपोषण एवं शिशु और बाल मृत्यु दर कम करने के लिए खुले में शौच की आदतों को छोड़ना प