शिरीष खरे

शिरीष खरे
40 बरस से चरम पर पहुँच रहा महानदी विवाद
Posted on 04 Sep, 2016 04:15 PM

1. महानदी के कछार को लेकर ओड़िशा और छत्तीसगढ़ के बीच करीब चार दशकों से विवाद चल रहा है।
2. केन्द्र इस प्रकरण में कई बार हस्तक्षेप कर चुका है। 28 अप्रैल, 1983 को दोनों राज्यों के बीच समझौता भी हो चुका है।
3. तब अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह और ओड़िशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिवंगत जेबी पटनायक ने हस्ताक्षर भी किये थे।

25 लाख बनाने थे शौचालय, बने केवल 3 लाख
Posted on 04 Sep, 2016 12:44 PM

छत्तीसगढ़ में 25 लाख पक्के शौचालयों के मुकाबले बीते डेढ़ वर्षों में 3 लाख 20 हजार शौचालयों का निर्माण हुआ है। जाहिर है कि छत्तीसगढ़ को अभी करीब 22 लाख पक्के शौचालयों की दरकार है। यहाँ 27 में तीन जिले राजनांदगाँव, धमतरी और कोरिया स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता अभियान की रैंकिंग में जगह बना सके।
नदियों की हालत आईसीयू में भर्ती माँ जैसी, इलाज करना बेहद जरूरी
Posted on 17 Jul, 2016 04:51 PM

‘नदी के पुनर्जीवन और छत्तीसगढ़ को दुष्काल मुक्त करने’ के विषय पर रोटरी क्लब में आयोजित जल

अनदेखी के शिकार होते मगरमच्छ
Posted on 19 Jun, 2016 01:55 PM

तालाबों में पानी की कमी और आपसी घमासान से मगरमच्छों पर खतरा


किसानों ने कहा-नहीं मिले पम्प, फिर किधर गया करोड़ों रुपए
Posted on 19 Jun, 2016 01:11 PM

राज्य में 37.46 लाख किसान हैं जिनमें 80 प्रतिशत से भी ज्यादा
जल स्तर उठाने के लिये करोड़ों स्वाहा, फिर भी पानी पहुँचा पाताल
Posted on 26 May, 2016 04:06 PM

जल स्तर ऊपर उठाने के लिये छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक साल के भीतर करीब दो सौ करोड़ रुपए खर्च कर राजाडेरा और बेलोरा में बड़े जलाशय बनाए गए। इसी मकसद से कुछ गाँवों में एक दर्जन एनीकट भी बनाए गए। अफसरों ने दावा किया गया था कि इसके बाद यहाँ का जलस्तर ऊपर उठेगा, लेकिन इसके उलट जिले में जलस्तर 5 मीटर तक नीचे चला गया है।

पीएचई विभाग के अनुसार धमतरी जिले में पिछले चार महीने में जलस्तर में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। मगर लोड ब्लाक जहाँ सबसे ज्यादा जलाशय और एनीकट बने हुए हैं, वहाँ दिसम्बर माह में जलस्तर 19.40 मीटर था, जो अब 23.11 मीटर नीचे चला गया है। इसी तरह, धमतरी का जलस्तर 19 मीटर से 23.90 मीटर तक पहुँच गया है।
अकाल की दहलीज पर खड़े बैगा करने लगे पलायन
Posted on 01 Jan, 2016 09:41 AM
1. न वनोपज का मिल रहा सही दाम, न मनरेगा में काम
2. रायपुर आए बैगा जनजाति के प्रतिनिधियों ने कहा, सूखे के चलते इस साल पड़ रही दोहरी मार

परसवानी में सीमेंट फ़ैक्टरी पी गई पूरे गाँव का पानी
Posted on 31 Dec, 2015 01:38 PM
बीस बरस पहले इस गाँव में सीमेंट बनाने वाली फ़ैक्टरी लगने के बाद यहाँ की चट्टानों को खोदकर ज़मीन को ऐसा बर्बाद किया कि बाँध में पानी कम पड़ गया।
इसलिये ढह गया शिवनाथ नदी पर बना एनीकट
Posted on 11 Dec, 2015 10:39 AM
निर्माण कार्य में रेत और गिट्टी का उपयोग नहीं किया गया। कंक्रीट मिक
नहीं बीते भोपाल गैस कांड से पीड़ितों के बुरे दिन
Posted on 03 Dec, 2015 04:32 PM
साधो ये मुरदों का गांव
पीर मरे, पैगम्बर मरिहैं
मरिहैं जिन्दा जोगी
राजा मरिहैं परजा मरिहै
मरिहैं बैद और रोगी...
-कबीर


. 2 दिसम्बर,1984 की रात यूनियन कार्बाइड से रिसी जहरीली गैस ने हजारों को मौत की नींद सुला दिया था। जो लोग बचे हैं वे फेफड़े, आँख, दिल, गुर्दे, पेट और चमड़ी की बीमारी झेल रहे हैं। सवा पाँच लाख ऐसे गैस पीड़ित हैं, जिन्हें किसी तरह की राहत नहीं दी गई है। साथ ही 1997 के बाद से गैस पीड़ितों की मौत दर्ज नहीं की जा रही है।

सरकार भी यह मान चुकी है कि कारखाने में और उसके चारों तरफ तकरीबन 10 हजार मीट्रिक टन से अधिक कचरा ज़मीन में दबा हुआ है। अभी तक सरकारी स्तर पर इसे हटाने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। खुले आसमान के नीचे जमा यह कचरा बीते कई सालों से बरसात के पानी के साथ घुलकर अब तक 14 बस्तियों की 40 हजार आबादी के भूजल को जहरीला बना चुका है।
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