मनरेगा
मानव विकास की मिसाल सामरदा पंचायत
Posted on 16 Feb, 2012 04:11 PMवर्ष 2010-2011 में मनरेगा से सभी रोजगार की मांग करने वालों को 100 दिन का रोजगार दिया गया तथा मजदूरी भी पूरी मिली
ताकि रोजगार गारंटी कार्यक्रम सार्थक साबित हो
Posted on 15 Feb, 2012 12:17 PMयूपीए सरकार भी मनरेगा को अपनी एक उपलब्धि बताती रही है। इसके बावजूद भी वह उसकी खामियों को दूर करने के बजाय उसे न्
मनरेगा : न्यूनतम वेतन पर अधिकतम सवाल
Posted on 01 Feb, 2012 05:25 PMश्रम व रोजगार मंत्रालय ने भी अपना मत प्रस्तुत किया था कि मनरेगा का सेक्शन- 6(1) न्यायसंगत नहीं है। आंध्र प्रदेश
कृषि पर मनरेगा की चोट
Posted on 09 Jan, 2012 01:32 PMभारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पायलट आधार पर कृषि विज्ञान केन्द्रों के जरिए प्रौद्योगिकी के हस्
मनरेगा से कृषि पर संकट नहीं
Posted on 06 Jan, 2012 11:09 AM‘पिरामिड के सबसे नीचे के तल्ले में भूमिहीन खेत मजदूर हैं, जिनकी संख्या चार करोड़ बीस लाख है। ये खेती में लगी हुई जनसंख्या के 37.8 प्रतिशत हैं। इनके बीच कम से कम तीस लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें क्रीतदास या बंधुआ मजदूर कहा जाता है। इनके ऊपर हैं ‘अत्यंत छोटे किसान।’ पांच एकड़ से कम की जमीन के मालिकाना वाली अथवा सम्पत्तिहीन रैयत अथवा बंटाई पर खेती करने वाले किसानों को इसी वर्ग में रखा गया है। भारत में अधजल संरक्षण में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी परियोजना की भूमिका
Posted on 28 Dec, 2011 09:53 AMप्राकृतिक जल संसाधन के स्रोत दिन-प्रतिदिन नष्ट होते चले जा रहे हैं। आज मनुष्य के सामने जल संकट एक विकराल समस्या के रूप में प्रकट हुआ है। हमारे देश में शुद्ध पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। हमारा देश नदियों का देश होने के बाद भी हमारे देश के कई भागों में आज शुद्ध पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है। यह समस्या सरकार के साथ-साथ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए एक चुनौति साबित हो रही है। बढ़ती जनसंख्या, औदमनरेगा के नर्क में
Posted on 24 Nov, 2011 08:17 AMकेन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में मनरेगा के तहत किये जा रहे भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार पर सवाल उठाया है। जयराम रमेश ने कथित भ्रष्टाचार के लिए सोनभद्र जिले के जिस ग्राम सचिव राजेश चौबे का जिक्र किया है उस ग्राम सचिव ने मनरेगा में भ्रष्टाचार को अंजाम देने के िलए अधिकारियों के अलावा पत्रकारों का जमकर इस्तेमाल किया और करोड़ों रूपये की धोखाधड़ी कर दी। सोनभद्र से आवेश तिवारी की रिपोर्ट बता रही है कि मनरेगा के नर्क में किस तरह से पत्रकार और मीडिया घराने शामिल हैं।भूखे नंगे उत्तर प्रदेश में मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार में नौकरशाहों और बाबुओं के साथ -साथ मीडिया भी शामिल रही है। पत्रकारों ने जहाँ अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपने भाई -भतीजों को मनरेगा के ठेके दिलवाए, वही अखबारों ने मुंह बंद रखने की कीमत करोड़ों रुपयों के विज्ञापन छापकर वसूल किये। मीडिया के इस काले - कारनामे में न सिर्फ बड़े अखबार
समान श्रम के लिए असमान वेतन अन्याय
Posted on 16 Nov, 2011 08:25 AMइस तरह वृद्धि का एक ऐसा सकारात्मक चक्र शुरू हो जाएगा जो आम खुशहाली को बढ़ाएगा। मौजूदा अर्थव्यवस्थाओं के संकट का बड़ा कारण यह है कि मुनाफे का सबसे बड़ा हिस्सा उद्योगपति और उसके मैनेजरों के पास के पास चला जाता है और श्रम करनेवालों को उसका नगण्य हिस्सा मिलता है। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलन खत्म हो जाता है। गाड़ी के एक तरफ ज्यादा बोझ पड़ता है, तो वह पलटने के कगार पर आ जाती है।
समान योग्यता वाले दो व्यक्तियों में एक को रोजगार मिला हुआ है और दूसरा बेरोजगार है- यह एक ऐसा अन्याय है जिसे बेकारी कहते हैं। क्या इस अन्याय के लिए वह आदमी खुद जिम्मेदार है जो पूरी कोशिश करने के बाद भी अपने लिए रोजगार नहीं खोज पाता है? एक जमाने में, जब अर्थव्यवस्था पर किसी का नियंत्रण नहीं था, रोजगार की कोई कमी नहीं थी। कृषि-आधारित समाज व्यवस्था में कोई बेकार नहीं होता। अगर किसी की प्रवृत्ति काम करने की नहीं है या कोई कला, लेखन या पहलवानी में रुचि लेता है, तो उसका खर्च पूरा परिवार उठाता है। जब से औद्योगिक व्यवस्था आई है, रोजगार का मामला प्राकृतिक नहीं रहा। यानी कितना रोजगार होगा, किस किस्म का रोजगार होगा, यह अर्थव्यवस्था तय करती है। चूंकि इस व्यवस्था में रोजगार का मामला जीवन-मरण का हो जाता है, इसलिए राज्य को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अर्थव्यवस्था का स्वरूप जनहित के आधार पर तय करे। जहां पांच-सात प्रतिशत से ज्यादा बेकारी है, वहां मानना होगा कि अर्थव्यवस्था और राज्य, दोनों फेल कर गए हैं।
ऐसा ही एक अन्याय है, समान श्रम, परंतु असमान वेतन। आजकल मैं जहां काम करता हूं, वहां तीन तरह के ड्राइवर हैं। एक तरह के ड्राइवर वे हैं जिनकी नौकरी पक्की है। इनका वेतन लगभग पंद्रह हजार रुपए महीना है। इन्हें मकान भत्ता, चिकित्सा भत्ता तथा अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं।
मनरेगा में दलालों का वर्चस्व : हेमन्त सोरेन
Posted on 25 Aug, 2011 04:33 PMमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है, लेकिन दलालों का वर्चस्व होने के कारण मजदूरों को योजना का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। उक्त बातें राज्य के उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज पैक्स द्वारा होटल कैपिटल हिल में आयोजित राज्य स्तरीय परिचर्चा में कही। श्री सोरेन ने कहा कि मनरेगा में रोजगार देने का जो आंकड़ा सामने आया है, वह निरा
रोजगार गारण्टी कानून में मजदूर संगठन की संभावनायें
Posted on 11 Aug, 2011 08:50 AM42 आय बढ़ने के कारण स्वयं सहायता समूहों को अब ज्यादा सक्रिय करने की कोशिशें की जायेगी और उन्हें