मनरेगा
प्रश्न -रोजगार गारंटी ‘योजना’ की जगह, रोजगार गारंटी ‘कानून’ का होना ही क्यों जरूरी है?
Posted on 17 Jul, 2009 02:15 PMउत्तर -बुन्देलखंड: विफल हुई नरेगा,पलायन जारी
Posted on 10 Jul, 2009 02:02 PMयू तो सरकार ने राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना ( नरेगा ) के तहत लोगो को १०० दिन के रोजगार का बदोबस्त किया है पर बुन्देलखंड में यह योजना सफल नही हो पा रही है इसलिए हजारो ग्रामीणों का पलायन प्रतिदिन जारी है। बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय का मानना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के संचालन में प्रदेश सरकार और उसके कर्मचारी ही सबसे बड़ा रोड़ा बने हुये है।राज्य कर्मचारी फर्जी जॉब काअब तेरा क्या होगा रे नरेगा?
Posted on 07 Jul, 2009 09:15 AMदिल्ली लोकतांत्रिक भारत के विकास स्वप्नों की केन्द्रीय किल्ली है। इसलिए मानने में हर्ज नहीं कि दिल्ली की पहल पर जो भी विकास-योजनाएँ बनती हैं, उनके पीछे कहीं न कहीं ईमानदार राष्ट्रीय ख्वाहिशों का एक दबाव होता है। पर जमीन पर लागू होते वक्त ऐसी हर योजना हमारे चारों ओर फैले भारत के ठोस सामाजिक-आर्थिक यथार्थ से टकराती है। इसलिए योजना के मसौदे में भले ही जो निर्देश जारी किए गए हों, अंतत: कार्यान्वयन केबजट में नरेगा
Posted on 06 Jul, 2009 08:04 PMसरकार ने सोमवार को पेश 2009-10 के वाषिर्क बजट में अपनी महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रमों के लिए 39,100 करोड़ रुपये का आवंटन करने का प्रस्ताव किया, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 144 फीसदी अधिक है।वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि फरवरी 2006 में पहली बार कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) सफल रहा है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान करीब 4. 47 करोड़ परिवारों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए, जबकि 2007-08 में 3.39 करोड़ परिवार इससे लाभान्वित हुए थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार नरेगा के तहत हकदारी के तौर पर प्रतिदिन 100 रुपये की वास्तविक मजदूरी देने के लिए वचनबद्ध हैं।
नरेगा के तहत आने वाले परिसंपत्तियों की उत्पादकता और संसाधन बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी, जल, संसाधन, भू-संसाधन और ग्रामीण सड़कों से संबंधित अन्य योजनानाओं को केंद्र में लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
पश्चिम चम्पारण: नरेगा में अब तक आया 75 करोड़
Posted on 06 Jul, 2009 01:20 PMतरंग टीमदिसम्बर के शुरु में के0आर0 विद्यालय के समीप स्थित प्रसिद्ध समाजसेवी संगठन रीड के प्रांगण में कारितास इन्डिया द्वारा समर्थित तथा फादर प्रकाश लुईस के नेतृत्व में संचालित ‘बिहार पंचायत नवनिर्माण अभियान’ द्वारा ‘‘नरेगा’’ कार्यक्रम पर एक भव्य कार्यशाला का आयोजन हुआ था। इसमें बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव, अनूप मुखर्जी कार्यक्रम के बावजूद आने में असफल रहे। आखिर बड़े लोग बेतिया जैसे छोटे स्थान पर कैसे आते। उन्हें तो नरेगा की स्थिति विडियो कानफ्रेन्सिग तथा जिला प्रशासन द्वारा प्रेसित सुसज्जित रिपोर्टो से तो पता ही रहता है कि सबकुछ बमबम है, तो फिर अनपढ़, गंवार पंचायत प्रतिनिध्यिों तथा देहाती सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलकर उनके मुखार विन्दु से नरेगा की ‘ दुर्गति ’ सुनने की क्या आवश्यकता....?
पश्चिम बंगाल में महिलायें और रोजगार की गारण्टी – 2
Posted on 06 Jul, 2009 11:58 AMकदम कदम पर लिंगभेद की चुनौती
महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक ताकत को एक ढांचागत रूप देने के उद्देष्य से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी कानून (नरेगा) में कुछ स्पष्ट व्यवस्थाएं बनाने और हकों को कानूनी रूप से परिभाषित करने की कोशिशें हुई हैं। पश्चिम बंगाल के पश्चिम दरिकापुर गांव की जानकी भक्ते दिन भर मछली और केकड़े पकड़कर गांव के बाजार में बेचकर 25 से 30 रूपये कमाती हैं। और इसी से उसके परिवार के पाँच सदस्यों की जिन्दगी चलती है। वह रोजगार गारंटी कानून के बारे में जानती है और 75 रूपये की न्यूनतम मजदूरी के बारे में भी। फिर भी वह नरेगा में काम नहीं करती क्योंकि उसे हर रोज मेहनत करके कमाकर पैसा घर में लाना होता है, तभी बच्चों को खाना मिलता है। वह 30 दिन तक मजदूरी के लिए इंतजार नहीं कर सकती है। उत्तार महिन्द्रापुर गांव की ज्योत्सना घराई ने 25 दिन का काम मांगा, इसमें से तीन दिन के लिये काम मिला पर जॉब कार्ड में 6 दिन की मजदूरी की प्रविष्टि की गई।