Posted on 13 Aug, 2013 11:16 AMमहात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना में अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार की शिकायत, मजदूरी की मांग नहीं होना, मजदूरी के भुगतान में देरी, मुआवजा नहीं मिलना, बेरोज़गारी भत्ता
Posted on 10 Jun, 2013 02:25 PMराजधानी रांची से लगभग 35 किमी दूर बुढ़मू पंचायत के कोटारी गांव में सरयू मुंडा की जमीन पर मनरेगा से कुआं बन रहा है। इस कुआं के बन जाने से कम से कम एक एकड़ जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। युवा सरयू, जो खुद भी मनरेगा श्रमिक हैं, इन दिनों दूसरे श्रमिकों के साथ पूरे उत्साह से कुआं की खुदाई में जुटे हैं। उनके चेहरे पर संतोष का भी भाव है और पैसों के विलंब से भुगतान होने से उत्पन्न चिंता भी। लेकिन,
Posted on 06 Jun, 2013 03:44 PMझारखंड की छह पंचायत निकाय को भारत सरकार से पुरस्कार मिला है। पुरस्कार पाने वाली पंचायत निकायों में जिला परिषद धनबाद, पंचायत समिति मधुपुर एवं निरसा और ग्राम पंचायत बड़ा अंबोना, पलारकुट एवं गोनैया शामिल है। ग्राम पंचायत बड़ा अंबोना एवं पलारकुट धनबाद जिले के निरसा प्रखंड के अंतर्गत आती है। गौनेया ग्राम पंचायत देवघर जिले के मधुपुर प्रखंड में है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल के अवसर पर नयी दिल्
Posted on 04 Jun, 2013 11:03 AMमनरेगा में किस कदर धांधली की जा रही है, यह पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड, केंदुआ पंचायत के वनपोखरिया में देखी जा सकती है। पैक्स-मनरेगा के पलैगशिप प्रोग्राम के तहत झारखंड के 10 जिलों में मनरेगा का सोशल ऑडिट कराया जा रहा है। राषट्रीय स्तर की गैर स्वयंसेवी संस्था एफिकोर एवं भारतीय ज्ञान-विज्ञान समिति द्वारा केंदुआ प्रखंड के अंतर्गत मनरेगा योजनाओं की सोशल ऑडिट पर जन-सुनवाई की गयी। यह जन-सुनवाई केंदुआ
Posted on 03 Jun, 2013 10:02 AMमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून लागू होने की छठी सालगिरह के मौके पर मनरेगा मजदूरों के एक विशाल सम्मेलन में मैंने एक कार्यकर्ता होने के नाते कहा था कि अब मनरेगा को पोलियो मुक्त अर्थात् भ्रष्टाचार मुक्त हो जाना चाहिए। क्योंकि इसमें एक अधिनियम के तहत योजनाएं संचालित होती हैं और कानून की नजरों में कोई भी कमजोर अथवा शक्तिशाली नहीं होता है। इस वर्ष दो फरवरी 2013 को दिल्ली में संपन्न
Posted on 03 May, 2013 03:20 PMमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कानून (मनरेगा) दुनिया में अपने किस्म का अनोखा कार्यक्रम है। इसके तहत गाँवों के ग़रीबों को निश्चित पारिश्रमिक पर वर्ष में कम से कम 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी दी गई है। यदि काम नहीं मिला तो बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा। संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद 25 अगस्त 2005 को यह कानून का रूप ले सका। उस समय इसे नरेगा नाम दिया गया। 2 अक्टूबर 2009 से
Posted on 03 May, 2013 03:18 PMजहां कहीं इस व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चले, वहां दमन भी चला। मंत्री महोदय इस भ्रष्टाचार को रोक पाने में असफल रहे, पर उन्हें अपने हाथी के दांत दिखाने तो थे ही, सो उन्होंने तुरत-फुरत मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख डाले।