मनरेगा
छुटकी की मनरेगा पर जागरूकता
Posted on 03 Dec, 2010 10:24 AMछुटकी (छोटी लड़की) समर्थन की एक ऐसी पहल है जिसके माध्यम से कठिन मुद्दों को बड़े ही सरलतम तरीके से पेश किया गया है। छुटकी श्रोताओं को नरेगा के संबंध में क्या और कैसे जैसी जानकारियां बड़े ही कॉमिक अंदाज में बता रही है। इन आसान और कॉमिक तरीको को जानने के लिये आप यह पुस्तक पढ़ सकते हैं।
मनरेगा : भ्रष्टाचार रोकने के उपाय नाका़फी
Posted on 29 Oct, 2010 10:09 AMनरेगा के अंतर्गत भ्रष्टाचार और सरकारी धन के अपव्यय को रोकने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इस योजना की संरचना में पर्यवेक्षण और निरीक्षण का खास ध्यान रखा गया है। इसके लिए फील्ड में जाकर ज़मीनी हक़ीक़त की जांच-पड़ताल, मस्टररोल का सार्वजनिक निरीक्षण, योजना के अंतर्गत पूरे किए जा चुके एवं चल रहे कामों को सूचनापट्ट पर प्रदर्शित एवं प्रचारित करने और सामाजिक अंकेक्षण पर विशेष ज़ोर दिया गया है। मस्टररोल को सार्वजनिक करने की व्यवस्था इसलिए की गई है, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सके। लेकिन इसका हर जगह पालन नहीं हो रहा और इससे तमाम तरह की आशंकाएं पैदा हो रही हैं। काम के लिए की गई मांग और मांग पूरी होने पर घर के सदस्यों के फोटो लगे जॉबकॉड्र्स की व्यवस्था भी भ्रष्टाचार को ध्यान में रखकर ही की गई है।
लापता तालाब उर्फ जिला नुआपाड़ा
Posted on 16 Oct, 2010 09:15 AMअगर आपसे कहा जाये कि किसी गांव के तालाब गायब हो गये तो शायद आप यकीन न करें. लेकिन नुआपाड़ा जिले के बिरीघाट पंचायत के झारसरम में ऐसा ही हुआ है. सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि गांव में दो साल पहले 1 तालाब खोदा गया है लेकिन गांव के लोग हैरान हैं कि आखिर ये तालाब हैं कहां?
इन दिनों इस तालाब की तलाश चल रही थी. दो साल पहले ही बना यह तालाब कागजों पर तो हैं लेकिन गांव में इसका पता नहीं है.
एक और मामला सुनें. हरि मांझी अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन सरकार की मानें तो उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार
मनरेगा लौटायेगा खेतों की हरियाली ?
Posted on 08 Sep, 2010 03:42 PMसरकार अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में बंजर पड़ी कृषि भूमि को सुधारने का प्रयास कर रही है। पौड़ी जिले में 37 हजार 829 हेक्टेयर ऐसी भूमि बंजर पड़ी है, जो कभी हरी-भरी हुआ करती थी। प्राकृतिक स्रोतों के धीरे-धीरे सूखने, कम वर्षा और उस पर जंगली जीवों द्वारा खेतों में मचाये आतंक के चलते ग्रामीणों को यह घाटे का सौदा लगने लगा। दुर्गम चट्टानों को काट
मनरेगा यानी कुछ भी चलेगा
Posted on 25 Aug, 2010 01:31 PMउत्तर प्रदेश में अच्छे इरादों का बंटाधार कैसे होता है इसकी ताजा मिसाल है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना। जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट
सोनभद्र जिले के नगवां ब्लॉक में पड़ने वाले पड़री को सरकारी दस्तावेज नक्सल प्रभावित गांव बताते हैं। लेकिन यहां जाने पर पता चलता है कि गांव पर सरकारी उपेक्षा का प्रभाव भी कम नहीं। जर्जर मकान, कच्ची गलियां और उनमें नंगे बदन दौड़ते बच्चे इसकी गवाही देते हैं। इसी गांव में हमें परमल मिलते हैं। साइकिल पंचर जोड़कर जैसे-तैसे अपना परिवार पालने वाले परमल बताते हैं कि उनके एक बच्चे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत तब मजदूरी की जब वह पेट में था।
मनरेगाः कैसे हो आसान और पारदर्शी
Posted on 07 Aug, 2010 09:43 AMमनरेगा को कैसे पारदर्शी, लोगों के लिये आसान और तेज बनाया जाए ताकि लोगों के जीवन में नवीन विचारों के साथ कुछ बदलाव लाया जा सके और बेहतर बनाया जा सके। इंहीं सब सवालों का जवाब दिया गया है इस बातचीत में। आईये जानें कि नरेगा को कैसे तेज और पारदर्शी बनाया जा सकता है.............
करोड़ों के तालाब खुदे, पानी का अता पता नहीं
Posted on 12 Jul, 2010 10:58 AMअमर उजाला टीम के व्यापक सर्वे में यह पाया गया है कि तालाब तो काफी खुदे पर उनमें पानी नहीं है। तालाब का काम एक सामान्य समझ की जरूरत मांगता है कि तालाब तो खुदे पर उसमें पानी कहां से आएगा उसका रास्ता भी देखना होगा। सामान्यतः जो तालाब मनरेगा में खुदे हैं, उनमें कैचमेंन्ट का ध्यान रखा नहीं गया है। उससे हो यह रहा है कि तालाब रीते पड़े हैं।केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ‘मनरेगा’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना को दूसरे चरण में शहरों में भी लागू करने के लिए बेताब दिख रही है, लेकिन इसके पहले चरण में जिस तरीके से काम हो रहा है उससे गांवों की दशा में बड़े बदलाव की उम्मीद बेमानी ही लगती है। करोड़ों रुपये के खर्च से सैकड़ों पोखरे एवं तालाब खुदे लेकिन उसमें पानी भरने के लिए महीनों से बरसात का इंतजार हो रहा था। कारण कि पानी भरने का बजट मनरेगा में है ही नहीं। सड़कें बनीं, पर गरीबों के रास्ते अब भी कच्चे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के कई जिलों में मनरेगा के कामों की पड़ताल में यही हकीकत सामने आई है। मजदूरों की अहमियत जरूर बढ़ी है, अब दूसरी जगह भी उन्हें डेढ़ सौ रुपये तक मजदूरी मिल जाती है।
सूचना अधिकार का तोहफा, नरेगा में करोड़ों के घोटाले
Posted on 12 Oct, 2009 01:24 PMसूचना अधिकार दिवस पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सीपी जोशी को इससे बड़ा तोहफा मिल नहीं सकता.