महाराष्ट्र

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बिजली मिलेगी, पानी नहीं
Posted on 23 Apr, 2011 11:51 AM

सोफिया से तो कुछ 370 लोगों को रोजगार मिलेगा। श्री पुसाडकर का कहना है कि अमरावती जिले में अभी भी 2,35,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई व्यवस्था बाकी है। इस परियोजना के पूरा होने से पानी की कमी के कारण इस आंकड़े में 23,219 हेक्टेयर की और वृद्धि हो जाएगी।

महाराष्ट्र के अमरावती ताप बिजलीघर का वर्षों से सर्वाजनिक विरोध हो रहा है। विदर्भ क्षेत्र के किसानों को डर है कि यह विद्युत संयंत्र अपर वर्धा सिंचाई परियोजना से पानी लेगा। पिछले दिनों इस विषय में अचानक ही समझौते के आसार नजर आने लगे। राज्य के जलसंसाधन मंत्री अमरावती के नागरिक प्रतिनिधियों और राजनीतिज्ञों से मिले और उन्होंने घोषणा की कि यह ताप बिजलीघर अपर वर्धा के पानी को छूएगा भी नहीं और इसके बदले यह अमरावती शहर के गंदे पानी को साफ कर इस्तेमाल करेगा। नगरवासियों को और भी कई सुविधाएं देने की घोषणा करते हुए मंत्री ने घोषणा की कि इस परियोजना के बाद इस जिले में बिजली कटौती समाप्त हो जाएगी।

विदर्भ का पानी उद्योगों को देने की तैयारी
Posted on 19 Apr, 2011 09:46 AM

महाराष्ट्र विधानसभा में विधेयक पारित

सजीव खेती ही एकमात्र रास्ता
Posted on 07 Apr, 2011 10:00 AM

'मैंने पहले रासायनिक खेती की और बाद में सजीव खेती। वर्ष 1994 तक मैं रासायनिक खेती करता रहा। जिसमें मेरी जमीन की उर्वरक शक्ति गई, भूजल स्तर नीचे गया, देसी बीज खत्म हुए, फसलचक्र बदला और मजदूरों का रोजगार खत्म हुआ। लेकिन जब मेरा इस विनाशक खेती से मोहभंग हुआ और सजीव खेती अपनानी शुरू की तो मेरा जीवन ही बदल गया। इससे धीरे-धीरे भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ी, भूजल स्तर उपर आया और देसी बीज बचे और मजदूरों को

उसने चुराया पानी
Posted on 23 Mar, 2011 04:03 PM

पानी के लिए विश्व युद्ध होगा, कुछ समय पहले तक इस भविष्यवाणी का मखौल उड़ाया जाता था। आज आस-पास

कचरे से कमाई, बचपन की तबाही
Posted on 11 Mar, 2011 10:26 AM

अधिकांश बच्चे या तो स्कूल छोड़ देने वाले होते हैं या फिर अपने ही माता-पिता द्वारा जबरन कचरा बीन

लैंडफिल
सह्याद्रि को श्रद्धांजलि
Posted on 19 Feb, 2011 04:11 PM
जिस तरह कृष्णा के किनारे महाराष्ट्र की राजधानी सतारा में जन्म होने के कारण मैं अपने को कृष्णा पुत्र कहलाता हूं उसी तरह सह्याद्रि की गोंद में पला हुआ होने के कारण मैं अपने को सह्यपुत्र भी कहलाता हूं। औरंगंजेब ने हमारे शिवाजी के प्रति अपना तिरस्कार बताने के लिए भले ही उसे ‘पहाड़ का चूहा’ कहा हो, मैं हमारे सह्याद्रि का चूहा होने पर भी गौरव अनुभव करता हूं। सह्याद्रि तो भारत भूमि की पश्चिम की रीढ
किसानों को कर्महीन बनाया जा रहा है
Posted on 05 Feb, 2011 09:41 AM कहते हैं हर शाम के बाद सुबह होती है हर दुःख के बाद सुख आता है, विदर्भ के भी कुछ इलाकों में ऐसा ही हुआ, बेहाल और बदहाल विदर्भ को जिस व्यक्ति से रोशनी मिली उसके पास भी एक सपना था वो सपना था विदर्भ को देश में उन्नत कृषि की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बनाने का ,स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर चलते हुए आदिवासी –किसानों की सेवा को ही धर्म मानने वाले शुकदास जी महाराज विदर्भ के कवि घाघ हैं, आप यकीन न करें मगर आज स
खेती में असली क्रांति
Posted on 05 Jan, 2011 09:26 AM


2010 तो इतिहास बनने जा रहा है। मैं सशंकित हूं कि क्या नया साल किसानों के लिए कोई उम्मीद जगाएगा? अनेक वर्षो से मैं नए साल से पहले प्रार्थना और उम्मीद करता हूं कि कम से कम यह साल तो किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाएगा, किंतु दुर्भाग्य से ऐसा कभी नहीं हुआ।

green revolution
प्रकृति, पर्यावरण और स्वास्थ्य का संरक्षक कदंब
Posted on 29 Dec, 2010 11:32 AM
कदंब भारतीय उपमहाद्वीप में उगने वाला शोभाकर वृक्ष है। सुगंधित फूलों से युक्त बारहों महीने हरे, तेज़ी से बढ़नेवाले इस विशाल वृक्ष की छाया शीतल होती है। इसका वानस्पतिक नाम एन्थोसिफेलस कदम्ब या एन्थोसिफेलस इंडिकस है, जो रूबिएसी परिवार का सदस्य है। उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, उड़ीसा में यह बहुतायत में होता है। इसके पेड़ की अधिकतम ऊँचाई ४५ मीटर तक हो सकती है। पत्तियों की लं
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