महाराष्ट्र

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पानी पर खतरे की घंटी सुनना जरूरी
Posted on 03 Oct, 2008 09:41 AM

अनिल प्रकाश/ हिन्दुस्तान

भूमिगत जलस्रोतों को कभी अक्षय भंडार माना जाता था, लेकिन ये संचित भंडार अब सूखने लगे हैं। पिछले 50-60 बरस में डीजल और बिजली के शक्तिशाली पम्पों के सहारे खेती, उद्योग और शहरी जरूरतों के लिए इतना पानी खींचा जाने लगा है कि भूजल के प्राकृतिक संचय और यांत्रिक दोहन के बीच का संतुलन बिगड़ गया और जलस्तर नीचे गिरने लगा। केंद्रीय तथा उत्तरी चीन, पाकिस्तान के कई हिस्से, उत्तरी अफ्रीका, मध्यपूर्व तथा अरब देशों में यह समस्या बहुत गंभीर है, लेकिन भारत की स्थिति भी कम गंभीर नहीं है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में भूजल स्तर प्रतिवर्ष लगभग एक मीटर तक नीचे जा रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। समस्या इन राज्यों तक ही सीमित नहीं है। नीरी (नेशनल इनवायर्नमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट) के अध्ययन में पाया गया है कि भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन के कारण पूरे देश में जल स्तर नीचे जा रहा है।

सूखे कुंए
जनजातीय लोगों के लिए स्‍वच्‍छता संसाधन केंद्र
Posted on 25 Sep, 2008 03:47 PM

पूर्व शर्तें: :
जनजातीय लोग अत्‍यंत जटिल भौतिक और सामाजिक दशाओं में रहते हैं। उनकी मानसिकता और विवेकशीलता ऐसी दशाओं से अभिभूत होती है जिसमें वे रहते हैं। यदि उनके बीच काम करने वाला उनके परिवेश और परंपराओं से भलीभांति परिचित नहीं है तब जनजातीय ग्रामीणों को प्रेरित करना अत्‍यंत कठिन होता है।

परिवर्तन की प्रकिया: :

आदिवासियों के लिये स्वच्छता
ग्रामीण स्‍चव्‍छता दुकान की स्‍थापना करना
Posted on 25 Sep, 2008 03:44 PM

पूर्व शर्तें: :
शौचालय बना रहे ग्रामीणों को सफाई के सामान को सही जगह पर लाने जैसी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था।

परिवर्तन की प्रकिया: :

ग्रामीण स्वच्छता
अन्‍जुबाई ने 100 शौचालयों के लिए अभिप्रेरित किया
Posted on 25 Sep, 2008 03:25 PM

पूर्व शर्तें: :
प्रारंभ में ग्रामीणों ने शौचालय निर्माण में जोश दिखाया किंतु जैसे जैसे वे इस कार्य में धन की कमी की कठिनाईयों से परिचित होते गए वैसे वैसे उन्‍होनें शौचालय रखने के विचार से मुंह मोड़ लिया।

परिवर्तन की प्रकिया: :

शौचालय
स्‍थानीय सहकारिता और शौचालय निर्माण
Posted on 25 Sep, 2008 03:12 PM पूर्व शर्तें :
यहां के गरीब लोग शौचालय निर्माण के लिए पैसे की कठिनाई का समाना कर रहे थे। जलापूर्ति के साथ-साथ जलस्‍वराज परियोजना के अंतर्गत शौचालयों का निर्माण और स्‍वच्‍छ गांव का निर्माण एक प्रमुख कार्य था।

परिवर्तन की प्रक्रिया: :
बेकार पानी का पुन:चक्रण
Posted on 25 Sep, 2008 01:06 PM

सुनीता द्वारा निर्मित गृहकार्य का मॉडल
पूर्व शर्तें:
वड़गांव तेजान की बाहरी वस्‍ती के अधिकांश घरों में जल निकास व्‍यवस्‍था नहीं है। रसोई और स्‍नानघर का बेकार पानी या तो गलियों में बहता रहता हे या फिर घर के पिछवाड़े में। रसोई में प्रयुक्‍त पानी का कभी भी दोबारा उपयोग नहीं किया गया।

परिवर्तन की प्रकिया:

recycled water
स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा
Posted on 25 Sep, 2008 12:47 PM उद्देश्‍य-

विशेषकर स्‍कूली बच्‍चों के लिए सुनिश्चित करना कि गांव में पैदल चलते समय वे हमेशा चप्‍पल पहनें। और महिलाओं को पेयजल निथारने की अच्‍छी तकनीकें सिखाना।

स्थिति-
स्‍वच्‍छ सोमवार
Posted on 25 Sep, 2008 12:35 PM पूर्व शर्तें गांव के प्रत्‍येक कोने में कूड़े का ढेर लगा रहता है और इसे नियमित रूप से उठाया नहीं जाता है। गटर खुले हुए हैं और अक्‍सर रूक जाते हैं। गांव के कई स्‍थानों पर बेकार पानी सड़को पर आ जाता है।
स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा
Posted on 24 Sep, 2008 07:43 PM उद्देश्‍य-

विशेषकर स्‍कूली बच्‍चों के लिए सुनिश्चित करना कि गांव में पैदल चलते समय वे हमेशा चप्‍पल पहनें, और महिलाएं पेयजल को निथारने की अच्‍छी तकनीकें सीखें।

स्थिति-
शौचालय निर्माण के लिए बीसी
Posted on 24 Sep, 2008 07:34 PM

पूर्व शर्तें :
ग्रामीणों ने शौचालय निर्माण के इस अभियान में स्रक्रिय प्रत्‍युत्तर नहीं दिए। ज्‍यादातर लोगों ने हालांकि इसे स्‍वीकार तो कर लिया किंतु शौचालय निर्माण में अपना योगदान नहीं दिया। समिति के सदस्‍यों ने बार-बार अनुरोध किया लेकिन वे लोगों द्वारा शौचालय बनवाने में सफल नहीं हो सके।

परिवर्तन की प्रक्रिया:

शौचालय
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