महाराष्ट्र

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कोंकण में हरियाली छाई
Posted on 31 Dec, 2009 06:38 PM

क्या सूखी और बंजर जमीन में आम और काजू का उत्पादन हो सकता है?

सिंचाई सहकारिताएं
Posted on 30 Dec, 2009 03:19 PM पहले किसान सिंचाई व्यवस्था का बड़े सलीके से प्रबंधन किया करते थे, लेकिन जबसे सरकार सिंचाई विभाग के साथ इसमें शामिल हुई है तब से इसका प्रबंधन बिगड़ने लगा। बुनियादी ढांचे की बिगड़ी स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र के कुछेक गैर सरकारी संगठनों ने किसानों को सहकारिताओं के गठन के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया। इन सहकारिताओं से सरकार भी काफी प्रेरित हुई है और अब तो यह किसानों को प्रबंधन की जिम्मेदारी
वर्षा जल का मोल समझाया
Posted on 28 Dec, 2009 12:56 PM एक स्वस्थ समाज स्वस्थ जलग्रहण व्यवस्था के बिना लंबे अर्से तक नहीं टिक सकता है। इस साधारण सच को गोर्डम ब्राउन ने सन् 1964 में ही समझ लिया था। इन्होंने मोरल रियरमामेंट सेंटर के निर्माण के नक्शे में वर्षाजल संग्रहण की अवधारणा को शामिल किया। यह सेंटर महाराष्ट्र स्थित पुणे से 150 किलोमीटर की दूरी पर पंचगनी के क्षेत्र में बनाया गया है। यह राजमोहन गांधी और देश के अन्य भागों के व्यक्तियों द्वारा चलाए गए आ
नासिक हरि मंदिर में कृमि हौज
Posted on 04 Oct, 2009 11:38 AM


नासिक में हरि मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के चारों ओर एक बड़ा बगीचा है और प्रसाद बनाने के लिए पाकशाला भी। मंदिर में 25 से 30 किलों जैव अपशिष्ट का सृजन होता है, जिसमें अर्पित पुष्प, बगीचे के अपशिष्ट एवं रसोई-अपशिष्ट सम्मिलित होते है। चूंकि मंदिर घनी आबादी के बीच स्थित है, अपशिष्ट का निपटान एक बड़ी समस्या के साथ खर्चीला भी था।

मुंबई में पीना होगा समुद्र का पानी
Posted on 03 Oct, 2009 07:55 AM

मुंबई में जलग्रहण क्षेत्रों में पानी काफी कम है और पीने के पानी की समस्या हल करने का सीडिंग प्रयास भी विफल रहा। अब मुंबई वृहन्मुंबई पालिका ने समुद्र के पानी को इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों से टेंडर मंगाए हैं।

मेहसाना, गुजरात में गंदे पानी का प्रबंधन
Posted on 02 Oct, 2009 08:38 AM गुजरात में, जिला-मेहसाना के अतर्गत ‘फतेपुरा´ गांव की कुल जनसंख्या 1200 और परिवार संख्या 214 है इस गांव के ग्राम प्रधान श्री जय सिंह भाई चौधरी हैं। इन्होंने इस गांव में धूसर जल (गांव का गंदा पानी) प्रबंधन का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

. मुख्य विशेषताएं
इस गांव के गहरे बोर का एक नलकूप है, जिसका व्यास 8’’ और गहराई 800 फीट है। 35 अश्वशक्ति वाले पम्प से पंप कर के जल को 40,000 लीटर क्षमता वाली उर्ध्वस्थ टंकी में ले जाया जाता है। यह कार्य दिन में चार बार किया जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि गांव में प्रतिदिन 1,60,000 लीटर जल का उपयोग किया जाता है। इसमें से 40,000 लीटर जल का उपयोग पशुओं के लिए हो जाता है। यद्दपि, वास्तव में धूसर जल (गांव का गंदा पानी) की पैदा कितनी मात्रा में होता है, इसका स्पष्ट हिसाब नहीं लगाया गया है, फिर भी, यह अनुमान किया जाता है कि कुल प्राप्त जल का 80 प्रतिशत धूसर जल (गांव का गंदा पानी) के रुप में निकल आता है। इस प्रकार, गांव में धूसर जल सृजन की अनुमानित मात्रा करीब 96,000 लीटर प्रतिदिन होती है।
भूजल विकास के लिए नया कायदा
Posted on 21 Sep, 2009 09:10 AM

भूजल विकासासाठी नवा कायदा?

पावसाचा लहरीपणा, पीक नियोजन पद्धतीचा अभाव, पाणी वापराचा चंगळवाद, वाढते नागरीकरण यामुळे भूगर्भातील पाण्याचा साठा कमी होत आहे. भविष्यातील पाण्याची गरज भागवून त्याची शाश्वती देण्यासाठी राज्यात भूजलाच्या अमर्याद उपशावर नियंत्रण आणण्यासाठी 'महाराष्ट्र भूजल विकास आणि व्यवस्थापन अधिनियम २००८'च्या प्रारूपास राज्य मंत्रिमंडळाने मान्यता दिली.
बारिश का अचम्भा
Posted on 25 Apr, 2009 03:43 PM

छोटे-छोटे अंतराल वाली तेज बारिश की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण भारत में उपयोग के लायक पानी दुर्लभ होता जा रहा है.
अर्चिता भट्ट

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