महाराष्ट्र

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झुग्गियों से मुक्त भारत का सपना
Posted on 11 Oct, 2011 10:28 PM

हमेशा गांव-गांव का शोर मचाती सरकारों को अब शहरों की भी सुध आ ही गई है। शहरों में कम पड़ती नागरि

slum
मनमर्जी की मंजूरी
Posted on 03 Oct, 2011 10:10 AM

एक विशेषज्ञ समिति ने पिरना का दौरा किया तो उसे वेदांत या सेसा गोवा के दावों की असलियत पता चली।

सृजनशीलता का खजाना
Posted on 24 Sep, 2011 02:17 PM

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा बड़ी धूमधाम से की जाती है और इस अवसर पर लाखों मूर्

Murti Visarjan
लकड़ी का टाल नहीं है जंगल
Posted on 06 Sep, 2011 11:19 AM

भीमशंकर वनों में निवास करने वाला यह समाज न्यूनतम उपभोग वाली ऐसी जीवनशैली का पालन करता है, जिसमें सब कुछ बहुत मितव्यय से इस्तेमाल किया जाता है। उनके घर पत्थर और मिट्टी के बने होते हैं और इन लोगों के पास कुछ बहुत आवश्यक वस्तुएं ही होती हैं। वे ऐसे आत्मीय समुदायों में रहते हैं जहां आपसी सहयोग ही जीवन जीने का तरीका है। वे एक साथ योजना बनाते हैं और फिर सब मिलकर एक साथ काम करते हैं।

महाराष्ट्र के पुणे जिले में सुदूर पश्चिम घाट के अत्यधिक वर्षा वाले पहाड़ी ढलान में अम्बेगांव विकास खंड में स्थित है भीमशंकर वन। यह एक अनछुआ, बारहमासी, चार तलीय वन है जहां बादल भी अठखेलियां करते नजर आते हैं। यहां की उपजाऊ मिट्टी उथली है। उसके नीचे कठोर चट्टानें। यहां भूगर्भ जल है ही नहीं। इसलिए यदि एक बार ये वन नष्ट हो गए तो उनका दोबारा फलना-फूलना बहुत कठिन है। यहां पर चलने वाली तेज हवाओं और भारी भूक्षरण को ये वन संभाल लेते हैं। ऊंचे पेड़, छोटे पेड़, घनी झाड़ियां, घास आदि मिलकर वर्षा के जल को अपने में समाहित कर यहां की कीमती मिट्टी को भी बहने से बचाते हैं।

महादेव कोली समाज यहां सदियों से निवास कर रहा है। उसने ऐसी जीवनशैली व दर्शन को अपना लिया है, जो कि यहां के पर्यावरण
हमारा फार्मूला चल गया तो सारी व्यवस्था बदल जाएगी
Posted on 31 Aug, 2011 10:03 AM

योगेश अनेजा से साक्षात्कार

हमने तरक्की की नई राह ढूंढ ली है....
Posted on 31 Aug, 2011 09:30 AM

केशव डम्भारे से साक्षात्कार


केशव डम्भारे अभी 54-55 के हैं। 24 साल पहले जब नौसेना की नौकरी छोड़कर वे अपने गाँव पहुंचे तो पानी की विकराल समस्या से उनका आमना-सामना हुआ। तबसे वे लगातार अपने साथियों के साथ मिलकर ग्राम-जल के पुनर्जीवन के लिये लड़ रहे हैं। वे विज्ञान में किसी कारण डिग्री पूरी नहीं कर पाए, पर ग्रामजीवन का विज्ञान उन्हें खूब आता है। उन्हें मालूम है कि किस रसायन में किस तत्त्व के मिलन से ऊर्जा निकलेगी और किस तत्त्व को मिलाने से विस्फोट होगा। वे फ़िलहाल वलनी गाँव के उपसरपंच हैं और राजनितिक-समाजकर्मी ही उनकी जिंदगी का प्रमुख उद्देश्य है।

एक माह में बन गए 120 शौचालय
Posted on 30 Aug, 2011 04:30 PM

बीडीओ और अन्य अफसर आए तो अचरज से भर गए। लेकिन, योगेश और केशव निर्मल ग्राम पुरस्कार लेने नहीं गए। उस सरपंच को भेजा, जो राजनीतिक रंजिश में सारे कामों में पलीता लगाए हुए था। वह लौटा तो इस टीम का फैन बन गया। वह दिन था और आज का दिन है, गाँव में कोई गुट नहीं बचा।

किसी भी गाँव की साफ-सफाई में शौचालय का होना बेहद महत्त्वपूर्ण है। अगर गाँव वाले खुले में शौच करें तो गंदगी घर, शरीर और दिमाग में कब्ज़ा कर लेती है। वलनी तो आदर्श गाँव योजना में शामिल था। लेकिन, उसकी हालत भी दूसरे गाँव की तरह थी। लोग खुले में शौच करते। हमेशा बदबू आना गाँव का अभिशाप था। लेकिन, क्या हो सकता था? सब चाहते थे कि घर में ही शौचालय हो, पर सबसे बड़ी समस्या थी पानी का अभाव।

बरास्ता गाँधी, जीवन बदलता एक पानीदार गाँव
Posted on 30 Aug, 2011 02:52 PM

रहिमन कह गए हैं, बिन पानी सब सून...., नागपुर से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक गाँव ने पानी की महत्ता को कैसे समझा और स्वीकारा बता रहे हैं ….। इस बार वलनी के ग्राम तालाब की पार पर खड़ा हुआ तो दिल भर आया। हरे, मटमैले पानी पर हवा लहरें बनाती और इस किनारे से उस किनारे तक ले जाती। लगता दिल में भी हिलोरें उठ रही है। कहाँ था ऐसा तालाब ? जो था, वो सपनो में हीं था। सपने अगर सच हो जाएं तो दुनिया, दुनिया ना रह जाए।

<strong>मई माह में भी भरा पानी</strong>
किसके सपनों का भारत !!
Posted on 17 Aug, 2011 03:02 PM

महाराष्ट्र में पुणे के निकट मावल में पुलिस की गोली से चार किसानों के मारे जाने के समाचार को यद

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