महाराष्ट्र

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पानी के लिए जहां बहता है खून
Posted on 15 Aug, 2011 10:10 AM

9 अगस्त 2011 इतिहास में दर्ज हो जाएगा, 9 अगस्त 1942 को गांधी जी ने बम्बई में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। 9 अगस्त 2011 को अब किसानों की जायज मांगों को बेरहमी दमन करने के लिए गोली चलाई गई। किसानों की मांग है कि पावना बांध का पानी पहले उनके खेतों में जाना चाहिए, ना कि शहर में। किसानों का ये आंदोलन तीन साल पुराना है। वो 2008 से ही पावना डैम से पिंपरी चिंचवाड़ तक पाइप लाइन बिछाने का विरोध कर रहे हैं। किसानों को डर है कि पाइप लाइन बन जाने से उन्हें सिंचाई के लिए भरपूर पानी नहीं मिलेगा। यह रपट भास्कर अखबार से ली गई है . . .

पूरे देश ने राखी और आजादी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया। लेकिन पुणे जिले के मावल क्षेत्र के किसानों के घर मातम छाया हुआ था। अपने हिस्से का पानी पिंपरी चिंचवड़ को दिए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे मावल क्षेत्र के किसानों ने बडर गांव के पास जब मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर जाम लगा दिया और उनका आंदोलन हिंसक हो गया तो पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में चार लोग मारे गए। मारे गए किसान मोरेश्वर साठे, श्यामराव तुपे की बहनें और शांताबाई ठाकुर के भाई जीवनभर रक्षाबंधन से वंचित रहेंगे।

प्रश्न यह नहीं कि कौन गलत था और कौन सही। असली सवाल तो यह है कि हर बार राज्य की जनता को न्याय पाने के लिए कानून हाथ में क्यों लेना पड़ता है? चाहे वह नागपुर के न्यायालय में माननीय न्यायाधीश के सामने महिलाओं द्वारा की गई एक बलात्कारी की हत्या हो या मावल के लोगों द्वारा किया गया आंदोलन।

हमें इस परमाणु परियोजना से बचाइये
Posted on 25 Jul, 2011 01:48 PM

आप सबसे हम अपील करते हैं कि पूरे देश में इस संदेश को पहुंचा दीजिए कि हम यह परमाणु परियोजना नहीं चाहते हैं।

जैतापुर के बहाने जनता के लोकतंत्र की बात
Posted on 25 Jul, 2011 01:05 PM

आबादी के आधार पर दुनिया के सबसे ब़डे लोकतंत्र होने का दावा हम करते हैं, लेकिन हमारी आबादी का एक हिस्सा आने वाले गणतंत्र दिवस का विरोध करने वाला है। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के जैतापुर इलाके में सत्तर स्कूलों के लगभग ढाई हजार विद्यार्थियों ने वहां बन रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के विरोध में ऐसा निर्णय लिया है। पिछले दिनों इन विद्यार्थियों ने स्कूल नहीं जाने का निर्णय तब लिया जब जिला प्रशासन न

महाराष्ट्र में न्यूक्लीयर संकट
Posted on 22 Jul, 2011 01:59 PM

जैतापुर दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लीयर विद्युतगृह बन जाएगा जिसमें 9,900 मेगावाट, अर्थात् भारत की वर्तमान न्यूक्लीयर क्षमता से दो गुनी से अधिक बिजली पैदा होगी। पर इससे नाजुक पारिस्थिकी प्रणाली और हजारों की जीविकाओं का अपूर्णीय विनाश भी होगा। यह उस आर्थिक बर्बादी को कहीं बड़े स्तर पर दोहरायेगी जिसे एनरोन पावर स्टेशन कहा जाता है। इससे पैदा होने वाली बिजली अन्य स्रोतों के मुकाबले तीन से चार गुना अध

फुकुशिमा के सबक सीखने से इन्कार
Posted on 22 Jul, 2011 11:41 AM

28 मार्च 1979 को अमेरिका के पेनसिल्वानिया इलाके में थ्री माइल आइलैण्ड में परमाणु हादसा हुआ। बीस मील के दायरे में रहने वाली करीब 6 लाख आबादी वाला इलाका खाली करवाया गया। हादसे में हुई मौतों पर कोई अधिकृत विश्वसनीय बयान भले न दिया गया हो लेकिन परमाणु संयंत्र के नजदीक रहने वाली आबादी में अनेक खतरनाक बीमारियों के बढ़ने की अनेक गैर सरकारी रिपोर्टें आयी हैं। परमाणु विकिरण युक्त 40 हजार गैलन पानी को नज

विदर्भ की ताप-बिजली परियोजनाओं की पुर्नसमीक्षा होगी
Posted on 04 Jul, 2011 06:03 PM

9 अप्रैल को चौथी दुनिया के महाराष्ट्र संस्करण के विमोचन के तीन पखवाड़े के भीतर ही अखबार की विशेष रिपोर्ट्स ने कमाल दिखाना शुरू कर दिया। विदर्भ में पानी की कमी, सिंचाई के बैकलाग और ताप-बिजली परियोजनाओं की दी जा रही मंजूरी से भविष्य में होने वाले परिणामों को लगातार अमरावती के लोग अब प्यासे मरेंगे, पानी पर अधिकार किसका-उद्योगों का या खेतों का, सरकार नहीं जानती विकास क्या है, शीर्षक के अंतर्गत प्रक

मेंढ़ा लेखा गांव
Posted on 31 May, 2011 12:07 PM

महाराष्ट्र के गढ़-चिरौली का एक गांव मेंढ़ा लेखा जहां के लोगों का कहना है कि अपने गांव में हम स्वयं ही सरकार हैं। और दिल्ली, मुंबई की सरकार हमारी सरकार है। यानि इनके लिए सरकार का मतलब सिर्फ राज्य और देश की राजधानी में बैठे चंद नेता नहीं हैं, बल्कि यहां के लोगों की खुद की एक सरकार है और यहीं असली सरकार राज चलता है। धनोड़ा तहसील में बसे मेंढ़ा गांव में गोंड आदिवासियों के 84 परिवार (2007 तक जनसंख्य

परमाणु ऊर्जा के तेज प्रसार के खतरे
Posted on 23 May, 2011 12:37 PM

यह समय सिद्ध है कि परमाणु ऊर्जा न तो साफ सुथरी है और न ही सस्ती! इसके अलावा दुर्घटना की स्थिति में होने वाले विनाश का आकलन कर पाना भी कठिन है। इसके विकिरण सैकड़ों-हजारों वर्षों तक पर्यावरण में विद्यमान रहेंगे और मानवता को नुकसान पहुंचाते रहेंगे। भारत के राजनीतिज्ञों ने परमाणु ऊर्जा विकास को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है और देश की सुरक्षा को दरकिनार कर दिया है।

भारत सरकार परमाणु ऊर्जा के तेज प्रसार का निर्णय ले चुकी है। नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से अभी तक हम जितनी बिजली पूरे देश में प्राप्त कर सके हैं, उससे कहीं अधिक बिजली निकट भविष्य में मात्र एक परियोजना, महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी जिले में स्थित जैतापुरा जहां 1650 मेगावाट के छः सयंत्र लगाने से अथवा 9900 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता से प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इस विशालकाय परियोजना का विरोध वैसे तो स्थानीय लोग आरंभ से कर रहे हैं, पर जापान के फुकुशिमा हादसे के बाद इस विरोध ने और अधिक जोर पकड़ा है। वैश्विक जन-विरोध को फुकुशिमा के बाद बेहतर समझा जा रहा है और उसे अधिक व्यापक समर्थन मिल रहा है। परंतु महाराष्ट्र सरकार के दृष्टिकोण में बहुत कम परिवर्तन आया है। वह इस परियोजना को हर हालत में आगे ले जाने के लिए तैयार लगती है। भारत सरकार के दृष्टिकोण में बस इतना सा फर्क आया है कि सुरक्षा पक्ष को थोड़ा सा और पक्का कर दिया जाए।
पानी किसका: उद्योगों का या खेतों का
Posted on 10 May, 2011 09:48 AM

प्राधिकरण की स्थापना का मूल उद्देश्य ही यह था कि पानी का समान वितरण हो, पानी की बर्बादी रुके, इ

महाराष्ट्र सरकार का कारनामाः अब प्यासे मरेंगे अमरावती के किसान
Posted on 09 May, 2011 09:59 AM

बिजली बनानी हो तो किसानों-आदिवासियों की कुर्बानी ली जाती है। सड़क बनानी हो तो किसानों की जमीन छ

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