महाराष्ट्र

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भूमिगत जल/जल स्रोतों का सदुपयोग
Posted on 10 Oct, 2008 02:16 PM बरसात की माप
(गांव तितवी, तालुका परोला, जिला- जलगांव, महाराष्ट्र)
उद्देश्य:
गांववालों को बारिश की वास्तविक मात्रा और एक जल वर्ष में पानी कुल उपलब्धता के बारे में जागरुक बनाना। अडगांव (यावल तालुका), तितवी (परोला तालुका) और मालशेवगा (चालीसगांव तालुका) में रेनगॉग बनाए गए और बारिश की मात्रा जानने की प्रक्रिया शुरू की गई।
भूमिगत जल/जल स्रोतों का सदुपयोग
Posted on 10 Oct, 2008 12:02 PM

वर्तमान स्रोतों की रक्षा-
( गांव- पटूरदा, तालुका संग्रामपुर, जिला-बुलढ़ाना, महाराष्ट्र)
पूर्व स्थितियां:
जल के मुख्य स्रोत कुएं सूखे और उपेक्षित थे और उनमें से कुछ कूड़ेदान में तब्दील हो गए थे।
सारांश-

सूखे को पटकता पाटा
Posted on 01 Jan, 1970 05:30 AM

महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित जिलों में सब्जियाँ उगाकर महिलाएं सूखे से लड़ने का एक अनूठा प्रयोग चलाये हुए हैं। दशकों पहले के पाटा पद्धति को अपनाकर वे आज विदर्भ में सूखे को मात दे रही हैं। उत्तर भारत के लोग भी शायद भूले नहीं होंगे ‘बांड़ा’ को, आप जब भी जाइए, कुछ न कुछ मिल ही जाएगा। अपर्णा पल्लवी की एक रिपोर्ट

ललिताबाई अपने पाटा से सब्जी तोड़ती हुईं
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