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/regions/maharashtra-1
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विदर्भ देश के सबसे पिछड़े इलाकों में माना जाता है। वहां पर देश के सबसे ज्यादा किसानों ने अत्महत्या की है। सिंचाई के समुचित प्रबंध न होना और मौसम का अनियमित होना विदर्भ के किसानों के दुख का सबसे बड़ा कारण है। पर सरकारों की कंपनी पक्षधर नीतियों ने किसानों के उपलब्ध जल में से ही कंपनियों को देना शुरू कर दिया है। सिंचाई को उपलब्ध होने वाला पानी कंपनियों को देने से किसानों का कृषि संकट बढ़ेगा ही। महाराष्ट्र सरकार के सिंचाई से हटाकर शहरी और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जल आवंटन का रास्ता विदर्भ के लिए खतरनाक साबित होगा। उस पर तुर्रा यह कि 123 थर्मल पॉवर प्लांट लगने हैं और सभी को बेशुमार पानी चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया का सिंचाई परियोजनाओं पर बूरा असर पड़ेगा, बता रही है ग्रीनपीस की रिपोर्ट।
मुंबई, 3 दिसम्बर, 2012: ग्रीनपीस ने आज वर्धा व वैनगंगा नदी में जल उपलब्धता व थर्मल पावर प्लांट्स से इन नदियों पर होने वाले प्रभाव पर एक वैज्ञानिक रिपोर्ट (1) जारी करते हुए कहा कि विदर्भ क्षेत्र में चल रहे तापीय बिजली घरों द्वारा पानी की अतिरिक्त मांग करने से आने वाले दिनों में पूरे इलाके में जल संकट बढ़ जायेगा और सिंचाई व अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी मिलना मुश्किल होगा।