अशोक वानखड़े

अशोक वानखड़े
तेलंगाना के हितों की बलि चढ़ता विदर्भ
Posted on 14 May, 2012 11:15 AM
अपनी सरकार को संकट से बचाने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने कांग्रेस आलाकमान को इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र सरकार से हरी झंडी दिलवाने की गुहार लगाई। इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने परियोजना के करार पर हस्ताक्षर कर अपने विदर्भ के हितों की बलि दे दी। वैसे पश्चिम महाराष्ट्र के नेताओं द्वारा विदर्भ के हितों की बलि कोई पहली बार नहीं दी गई। इन्हीं विदर्भ के हितों के बल
पानी के लिए तरसता महाराष्ट्र
Posted on 07 May, 2012 09:22 AM
महाराष्ट्र राज्य के जलाशयों की हालत इतनी खराब है कि अभी सही से गर्मी भी नहीं पड़ रही है और राज्य के सभी बांधों में मात्र 27 प्रतिशत पानी बचा है। पिछले साल यह प्रतिशत 42 था। पुणे क्षेत्र के पिंपलगांव, जोग, टेमघर, गुंजवणी और कूर्डि-वडज बांधों में मात्र चार प्रतिशत पानी बचा है। राज्य के 12 बांध पूरी तरह से सूख गए हैं। राज्य के बड़े बांधों की हालत भी ठीक नहीं है। महाराष्ट्र के पानी की परेशानी के बा
पानी के लिए जहां बहता है खून
Posted on 15 Aug, 2011 10:10 AM

9 अगस्त 2011 इतिहास में दर्ज हो जाएगा, 9 अगस्त 1942 को गांधी जी ने बम्बई में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। 9 अगस्त 2011 को अब किसानों की जायज मांगों को बेरहमी दमन करने के लिए गोली चलाई गई। किसानों की मांग है कि पावना बांध का पानी पहले उनके खेतों में जाना चाहिए, ना कि शहर में। किसानों का ये आंदोलन तीन साल पुराना है। वो 2008 से ही पावना डैम से पिंपरी चिंचवाड़ तक पाइप लाइन बिछाने का विरोध कर रहे हैं। किसानों को डर है कि पाइप लाइन बन जाने से उन्हें सिंचाई के लिए भरपूर पानी नहीं मिलेगा। यह रपट भास्कर अखबार से ली गई है . . .

पूरे देश ने राखी और आजादी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया। लेकिन पुणे जिले के मावल क्षेत्र के किसानों के घर मातम छाया हुआ था। अपने हिस्से का पानी पिंपरी चिंचवड़ को दिए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे मावल क्षेत्र के किसानों ने बडर गांव के पास जब मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर जाम लगा दिया और उनका आंदोलन हिंसक हो गया तो पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में चार लोग मारे गए। मारे गए किसान मोरेश्वर साठे, श्यामराव तुपे की बहनें और शांताबाई ठाकुर के भाई जीवनभर रक्षाबंधन से वंचित रहेंगे।

प्रश्न यह नहीं कि कौन गलत था और कौन सही। असली सवाल तो यह है कि हर बार राज्य की जनता को न्याय पाने के लिए कानून हाथ में क्यों लेना पड़ता है? चाहे वह नागपुर के न्यायालय में माननीय न्यायाधीश के सामने महिलाओं द्वारा की गई एक बलात्कारी की हत्या हो या मावल के लोगों द्वारा किया गया आंदोलन।

थोड़ा है, काफी कुछ करने की जरूरत है
Posted on 30 Jan, 2012 02:16 PM

कोंकण के डहाणू में प्राथमिक स्कूल के एक शिक्षक ने होली के त्योहार को स्वच्छता से जोड़ते हुए पूरे स्कूल के बच्चों को गांव में होली के त्योहार के एक दिन पहले साफ सफाई करने को प्रोत्साहित किया। पूरे गांव में बच्चों ने झाड़ू लगाकर नालियां साफ कर होली की तैयारी की। बच्चों को साफ-सफाई करते देख गांव के युवक भी इस अभियान में शामिल हो गए। सफाई के लिए जाने जाने वाले संत गाडगे बाबा का नाम लेकर 'देवकी नंदन गोपाला' का नारा लगाते हुए पूरे गांव की सफाई की गई। अब वहां होली के पहले सफाई का काम एक त्योहार बन गया है।

अकोला जिले के संगलूड़ गांव में रीना और अमोल इंगले नाम के भाई-बहन ने पिछले तीन महीनों से स्कूल जाना छोड़ दिया। इसके पहले भी शिक्षकों ने इंगले के घर जा कर बच्चों को स्कूल भेजने की उनके पिता बंडू इंगले से गुजारिश की थी, लेकिन आश्वासन देने के बाद भी बंडू ने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। बंडू के इस रवैए से परेशान शिक्षकों ने एक जुगत लगाई। एक दिन रीना की पूरी कक्षा को लेकर शिक्षक उसके घर पहुंचे और रीना को साथ बिठाकर पढ़ाना शुरू कर दिया।
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