बाबा मायाराम
बाबा मायाराम
मराठवाड़ा में बीज बचाती महिलाएँ
Posted on 12 Mar, 2015 01:42 PMपिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक रहा है।
इटारसी में पानी का निजीकरण
Posted on 11 Mar, 2015 04:17 PMइटारसी नगर में अतिरिक्त पानी लाने की जरूरत ही नहीं थी क्योंकि इटारसबिजली न डीजल, फिर भी सिंचाई
Posted on 13 Feb, 2015 03:16 PMप्रकृति, वन्य जीव और जंगल का संरक्षण करते हुए कृषि के लिए पानी की व्यवस्था करना सम्भव हुआ। इससे
किसान विरोधी नया कानून
Posted on 24 Jan, 2015 04:01 PMइन दिनों केन्द्र सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का देश भर में व्यापक विरोध हो रहा है। इस कानून के खिलाफ विरोध व्यापक होता जा रहा है। हाल ही मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले एक कम्पनी के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ एक किसान ने आत्मदाह की कोशिश की गई और घटना से गुस्साए किसानों पर गोली चलाई गई है। हाल ही में सरकार ने इस अध्यादेश के जरिए लागू कर दिया है।नर्मदा का पूर्णिमा मेला
Posted on 13 Jan, 2015 03:22 PMइस बार सोमवती पूर्णिमा पर स्नान के लिए नर्मदा गए। अमावस्या पर भी गए थे। आज छोटा मेला भी लगा था। काफी रौनक थी। भीड़ भी थी।
किसानों की मुसीबत बढ़ रही है
Posted on 02 Jan, 2015 04:10 PMइन दिनों किसानों की मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ किसानोें को धान का समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है, बोनस नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ गेहूँ के लिए खाद और खासतौर से यूरिया की किल्लत से किसान परेशान हैं। मध्य प्रदेश में तो कई जगह यूरिया को पुलिस निगरानी में वितरित किया जा रहा है।जड़धार एक आदर्श गाँव है
Posted on 16 Dec, 2014 04:00 PMजड़धार में जंगल बचाने, पानी-मिट्टी का संरक्षण, परम्परागत खेती और देशी बीज बचाने का अनूठा काम हु
बैगाओं की टिकाऊ खेती
Posted on 02 Dec, 2014 11:48 AM हाल ही में कुछ किसान कार्यकर्ता मित्रों ने मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले का दौरा किया। वे वहां बैगा आदिवासियों की पारंपरिक बेंवर खेती को देखने गए थे। वे सभी बैगाओं की खेती, सरल व रंगीन जीवनशैली से बहुत प्रभावित हुए।
हेंवलघाटी में बीज बचाने में जुटी हैं महिलाएं
Posted on 18 Nov, 2014 03:31 PM उत्तराखंड की हेंवलघाटी का एक गांव है पटुड़ी। यहां के सार्वजनिक भवन में गांव की महिलाएं एक दरी पर बैठी हुई हैं। वे अपने साथ एक-एक मुट्ठी राजमा के देशी बीज लेकर आई हैं। इनकी छटा ही आकर्षित थी। रंग-बिरंगे देशी बीज देखने में सुंदर ही नहीं, बल्कि स्वाद में भी बेजोड़ हैं, पोषक तत्वों से भरपूर हैं।बीज बचाओ आंदोलन की बैठक गत् 6 नवंबर को पटुड़ी में आयोजित की गई थी। मुझे इस बैठक में बीज बचाओ आंदोलन के सूत्रधार विजय जड़धारी के साथ जाने का मौका मिला। बीज बचाओ आंदोलन के पास राजमा की ही 220 प्रजातियां हैं। इसके अलावा, मंडुआ, झंगोरा, धान, गेहूं, ज्वार, नौरंगी, गहथ, जौ, मसूर की कई प्रजातियां हैं।