बाबा मायाराम

बाबा मायाराम
सूख गईं नदियाँ, रह गईं तो बस कहानियाँ
Posted on 10 Apr, 2018 06:18 PM


गर्मी ने दस्तक दिया नहीं कि जल संकट की खबरें आम हो जाती हैं। पर मध्य-प्रदेश के सतपुड़ा व अन्य इलाकों की स्थिति कुछ अलग है। यहाँ पानी की किल्लत मौसमी न रहकर स्थायी हो गई है। ज्यादातर नदियां सूख गई हैं। नरसिंहपुर और होशंगाबाद जिले की, सींगरी, बारूरेवा, शक्कर, दुधी, ओल, आंजन, कोरनी, मछवासा जैसी नदियां पूरी तरह सूख गई हैं। इनमें से ज्यादातर बारहमासी नदियां थीं। पीने के पानी से लेकर फसलों के लिए भी पानी का संकट बढ़ गया है।

दम तोड़तीं नदियाँ
दक्षिण भारत का चिपको
Posted on 24 Dec, 2017 12:23 PM


Appiko movement in south india

चिपको आन्दोलन की तरह दक्षिण भारत के अप्पिको आन्दोलन को अब तीन दशक से ज्यादा हो गए हैं। दक्षिण भारत में पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने में इसका उल्लेखनीय योगदान है। देशी बीजों से लेकर वनों को बचाने का आन्दोलन लगातार कई रूपों में फैल रहा है।

दक्षिण भारत में पेड़ों के साथ खड़े अप्पिको आन्दोलन के लोग
सूखे में भी उपयोगी है बारहनाजा
Posted on 08 Sep, 2017 10:54 AM


हाल ही में उत्तराखण्ड के बीज बचाओ आंदोलन के विजय जड़धारी जी ने बताया कि सूखे की स्थिति में भी वहाँ झंगोरा और मड़िया की फसल अच्छी है। यही खास महत्त्व की बात है बारहनाजा जैसी मिश्रित फसलों की। जहाँ एक ओर सूखे से हमारे मध्यप्रदेश के किसान परेशान हैं, उनकी चिंता बढ़ रही है, वहीं उत्तराखण्ड में बारहनाजा की कुछ फसलें किसानों को संबल दे रही हैं।

pahadi sanva ki kheer
पहाड़ पर लौटी हरियाली
Posted on 18 Sep, 2016 03:53 PM

सम्पर्क संस्था जैविक खेती पर जोर दे रही है। परम्परागत फसलों व
कैसे रुकेगी बाढ़
Posted on 10 Sep, 2016 10:41 AM

प्रकृति के करीब
Posted on 06 Sep, 2016 12:26 PM


पिछले माह मुझे गुजरात में कच्छ-भुज में स्थित प्राकृतिक चिकित्सा फार्म में ठहरने का मौका मिला। हम वहाँ एक कार्यक्रम के सिलसिले में गए थे। इस फार्म का नाम था- निजानंद फार्म।

यह हरीपर गाँव में था। भुज से चार-पाँच किलोमीटर दूर। सबसे कम बारिश वाले इलाके में बहुत हरा-भरा फार्म मनमोहक था। सरसराती हवा, रंग-बिरंगे फूल, शान्त वातावरण। कुछ सोचने और तलाशने का वातावरण।

महिला किसान की जैविक खेती
Posted on 04 Sep, 2016 11:19 AM


एक अकेली महिला किस तरह जैविक खेती कर सकती है, इसका बहुत अच्छा उदाहरण मंजुला सन्देश पाडवी है। न केवल उसने इससे अपने परिवार का पालन-पोषण किया बल्कि अपनी बेटी को पढ़ाया लिखाया और अब वह नौकरी भी कर रही है।

वर्षाजल और जंगल बचाना होगा
Posted on 02 Sep, 2016 03:39 PM

जंगल बचाने का नायाब उदाहरण उत्तराखण्ड का है जहाँ बीज बचाओ आन्
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