Journeying from setbacks to successes, one step at a time
Community leverages MGNREGS and NRLM to strengthen its livelihood resource base
Cattle pond in the village (Image: FES)
सिंचाई जल प्रबंधन हेतु बदलना होगा खेती-बाड़ी का तौर-तरीका
धरती पर मौजूद कुल जल का मात्र 2.5 प्रतिशत स्वच्छ या मीठा जल है लेकिन इस स्वच्छ या मीठे जल का 68.7 प्रतिशत भाग ग्लेशियर के रूप में अथवा बर्फ के रूप में ध्रुवों पर जमा हुआ है। शेष जल में 30.1 प्रतिशत भूमिगत और सतह पर नदी, नालों, तालाबों और झीलों आदि में विद्यमान है जो जल जमीन के ऊपर है उसका 67.4 प्रतिशत भाग झीलों में और मात्र 1.6 प्रतिशत भाग नदियों में विद्यमान है।
खेती-बाड़ी का तौर-तरीका
वाह, क्या नदियां हैं !
गंगा, भारत की सबसे प्रसिद्ध और पवित्र नदी है। यह हिमालय पर्वत से निकलती है तथा बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। इसकी लंबाई 2500 किलोमीटर से भी अधिक है। हिमालय से निकलकर यह ऋषिकेश में आती है। और वहां से हरिद्वार के मैदान में आ जाती है। लंबाई की दृष्टि से विश्व में गंगा का स्थान 39वां तथा एशिया में 15वां हैं।
गंगा, भारत की सबसे प्रसिद्ध और पवित्र नदी
जलविज्ञानीय कहावतों का वैज्ञानिक विश्लेषण
जब बादल नीचे होता है तो उसका रंग काला दिखाई देता है, लेकिन जो बादल ऊँचा होता है वह भूरे रंग का दिखायी देता है। जब तक बादल की डायनेमिक कूलिंग नहीं होती बादल पानी में नहीं बदलता, जब बादल नीचे से ऊपर उठता है
जलविज्ञानीय कहावतों का वैज्ञानिक विश्लेषण,Pc-Wikipedia
Water scarcity and psychological distress among women
This study found that factors such as poor access to water intersected with menstruation related norms and beliefs thus exacerbating distress among urban poor women.
Women often lack access to adequate water and sanitation facilities. Image for representation purposes only (Image Source: Simon Williams / Ekta Parishad via Wikimedia Commons)
सिल्पालीन अस्तरीकृत जलकुंड - कोंकण के कृषकों के लिए वरदान
महाराष्ट्र राज्य के कोंकण विभाग की भू-भौतिक अवस्था राज्य तथा देश के अन्य भागों से अलग है। यहाँ जून से अक्तूबर तक औसतन 3000 से 3500 से मिली मीटर वर्षा होती है, किन्तु फिर भी गर्मियों में पीने के पानी की समस्या बनी रहती है
सिल्पालीन अस्तरीकृत जलकुंड - कोंकण के कृषकों के लिए वरदान,PC-Wikipedia
जल प्रबंधन एवं जबलपुर के तालों का समीक्षात्मक अध्ययन (Study of water management and Ponds of Jabalpur)
आधुनिक समय में तकनीकी विकास के कारण जल संसाधनों का प्रचुर प्रयोग सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, मत्स्य पालन, जल परिवहन तथा उद्योग आदि के लिए किया जा रहा है, और जल की खपत मानव की प्रगतिशीलता का द्योतक बन गयी है। भूमिगत जल स्तर नीचे जाने से जल में लवणीयता भी बढ़ गयी है, क्योंकि भूमि के नीचे का मीठा पानी कम हो जाने से उसमें लवणयुक्त पानी मिलता जा रहा है। तटीय क्षेत्रों में भूमिगत जल स्रोतों में मीठा पानी कम हो जाने से समुद्र का खारा पानी रिसकर इन स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है।
जबलपुर के ताल,PC-Wikipedia
Challenges for pastoral communities in eastern India
Financial difficulties have pushed some pastoralists to give up their customary work
Adapting migratory pastoralists to climate change in India (Image: CGIAR; CC BY-NC-ND 2.0)
भारत में जल उपलब्धता एवं जल गुणवत्ता (Essay on Water Availability and Water Quality in India)
जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है।प्रकृति ने जल का एक चक्र बनाया है, इसमें जल बिना खर्च हुए घूमता रहता है, समुद्र से जल वाष्पीकरण, वर्षा फिर नदियों में बहना धरती में भूजल के रूप में इकट्ठा होना फिर बहकर समुद्र में मिलना ये चक्र चलता रहता है लेकिन यदि मानव इसमें अपना हस्तक्षेप करेगा तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
प्राकृतिक जल, PC-Wikipedia
हिमाचल और उत्तराखंड त्रासदी: हम प्रकृति को मार रहे हैं, इसका खामियाजा हम भुगत रहे
विशेषज्ञों की परिवर्तन पर मानें तो हम प्रकृति को मार रहे हैं, वो हमें मार रही है। उनका मानना है कि अब वक्त पहाड़ी राज्यों में प्रकृति की इस विनाश लीला पर शोक मनाने का नहीं है। अब वक्त है जलवायु तत्काल कार्यवाही करने का।
जलवायु परिवर्तन
जलीय खरपतवार : समस्याएं एवं नियंत्रण (Essay on Aquatic Weeds: Problems and Solutions)
आज स्वच्छ पेयजल की समस्या एक जटिल वैश्विक चुनौती के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित हैं और आगे आने वाले कुछ वर्षों में पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण करेगी, जिससे विश्व के सभी देश स्वच्छ जल को पाने के लिए युद्ध करेंगे। आज शहरों के अधिकांश नाले जिनमें मल, मूत्र, घरेलू कूड़ा कचरा एवं अन्य अपशिष्ट एवं रासायनिक पदार्थ मौजूद होते हैं वे हमारी नदियों में जाकर गिरते हैं, वहीं शहरों में स्थापित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ, प्लास्टिक एवं अन्य अशुद्धियाँ भी हमारी नदियों को प्रदूषित करती हैं। हमारे जलस्रोतों को प्रदूषित करने में खरपतवार भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
जलकुम्भी खरपतवार,PC-Wikipedia
आर. ओ. प्लांट पेयजल की शुद्धता का एक अति आवश्यक संयंत्र
आर ओ प्लांट का सबसे अहम हिस्सा है मेम्ब्रेन। यह मेम्ब्रेन 4 इंच के गोलाकार प्लास्टिक पाइप के अंदर लगी होती है। यह मेम्ब्रेन असल में पोलिएस्टर के धागों से बना एक रोल होता है और इन धागों के मध्य में बहुत ही महीन कपड़ा लगा होता है, जो एक प्रकार से छन्नी के तौर पर काम करता है। यह मेम्ब्रेन चार भागों में बटी होती है। मेम्ब्रेन का प्रमुख कार्य एच. पी. पंप से प्राप्त खारे पानी में मौजूद अशुद्धियों को दूर करना है एवं पीने योग्य शुद्ध जल का उत्पादन करना है।
आर. ओ. प्लांट  पेयजल की शुद्धता का एक अति आवश्यक संयंत्र,Pc-जल चेतना
सावन की ऋतु आई
‘गर्मी पाकर पानी के अणु हवा पर सवार हो जाते हैं। इसे हम वाष्पन कहते हैं। गर्मी की उपलब्धता बढ़ने के साथ वाष्पन की गति बढ़ती जाती है। पानी के अणु एकल होते हैं तो उन्हें उठाए रखने में हवा को कोई परेशानी नहीं होती है। जलयुक्त हवा ऊपर उठ कर ठण्डी हो जाती है तो पानी के अणु आपस में चिपक कर सूक्ष्म बूंदों में बदलने लगते हैं। यहीं बादलों की उत्पत्ति होती है। बादलों की आपसी रगड़ से उनमें धन या ऋण आवेश पैदा हो जाता है। विपरीत आवेश के बादल पास में आने पर ऋण आवेश छलांग लगा कर एक बादल से दूसरे में जाता है तो मार्ग चमकता है, गर्जन पैदा होती है।’
 वर्षा के साथ मेंढक, मछली व केंचुए भी बरसते हैं
जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव
‘भारत की अधिकांश छोटी-बड़ी नदियाँ प्रदूषण की चपेट में आ गई हैं। सर्वाधिक पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। जल प्रदूषण की समस्या एक जटिल समस्या है। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल मनुष्य हीं अपितु पशुओं, मछलियों, चिड़ियों पर भी पड़ता है। प्रदूषित जल न पीने योग्य, न कृषि के लिए और न उद्योगों के अनुकूल होता है। पेयजल का संकट किस कदर बढ़ता जा रहा है इसका नमूना है बोतलबंद पानी का फलता-फूलता संसार। नगरों तथा महानगरों में बोतलबंद पीने के पानी की बिक्री आम होती जा रही है।’
जल प्रदूषण के मानवीय कारक
विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर इंडिया वाटर पोर्टल द्वारा फोटो- कम्पटीशन का आयोजन
विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर इंडिया वाटर पोर्टल द्वारा फोटो- कम्पटीशन का आयोजन हो रहा है।
 इंडिया वाटर पोर्टल द्वारा फोटो- कम्पटीशन का आयोजन
पराधीनता की बेड़ियों में कोई नहीं जकड़ा रहना चाहता चाहे वो मनुष्य हो या फिर जीव-जंतु और प्रकृति
नदियाँ निर्बाध रूप से बहना चाहती हैं, जंगल स्वतंत्र और गतिशील रहना चाहते हैं तथा पंछी खुले आसमान में जीवनपर्यंत स्वच्छंद उड़ान भरने की चेष्टा करते हैं। आजाद रहना वन, नदी, पर्वत, पंछी और वन्यजीवों का प्राकृतिक अधिकार है। 
आजाद रहना वन, नदी, पर्वत, पंछी और वन्यजीवों का प्राकृतिक अधिकार है,Pc-Wikipedia
इतिहास के पन्नों से हमारे जल-योद्धा
77 वें स्वतंत्रता दिवस पर औपनिवेशिक काल (1800-1947) की जल गाथा 

इतिहास के पन्नों से हमारे जल-योद्धा,PC-वरुण गोयल
Raindrops and Ripples
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जैविक खाद का काम,जल की बचत के साथ ही दे पौधों को नई जान
अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व रसायन मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता को समाप्त कर रहे हैं।
नीम से खाद तैयार,PC-Wikipedia
कलकल, छलछल,बहती गंगा
पूरे विश्व में किसी भी नदी की तुलना में गंगा सर्वाधिक आबादी को प्रभावित करती है।
धार्मिक आस्था का प्रतीक गंगा,PC-Wikipedia
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