नदियां और हम (भाग-2)
पवित्रता की कोई ऐसी व्याख्या किसी भी हिन्दू के मन में संभव ही नहीं, जिसमें जीवन के शेष कर्म पवित्रता अपवित्रता से निरपेक्ष यानी 'सेकुलर' हों और कोई एक या कुछेक कर्म ही पवित्र हों। इसी प्रकार गंगा-गोदावरी की चाहे जितनी महिमा गाई जाए, वह महिमा उस विश्व- दृष्टि का ही सहज अंग है, जिसके अनुसार ईश्वर या परम सत्ता कण-कण में सर्वत्र व्याप्त है
नदियां और हम,फोटो क्रेडिट ; विकिपीडिया    
नदियां और हम (भाग-1)
प्राचीन काल में भारतीयों की मान्यता यह थी कि संपूर्ण सृष्टि में एक ही अखंड सत्ता सर्वत्र है। किंतु प्रत्येक प्राणी को इस अखंड बोध का अस्फुट आभास मात्र रहता है क्योंकि सामान्यतः प्राणी अपनी ही लालसाओं- 'योजनाओं की तात्कालिक पूर्ति में व्यस्त रहते हैं।
नदियां और हम, फोटो क्रेडिट:विकिपीडिया
One stop shop and services: Skilling rural Maharashtra
A pioneering initiative of training and skilling Young WASH Entrepreneurs (YWEs) as WASHMitras has not only helped solve the need for operation and maintenance of WASH facilities in schools in Maharashtra, but also helped empower WASHMitras in the process.
(Image Source: CYDA, PEF, UNICEF (2022) One stop shop and services: Bringing 21st century skills to rural Maharashtra)
पटना 'नदी संवाद' की संक्षिप्त रिपोर्ट
देश के स्तर पर देखे तो 1952 में 2.5 करोड़ क्षेत्र बाढ़ प्रवण था जो अब बढ कर  5 करोड़ हेक्टेयर हो गया।  फरक्का बराज के कारण पश्चिम बंगाल और बिहार में बाढ़ से तबाही बढ़ रही है।  दामोदर घाटी परियोजना  के कारण  गंगा के मुहाने पर पानी की कमी और साद  के जमाव की समस्या उत्पन्न हो गई।  इस कारण कोलकाता बंदरगाह पर संकट उत्पन्न हो गया।
पटना में नदी संवाद का आयोजन,फोटो क्रेडिट:-अशोक भारत
Water and worries of Bodh Gaya
Water is a major concern for the poor, who do not have the financial capability to exploit resources
Mahabodhi Mahavihara Temple, Bodh Gaya, Bihar (Image: Hiroki Ogawa, Wikimedia Commons)
ActionAid Association provides emergency relief to communities battered by floods in India
Heavy rains and flooding have ravaged parts of north India recently
ActionAid provides relief as the flood situation in north India wreaked havoc on the lives and livelihoods of people (Image: ActionAid Association)
भारत में सतत कृषि विकास हेतु नवाचार
रत में पर्याप्त जैव विविधता है लगभग 8% दुनिया के प्रलेखित पशु और पौधों की प्रजातियां हमारे देश में पाई जाती हैं। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18% का योगदान करता है तथा देश के 50% से अधिक लोगों को रोजगार भी देता है।
भारत में सतत कृषि विकास हेतु नवाचार,फोटो क्रेडिट:-विकिपीडिया
जलवायु अनुकूल खेती
जलवायु परिवर्तन अब सैद्धांतिक बौद्धिक परिचर्चा से बाहर निकल कर वास्तविकता बन चुका है। साल-दर-साल न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की खबरें आम हो चली हैं। ये दुष्प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में मानवता के अस्तित्व पर संकट के रूप में उभरे हैं और कृषि इनमें सबसे प्रमुख है।
जलवायु अनुकूल खेती,फोटो क्रेडिट-विकिपीडिया
कोयला-आधारित स्‍टील निर्माण क्षमता बढ़ी, इसकी कीमत पर्यावरण को चुकाना होंगी 
इतिहास में ऐसा पहली बार है जब भारत कोयला आधारित स्‍टील उत्‍पादन क्षमता के विस्‍तार के मामले में चीन को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंच गया है। भारत में कोयला आधारित ‘ब्‍लास्‍ट फर्नेस-बेसिक ऑक्‍सीजन फर्नेस’ क्षमता का 40 प्रतिशत हिस्‍सा विकास के दौर से गुजर रहा है, जबकि चीन में यही 39 फीसद है।हालांकि हाल के वर्षों में कोयला आधारित इस्पात निर्माण का कुछ भाग उत्पादन के स्वच्छ स्‍वरूपों को दे दिया गया है मगर यह बदलाव बहुत धीमी गति से हो रहा है।
कोयला-आधारित स्‍टील निर्माण क्षमता बढ़ी,क्रेडिट फोटो:- Wikepdia
खेती के नए स्वरुप को अपना रहे हैं पहाड़ों के किसान
वर्तमान समय में सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है. चाहे वह बढ़ता तापमान हो, उत्पादन की मात्रा में गिरावट की बात हो, जल स्तर में गिरावट हो या फिर ग्लेशियरों के पिघलने इत्यादि सभी जगह देखने को मिल रहे हैं. जलवायु में होने वाले बदलावों ने सबसे अधिक कृषक वर्ग को प्रभावित किया है
मशरूम के साथ मनोज बिष्ट,फोटो क्रेडिट:चरखा फीचर
गोचर का प्रसाद बांटता लापोड़िया-भाग 2
बरसात होते ही पूरे गांव के बैल चौइली में भेजे जाते थे। यहां प्राकृतिक चारा उपलब्ध होता था। पचास बीघे की इस चौइली में किसी एक परिवार के नहीं, जमींदार या ठिकानेदार परिवार के नहीं बल्कि गांव के सभी परिवारों के बैल छोड़े जाते थे। बरसात में उठा यह चारा दीपावली तक थोड़ा कमजोर हो जाता था। उसके बाद चौइलो के बैल बीड़ में भेजे जाते और बैलों से खाली हुई चौइली में अब गाय और बकरी की बारी आती।
चौका
जल प्रबंधन में प्रशिक्षित पेशेवरों की बढ़ती जरूरत
जल संरक्षण व प्रबंधन समस्याओं से निपटने के लिए जल प्रबंधन के पेशेवरों की जरूरत बढ़ रही है।
जल प्रबंधन में प्रशिक्षित पेशेवर,PC-नीड पिक्स
डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन की कृषि-जल संबंधी मुद्दों के नवाचार-स्केलेबल समाधानों के लिए करोड़ों के पुरस्कार की घोषणा
डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और द/नज इंस्टीट्यूट ने कृषिजल संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए 2.6 करोड़ रुपये के प्राइज चैलेंज की घोषणा की है।
डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन एग्री-वाटर चैलेंज,PC-DCM
जलांगी नदी को पश्चिम बंगाल चुनाव में 58 वोट मिले
पश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव-2023 में पर्यावरण एक बड़ा अहम मुद्दा बना। नदी और पर्यावरण राजनीतिक दलों के एजेंडे से कहीं अधिक आम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने।
पश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव
खुला खत - राजधानी को प्रलय से बचाने के लिए यमुना को जल स्वराज्य चाहिए
राजधानी दिल्ली यूँ तो समय-समय पर सुखाड़-बाढ़ के प्रलय झेलती रही है। भारत की राजधानी सुखाड़ के प्रलय से सबसे पहले फतेहपुर सीकरी से उजड़कर आगरा आयी थी। आगरा में युमना के किनारे लम्बे समय तक हमारी राजधानी रही। फिर आगरा से उजड़कर दिल्ली आयी।
 सुखाड़-बाढ़ के प्रलय,PC-विकिपीडिया
She the change: Empowering voices, enriching workplaces
The inaugural Women at Work Conference of Arthan
Recognising intersectionality and prioritising accessibility was seen as essential for creating a diverse and supportive work environment. (Image: Arthan)
सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी
भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर प्रति व्यक्ति जीडीपी किसी देश या क्षेत्र में प्रति व्यक्ति औसत आर्थिक उत्पादन का आकलन करता है। भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र के योगदान में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में विविधता आई है
सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी, फोटो क्रेडिट:विकिपीडिया
यमुना के लिए दिल्ली के श्मशान घाट से लेकर राजघाट तक, दिल्ली सचिवालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के किवाड़ बंद क्यों
हिंदुस्तान भर में पहले दिल्ली की सियासी शतरंज की चालों पर चर्चा होती थी। परंतु आज उसकी बाढ़, बदहाली, दिल्ली हुकूमत के मरकज, दिल्ली सचिवालय से लेकर महात्मा गांधी के राजघाट, जवाहरलाल नेहरू के शांतिवन, इंदिरा गांधी के शक्ति स्थल, सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली के श्मशान घाट तक के दीवार के किवाड़ बंद होने पर जारी है।
यमुना,फोटो क्रेडिट:-Iwp Flicker
पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन एक बहुत ही विस्तृत विषय है और इसके लगभग सभी क्षेत्रों पर कुछ ना कुछ प्रभाव है, पर्वतीय क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। विश्व के सभी पहाड़ पृथ्वी की सतह के लगभग 20% के क्षेत्रफल पर फैले हुये हैं साथ ही विश्व की कुल जनसंख्या के 10% लोगों को घर और 50% लोगों को कृषि भूमि की सिंचाई हेतु जल, औद्योगिक उपयोग और घरेलू उपभोग के लिए मीठा पानी प्रदान करते हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव,फोटो क्रेडिट :-IwpFlicker
हिमालयी नदियों द्वारा बढ़ती तबाहीः कारण तथा निवारण (Increasing Devastation by Himalayan Rivers: Reasons and Remedy)
हिमालय पृथ्वी का सबसे युवा तथा कच्चा पर्वत है। इसलिए यह प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील है।
हिमालयी नदियाँ,PC-विकिपीडिया
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