गौला नदी की 'हत्या'
‘उत्तराखंड में प्रकृति का कोप हर साल बढ़ता ही जा रहा है। पर इसे लेकर हम नाहक रोना-पीटना करते हैं। रिपोर्टर्स कलेक्टिव की एक खोजी रिपोर्ट बताती है कि केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड सरकार का साथ देते हुए नियमों को ताख पर रखकर किस तरह गौला नदी को मारने पर आमादा खनन की अनुमति बार-बार दी जा रही है’


खनन से बेजार गौला नदी, प्रतीकात्मक तस्वीर
How to save Punjab from floods?
The devastation caused by the torrential rains that pounded Punjab serves as yet another painful reminder of the cost associated with our hasty urban expansion and unplanned development.
Green regulations and environmental warnings are often disregarded by our planners. (Image: Rawpixel, CC0)
महिपाल सिंह नेगी की पुस्तक ‘टिहरी की जलसमाधि’ का लोकार्पण आमंत्रण
महिपाल नेगी की किताब ‘टिहरी की जलसमाधि’ कुछ पल उन डूब चुकी गलियों और मोहल्लों के बीच टहलने सरीखा है। जहां कभी हमने जिंदगी के हसीन वक्त गुजारे। गजब का रिसर्च वर्क और महत्वपूर्ण दस्तावेजों से भरी ये किताब भर नहीं बल्कि पुरानी टिहरी से नई पीढ़ी को मुखातिब कराता एक संग्रहालय भी है।
टिहरी की जलसमाधि की प्रतिकात्मक फोटो
स्वच्छ बड़ा मंगल,आस्था संग पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता की पहल
लखनऊ का गौरव लक्ष्मणपुरी होने में लक्ष्मणपुरी का गौरव श्री राम भक्त हनुमान के होने में हैं और हनुमानजी का गौरव लक्ष्मणपुरी के ज्येष्ठ मास में आयोजित होने वाले बड़े मंगल के भंडारों में है।
भंडारों का आयोजन,PC-नीड़ पिक्स
Wading through stagnant waters can be risky
Walking unprotected through stagnant or accumulated waters in urban as well as rural areas can expose you to diseases such as leptospirosis. What is leptospirosis? What are its causes? 
Working for long hours in collected waters can increase the risk of leptospirosis (Image Source: India Water Portal)
Designing for inclusion
How can architecture and design play an important role in redevelopment and rehabilitation to improve the built environment for marginalised communities.
How can architecture support marginalised communities (Image: Community Design Agency)
हमारी लापरवाही हमें संकट में डाल देती है
बाढ़ के प्रतिकूल प्रभावों में शामिल कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जो मानव को कई वर्ष पीछे ले जाती हैं. इस तबाही में मानव जीवन की हानि तो होती ही है, बड़ी संख्या में संपत्ति और बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचता है. सड़कें बर्बाद हो जाती हैं. भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।


हमारी लापरवाही हमें संकट में डाल देती है ,फोटो क्रेडिट - विकिपीडिया
हजारों जलस्रोत अतिक्रमण का शिकार समाज और सरकार करें भूल सुधार
सरकार अब आयोग बनाकर पीड़ितों की सुनवाई करने के पश्चात उनकी संपत्तियां लौटाने की तैयारी में है। ये पीड़ित इस मामले में भाग्यशाली हैं कि उन्हें सताने वाले माफिया का एक चेहरा था और उसके अंत के पश्चात उनकी लूटी संपत्ति वापस मिलने की संभावना है। लेकिन बीते वर्षों में उत्तर प्रदेश में जलस्रोतों की ऐसी लूट हुई है
हजारों जलस्रोत अतिक्रमण,फोटो क्रेडिट-लोक सम्मान
ग्लोबल वार्मिंग पर डरावनी चेतावनी भारत के खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका
उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को तापमान को 1.5  डिग्री तक कम करने के लिए वित्तीय और तकनीकी मदद करते हैं।  उन्होंने आगाह किय कि जलवायु टाइम- बम को डिफ्यूज करने में मददगार साबित हो सकती है। गुटेरेस ने कह, रिपोर्ट से पता चला है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5  डिग्री  सेंटीग्रेड तक नीचे रखा जा सकता है
भारत के खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका, फोटो क्रेडिट : लोक सम्मान
जल निधियों का संरक्षण एवं सम्मान, जल उत्सव अभियान
लोक भारती ने इस दिशा में अनेक सार्थक व सफल कदम उठाए हैं। इसी क्रम में 960  किमी परिधि में गोमती नदी से सम्बन्धित सभी 13  जिलों में तथा 33  स्थानों पर गोमती अध्ययन एवं गोमती अलख यात्रा तथा गोमती मित्र मण्डल का गठन किया गया है। इस क्रम में 'मां गंगा समग्र चिंतन द्वि दिवसीय गोष्ठी का दो बार सफल आयोजन हुआ है। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक क्षेत्र में 'गंगा समग' के नाम से व्यापक अभियान तथा केंद्र एवं राज्य सरकार के स्तर पर नामामि गंगे जैसे कार्य का शुभारम्भ उत्साहवर्धक एवं प्रेरक है।
जल निधियों का संरक्षण एवं सम्मान, जल उत्सव अभियान,फोटो क्रेडिट:-लोक सम्मान
The pit lakes of Raniganj
While pit lakes are formed as discards of open pit mining operations, they store huge amounts of water and support the drinking and daily water needs of communities living around them. Sustainable plans to improve water quality and biodiversity in the pit lakes are crucial.
Pit lakes can provide a great source of water. Image for representation only (Image Source: Aniket Rajendra Ingole via Wikimedia Commons)
Nudging farmers to conserve water
Study investigates whether the package of both training and comparisons would be more effective than training alone to urge farmers to conserve water in a field experiment in Haryana.
Alternate Wetting and Drying (Image: Zoheb Mahmud Khan)
निरंतर बढ़ रहा प्रकृति का प्रकोप आत्मघाती होगी खतरे की अनदेखी
आगामी महीनों में विशेषज्ञ जहां अत्यधिक गर्मी पड़ने की आशंका जता रहे हैं, वहीं कुछ पूर्वानुमानों के अनुसार इस बार सामान्य से कम बारिश होने की भी आशंका है। भूकंप और भूस्खलन भी अब नियमित घटना बनते जा रहे हैं। ऐसे में जिन कारणों से प्रकृति का कोप बढ़ रहा है, उनका निवारण करने की नितांत आवश्यकता है।
भारत में प्राकृतिक आपदाएं,वीडियो क्रेडिट- विकिपीडिया
प्रदूषण मुक्त ऊर्जा व्यवस्था की उम्मीदों पर फिर गया पानी
भारत की मेजबानी में इस साल गोवा में चौथी G20 एनर्जी ट्रांज़िशन वर्किंग ग्रुप (ETWG) की बैठक आयोजित की गयी।
G20 एनर्जी ट्रांज़िशन वर्किंग ग्रुप ,PC-विकिपीडिया
नदी की जुताई
जिलाधिकारी असीम कुमार गुप्ता ने नदी जुताई के इस अभिनव प्रयोग के शिल्पकार जानकार मोतीलाल पटेल को "वॉटर मॅन ऑफ शहादा" से सम्मानित किया।
जुलाई का पहला पानी ,PC-विकिपीडिया
कृषि क्षेत्र में बढ़ती महिला उद्यमी
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अधीनस्थ केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर अपने अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना केंद्रों के माध्यम से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में महिला संबंधी विषयों पर शोध कर रहा है।
कृषि क्षेत्र में बढ़ती महिला उद्यमी, फोटो क्रेडिट: कुरुक्षेत्र
सतत कृषि विकास की दिशा में पहल
भारत में कृषि क्षेत्र आज बदलाव की राह पर है। हरितक्रांति भारत के दौर में कृषि क्षेत्र में हम आधुनिक कृषि तकनीक, उच्च उत्पादकता वाले बीजों तथा उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के साक्षी रहे हैं। परंतु अब खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि की ओर बढ़ती वैश्विक जागरूकता के दौर में भारतीय कृषि क्षेत्र के भविष्य को पुनः परिभाषित करने की आवष्यकता है।
सतत कृषि विकास की दिशा में पहल,फोटो क्रेडिट: विकिपीडिया
जैविक खेती की संभावनाएं
हम भारतवासियों का स्वभाव होता है कि हम हमेशा नए विचारों के स्वागत के लिए तैयार रहते हैं। हम अपनी चीजों से प्रेम करते हैं और नई चीजों को आत्मसात भी करते हैं। इसी का एक उदाहरण है जापान की तकनीक मियावाकी,अगर किसी जगह की मिट्टी उपजाऊ नहीं रही हो, तो मियावाकी तकनीक, उस क्षेत्र को फिर से हरा-भरा करने का बहुत अच्छा तरीका होती है।
आलू की जैविक खेती,फोटो क्रेडिट:- विकिपीडिया
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