नदी बचाओ सम्मेलन 15-16 सितम्बर 2023 
आप सब से आग्रह रहा है कि आप दूर-दूरसे, नदियों से जुड़े, नदियों की सुरक्षा के प्रति कटिबंध और संघर्षशील अध्ययनकर्ता रहे साथी, जहां तक संभव हो, 15 और 16 सितंबर 2 दिन के लिए पधारे नर्मदा घाटी में, 38 साल तक चले संघर्ष और निर्माण के क्षेत्र में।
G -20 के सन्दर्भ में नदी बचाओ सम्मेलन,PC-wikipedia
वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत
ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (जीडब्ल्यूईसी) और एमईसी+ द्वारा जारी की गयी एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अगले पांच वर्षों के भीतर 21.7 गीगावाट तक नई पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकता है. इससे साल 2027 तक भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता 63.6 गीगावॉट तक बढ़ जाएगी.
वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत,PC-(FB Narendra Modi)
जी-20 लीडर्स समिट में भारत के पास वित्‍तीय सुधारों के मामले में उभरने का मौका
दुनिया में डीकार्बनेशन के लिए जितने धन की जरूरत है उतना उपलब्ध हो पाएगा? इसीलिए ब्‍लेंडेड फाइनेंस का सवाल खड़ा होता है। दुनिया को डीकार्बनाइजेशन के लिए पूंजी की जरूरत है। इसके लिये ब्लेंडेड कैपिटल, फिलांट्रॉफीज और डीएफआई को साथ लाकर काम करना होगा
जी-20 लीडर्स समिट में भारत के पास वित्‍तीय सुधारों के मामले में उभरने का मौका,Pc- वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत,PC-(FB Narendra Modi)
जी 20 और जलवायु: भारत दिखाएगा अपनी करिश्माई नीति निर्माण शक्ति
वैश्विक नीति निर्माण की दशा और दिशा बदलने वाली इस बैठक पर रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस बैठक से परहेज करने के हाल के निर्णय असर डालेगा। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के भरसक प्रयासों के बावजूद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की गैर-मौजूदगी से इस समिट की कामयाबी पर शंका के बादल छा गये हैं।
भारत दिखाएगा अपनी करिश्माई नीति निर्माण शक्ति,वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत,PC-(FB Narendra Modi)
स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ते कदम
भारत सरकार ने देश की वृद्धि के साथ पर्यावरणीय प्रबंधन को जोड़ने और उसके बीच संतुलन बनाए रखने की योजना तैयार की है, जिससे वर्ष 2024- 25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ-साथ वर्ष 2030 तक देश को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा दिलाया जा सके।
स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ते कदम
जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
ये बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण हुए हैं, यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने अपने अवलोकनों की तुलना एक ऐसे जलवायु मॉडल से की जो बताता है कि ग्रीनहाउस गैस बढ़ने पर समुद्र पारिस्थितिकी तंत्र में किस तरह के बदलाव आएंगे। तुलना में उन्होंने पाया कि मॉडल के नतीजे और उनके अवलोकन मेल खाते हैं।वास्तविक कारण पता लगाना बाकी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संभवतः यह समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि का सीधा प्रभाव नहीं है
जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
राजस्थान : गायब होते गोचर की लड़ाई
देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में गोचर को बचाने का बड़ा मुद्दा है। पिछले साल गायों के प्रति आदर भाव रखने वाले लोगों ने लंबे अरसे तक आंदोलन करके सरकार को उस फैसले को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर किया था
गायब होते गोचर की लड़ाई
क्या हिमालय दिवस का विचार केवल चिंता करने तक सीमित था ?
केंद्र की सरकार एक मजबूत केंद्रीय हिमालय नीति बनाने के लिए हिमालय का मंत्रालय तो बनाएगा ही साथ ही हिमालय के पृथक विकास के मॉडल को निर्धारित करने के लिए आमजन द्वारा प्रस्तुत की गई हिमालय लोक नीति के सुझाव के अनुरूप हिमालय नीति का निर्धारण करेगी। 
हिमालय दिवस
पर्यावरण परिक्रमा(environmental revolution)
उत्तराखंड के चमोली में सीवेज राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) शोधन संयंत्र (एसटीपी) हादसे के बाद अब देश के 10 राज्यों में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत बनाए गए सभी एसटीपी का आडिट कराने जा रहा है। इसमें एसटीपी में विद्युत सुरक्षा मानकों के साथ ममें तमाम बिंदुओं पर स्थिति की जानकारी जाएगी।
पर्यावरण परिक्रमा
Ellara Bengaluru: A collaborative initiative for a climate-resilient and inclusive city
Prominent social impact networks and individuals join forces to launch a coalition with the aim of fostering climate resilience and inclusivity in Bengaluru
Ulsoor lake, Bangalore (Image: Ali Rizvi, Wikimedia Commons)
What are the major challenges facing urban drinking water supply in India?
Effective governance is crucial for addressing the water sector challenges and ensuring sustainable water management
Governance mechanisms often fail to ensure effective community participation, leading to top-down approaches that may not suit local contexts (Image: Hippopx; Creative Commons Zero - CC0)
संसाधन संरक्षण की सामान्य विवेचना की झाँकी में जल संरक्षण की उपयोगिता एवं उपाय
देश काल क्षेत्र एवं परिस्थितियों के अनुसार संसाधनों की उपलब्धता वहाँ की जनसंख्या, उसकी मांग एवं जीवन स्तर, विदोहन, उपयोग की दिशा तथा परिमाण पर निर्भर है तथा इसका अविवेकपूर्ण दोहन तथा अनियंत्रित उपयोग अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है। या तो वे सम्पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेंगे अथवा रूप परिवर्तन अथवा प्रदूषण के फलस्वरूप निष्प्रभावी हो जायेंगे और नहीं तो पर्यावरणीय समस्या पैदा कर देंगे।
प्राकृतिक संसाधन
पुरा- बाढ़ अध्ययन की आकल्पन में उपयोगिता
वर्तमान युग संगणक युग माना जाता है। जलविज्ञान ने इसकी सहायता से पिछले कुछ दशकों में अच्छी प्रगति की है। पुरा - बाढ़ तकनीक के माध्यम से ऐसी बाढ़ जो सौ दौ सौ अथवा हजारों साल पहले कभी किसी नदी में आई थी उनके परिणाम काफी हद तक शुद्ध रूप से मापे जा सकते हैं।
पुरा- बाढ़
देश में बाघों का अमृतकाल
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई को जारी इन आंकड़ों से प्रसन्न मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बाघ का पुनर्स्थापन कठिन काम है । यह समाज के सहयोग के बिना संभव ही नहीं है। अतएव हम सब भावी पीढ़ियों के लिए  प्रकृति संरक्षण का एक बार फिर संकल्प लें। बाघों की यह गिनती 'कैमरा ट्रैपिंग पद्धति से की गई है।
देश में बाघों का अमृतकाल
महासागरों का प्रबंधन जल जगत
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि भविष्य में हमारा विकास और समृद्धि समंदरों पर निर्भर रहेगी। इनके महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में टिकाऊ विकास सम्बंधी सम्मेलन में हरित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाकर नीली अर्थव्यवस्था तक ले जाने पर ज़ोर दिया था। संयुक्त राष्ट्र ने महासागरों, सागरों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण को निर्वहनीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में शामिल किया है।
महासागरों का प्रबंधन जल जगत
उरुग्वे में जल आपातकाल हमारा भूमण्डल
लंबे समय से सूखे के कारण पानी की आपूर्ति करने वाले विभाग को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा था। यह सब तब हुआ जबकि उरुग्वे दुनिया के सबसे स्वच्छ, सबसे प्रचुर जलस्रोतों वाले देशों में से एक है। वर्ष 2004 में उरुग्वे ने पानी को निजीकरण से बचाने के लिए संविधान में संशोधन किया था और देश में पानी एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में चिन्हित किया गया था ।
उरुग्वे में जल आपातकाल हमारा भूमण्डल,Pc-पर्यावरण डाइजेस्ट
घायल पर्यावरण को बचाने की गुहार
पृथ्वी पर जीवन कैसे पनपा, उसका विकास और इसमें मानव का क्या स्थान है? प्राचीन काल में अनेक भीमकाय जीव (डायना सोर) विलुप्त क्यों हो गए क्योंकि वह प्रकृति के अनुकूल जीव नहीं था इसलिए अंतरिक्ष से आये उल्का प्रपात ने उनको नष्ट कर दिया और इस पैमाने को मानदंड बनाया जाए तो इस दृष्टि से क्या अनेक वर्तमान वन्यजीवों के लोप होने की आशंका है। क्या मानव को भी कहीं प्रकृति नकार न दें? यदि वन्य जीव भू-मंडल पर न रहें, तो पर्यावरण पर तथा मनुष्य के आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तेजी से बढ़ती हुई आबादी की प्रतिक्रिया वन्य जीवों पर क्या हो सकती हैं आदि प्रश्न गहन चिंतन और अध्ययन के हैं।
घायल पर्यावरण को बचाने की गुहार
पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पिछले 22 वर्षों में एकत्र किये गये आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवर्ष धीरे-धीरे सर्दियों का न्यूनतम तापमान निरन्तर बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण उस समय सभी पक्षियों ने एक साथ उत्तर की ओर प्रवास नहीं शुरू किया बल्कि कई गर्म अनुकूल प्रजातियों नें उत्तर में कुछ और समय व्यतीत करना प्रारम्भ किया। गर्म अनुकूलन वाली प्रजातियां दशक पहले दक्षिण में केवल जाड़े की प्रजातियां हैं। उत्तर पूर्वी अमेरिका में धीरे-धीरे गर्म-अनुकूलित पक्षियों का प्रभुत्व बढ़ रहा है।
पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
आँखों देखी:- साइंस एक्सप्रेस-क्लाइमेट एक्शन स्पेशल का रवानगी समारोह
साइंस एक्सप्रेस क्लाइमेट एक्शन स्पेशल को चलाना यह दर्शाता है कि भारत सरकार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को प्रमुख वैश्विक खतरा मानती है। यह भारत सरकार द्वारा इस खतरे से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का भी सबूत है।
दिल्‍ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर अपने नाँवें चरण की यात्रा पर चलने को तैयार खड़ी 'साइंस एक्सप्रेस- क्लाइमेट एक्शन स्पेशल” रेलगाड़ी
सामंजस्य
रोजमर्रा के व्यस्त जीवन में यद्यपि हम प्रकृति से निरपेक्ष रहते हैं तथापि, ऐसा शायद ही कोई हो, जिसे प्रकृति ने आमंत्रण देते हुए अपनी ओर आकर्षित न किया हो। यह वही आकर्षण है जिससे खिंचे हुए हम कभी पहाड़ों में, कभी मैदानों में, कभी सागर तट पर या कभी विदेश में सैर-सपाटे के लिए जाते हैं
प्रकृति और मनुष्य,सामंजस्य से ही साथ रहते हैं
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