She the change: Empowering voices, enriching workplaces
The inaugural Women at Work Conference of Arthan
Recognizing intersectionality and prioritizing accessibility was seen as essential for creating a diverse and supportive work environment. (Image: Arthan)
सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी
भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर प्रति व्यक्ति जीडीपी किसी देश या क्षेत्र में प्रति व्यक्ति औसत आर्थिक उत्पादन का आकलन करता है। भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र के योगदान में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में विविधता आई है
सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी, फोटो क्रेडिट:विकिपीडिया
यमुना के लिए दिल्ली के श्मशान घाट से लेकर राजघाट तक, दिल्ली सचिवालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के किवाड़ बंद क्यों
हिंदुस्तान भर में पहले दिल्ली की सियासी शतरंज की चालों पर चर्चा होती थी। परंतु आज उसकी बाढ़, बदहाली, दिल्ली हुकूमत के मरकज, दिल्ली सचिवालय से लेकर महात्मा गांधी के राजघाट, जवाहरलाल नेहरू के शांतिवन, इंदिरा गांधी के शक्ति स्थल, सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली के श्मशान घाट तक के दीवार के किवाड़ बंद होने पर जारी है।
यमुना,फोटो क्रेडिट:-Iwp Flicker
पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन एक बहुत ही विस्तृत विषय है और इसके लगभग सभी क्षेत्रों पर कुछ ना कुछ प्रभाव है, पर्वतीय क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। विश्व के सभी पहाड़ पृथ्वी की सतह के लगभग 20% के क्षेत्रफल पर फैले हुये हैं साथ ही विश्व की कुल जनसंख्या के 10% लोगों को घर और 50% लोगों को कृषि भूमि की सिंचाई हेतु जल, औद्योगिक उपयोग और घरेलू उपभोग के लिए मीठा पानी प्रदान करते हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव,फोटो क्रेडिट :-IwpFlicker
हिमालयी नदियों द्वारा बढ़ती तबाहीः कारण तथा निवारण (Increasing Devastation by Himalayan Rivers: Reasons and Remedy)
हिमालय पृथ्वी का सबसे युवा तथा कच्चा पर्वत है। इसलिए यह प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील है।
हिमालयी नदियाँ,PC-विकिपीडिया
प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण (Increasing Fury Of Nature:Causes & Remedies)
प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है।
प्राकृतिक आपदा,PC-विकिपीडिया
पर्यावरणीय चेतना
आज का युग पर्यावरणीय चेतना का युग है। हर व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति चिंतित है।
हमारा पर्यावरण,PC-विकिपीडिया
Prioritise citizen participation in India's environmental policy development: Civis
Civis and Rainmatter Foundation have launched Climate Voices, a first-of-its-kind guide aimed at enabling and accelerating public consultation in co-creating India’s environmental laws 
Need to improve citizen participation in India's environment and climate policymaking (Image: Caniceus/ Pixabay)
भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें
वर्ष 2000 से लेकर अब तक की शहरी बाढ़ की प्रमुख घटनाओं में अगस्त 2000 में हैदराबाद, जुलाई 2003 में दिल्ली, जुलाई 2005 में मुंबई, अगस्त 2006 में सूरत सितम्बर 2014 में श्रीनगर, दिसम्बर 2015 में चेन्नई तथा अक्टूबर 2020 में हैदराबाद की घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। शहरी बाढ़ का ताजा शिकार हैदराबाद है। बंगाल की खाड़ी में विकसित एक गहरे दबाव के कारण 13-14 अक्टूबर, 2020 को शहर के साथ-साथ तेलंगाना में भी असामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा हुई।
भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें,फोटो क्रेडिट:-विकिपीडिया
प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन
प्राकृतिक प्रकोपों के विषय में सामान्य विचारों के भौतिक परिवर्तन की आवश्यकता है। यद्यपि बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक घटनाओं से इनका आरम्भ होता है फिर अधिकतर प्रकोप मानवकृत हैं । कुछ प्रकोप जैसे भूस्खलन, सूखा, वनों में आग आदि अपेक्षाकृत पर्यावरण और साधनों के कुप्रबन्ध के कारण अधिक होते हैं। अन्य प्रकोपों, भूकम्प, ज्वालामुखी, बादल फटना मूर्खता पूर्ण आचरण से और भी भीषण हो जाते हैं। इन सबमें बाढ़ और सूखा आपदायें मुख्य हैं । बाढ़ या सूखा आने से हर क्षेत्र में प्रभाव पड़ता है। इससे मानव जीवन, पशुधन, कृषि, जल संसाधन तथा अर्थ-व्यवस्था पर सीधे प्रभाव पड़ता है।
प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन,फोटो क्रेडिट:- IWPFlicker
Fourteen Indian states have better resilience to floods
These states are at the forefront of flood early warning systems
Previously drought-prone areas are now facing floods (Image: Needpix)
संस्थाएं, आर्द्राभूमियां और अन्य खुले जल मत्स्यपालन प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी
हमारे देश में वर्तमान मत्स्य उत्पादन लगभग 8.0 मिलियन टन (एमटी) आंकलित किया गया है, जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2015 तक इसकी अनुमानित मांग 12 मिलियन टन (एमटी) से भी अधिक होने की संभावना है।
मत्स्यपालन प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी,फोटो क्रेडिट: - WIKIPEDIA
सिंधु जल समझौता 1960 फिर क्यों चर्चा में
भारत एवं पाकिस्तान के मध्य जल विवाद बंटवारे के समय से ही चला आ रहा है। वास्तव में जब बंटवारा हुआ तो भारत से निकलने वाली रावी एवं सतलुज नदियों के जल पर विवाद खड़ा हो गया था। ये नदियां भारत एवं पाकिस्तान दोनों देशों से होकर बहती है किस देश को कितनी मात्रा में पानी मिले इस बात को लेकर दोनों देशों में मतभेद थे। भारतीय उप महाद्वीप का उत्तर पश्चिमी क्षेत्र सिन्धु प्रदेश है।
सिन्धु नदी प्रणाली,फोटो क्रेडिट :-राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की
सरदार सरोवर जलाशय में गाद का प्रबंधन
नदी के प्रवाह में अवरोध से तथा जलाशय में जल के भराव से नदी के गाद प्रवाह में व्यवधान पड़ता है। बांध निर्माण द्वारा अवरूद्ध हुए प्रवाह से नदी में बह रही गाद जलाशय में जमा होने लगती है। गाद जमा होने से  बांध की भण्डारण क्षमता घट जाती है, जिसके कारण बांध की आयु कम हो जाती है।
सरदार सरोवर जलाशय,फोटो क्रेडिट-विकिपीडिया
हरित धारा से ही जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण संभव
गांवों में किसान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं. वर्षा ऋतु के आगमन के साथ बच्चों की वह उक्ति फीकी पड़ गई है- ‘घोघो रानी कितना पानी?’ चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. एक तरफ दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब भारी बारिश में बाढ़ के हालात झेल रहा है वहीं दूसरी ओर बिहार जैसे राज्य प्रचंड गर्मी की वजह से तप रहे हैं. जहां की धरती तापमान बढ़ता जा रहा है
जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण,फोटो क्रेडिट :- चरखा फीचर
लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान
यदि 5 जून को ही पर्यावरण दिवस मनाने का बहुत मन अथवा बाध्यता ही हो तो इस दिन पौधरोपण की बजाय अन्य कार्य जैसे इस विषय पर जागरूकता कार्यक्रम, हरियाली माह में वृक्षारोपण के स्थान चयन एवं अन्य तैयारी आदि करें।
लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान,फोटो क्रेडिट:- लोक सम्मान
एक डॉक्टर की पोषण वाटिका
पोषण वाटिका एक ऐसा विकल्प है जो यह सुनिश्चित करता है कि लोगों के समक्ष हरे-भरे और पोषक तत्वों से भरपूर प्राकृतिक आहार की उपलब्धता बनी रहे।
 पोषण वाटिका,PC-लोक सम्मान 
वैकल्पिक न हो, अमृतरूपी वर्षाजल शेष रहने के लिए पात्र एवं पात्रता की आवश्यकता
इस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिसके कारण आसमान से बरसने वाले अमृत को हम सहेज नहीं पाते।
वर्षा जल संरक्षण, फोटो क्रेडिट:- IWP Flicker
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