आर. ओ. प्लांट पेयजल की शुद्धता का एक अति आवश्यक संयंत्र

आर. ओ. प्लांट  पेयजल की शुद्धता का एक अति आवश्यक संयंत्र,Pc-जल चेतना
आर. ओ. प्लांट पेयजल की शुद्धता का एक अति आवश्यक संयंत्र,Pc-जल चेतना

आर. ओ. प्लांट का शाब्दिक अर्थ है "रिवर्स ऑस्मोसिस" यह एक ऐसी आधुनिक मशीन है, जो खारे पानी में मौजूद विभिन्न प्रकार के लवण (नमक) और अन्य हानिकारक जीवाणुओं को अलग करके स्वच्छ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाती है। 

आर.ओ. प्लांट के भाग

आर.ओ. प्लांट विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े उपकरणों को जोड़कर तैयार की गई मशीन है।

इस प्लांट के प्रमुख भाग इस प्रकार हैं:

कंट्रोल पैनल:- 

पूरे प्लांट को नियंत्रित करने के लिए कंट्रोल पैनल का सहारा लिया जाता है। यह पैनल प्लांट को मिलने वाले विद्युत प्रवाह व उसके विभिन्न उपकरणों को होने वाली विद्युत सप्लाई को नियंत्रित करता है। इसमें कई छोटे-बड़े बटन लगे होते हैं, इनमें प्रमुख हैं ऑटो इस बटन को दबाने पर मशीन स्वतः ही कार्य करने लगती है। इस प्रणाली में सबसे पहले आर. डब्ल्यू. पंप (रॉ वॉटर पंप) चलता है, जिसके दस सैकंड बाद हाई प्रेशर पंप स्वतः कार्यरत हो जाता है।

मैन्यूअल:- 

इस बटन को दबाने से मशीन स्वतः कार्य नहीं करती, बल्कि हमें स्वयं कंट्रोल पैनल पर लगे अलग-अलग बटनों को दबाना पड़ता है ताकि मशीन शुरू हो सके। यह बटन बैक वॉश व मेम्ब्रेन वॉश (फिल्टरों की सफाई) प्रक्रिया में भी कार्य करता है।

बोल्टमीटर:-

यह मीटर बिजली के वोल्टेज को दर्शाता है। इस मीटर में 400 वोल्टेज की बिजली सप्लाई दर्ज होनी चाहिए। अगर मीटर में बिजली 400 वोल्टेज से कम है, तो प्लांट न चलाएं। इसका अर्थ है कि 3 फेस बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है और मशीन चलाने पर खराब हो जाती है।

एम्पियर मीटर:-

यह मीटर बिजली के एम्पियर को दर्शाता है। एम्पियर बिजली नापने की एक इकाई है।

टी.डी.एस मीटर: 

यह मीटर मशीन द्वारा उत्पादित किए गए स्वच्छ पानी के टी. डी. एस. (कुल घुलनशील अवयव) की मात्रा को दर्शाता है। इस मीटर से प्राप्त रीडिंग को रजिस्टर में प्रतिदिन दर्ज करना चाहिए। यदि मशीन 500 टी. डी. एस. से अधिक दर्शा रही है तो प्लांट न चलाएं और संबंधित व्यक्ति को तुरन्त सम्पर्क करें।

1. आर. डब्ल्यू पंप

यह पंप खारे पानी के टांके/टंकी से पानी को खींचकर मशीन में लगे फिल्टरों तक पहुंचाता है। इसलिए इसे आम भाषा में खारे पानी का पंप भी कहा जाता है। इस पंप की शक्ति 2 एच. पी. (हॉर्स पावर) की होती है। यह पंप मशीन का महत्वपूर्ण अंग है। इस पंप की मदद से न केवल आर.ओ. की प्रक्रिया बल्कि मेम्ब्रेन वॉश व बैक वॉश की प्रक्रिया भी की जाती है।

2.  फ्लोमीटर 

आर. ओ. प्लांट में दो फ्लोमीटर लगे होते हैं। यह फ्लोमीटर पारदर्शी होते हैं और इन पर स्केल बनी होती है, जिसके माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि पानी के बहाव की गति कितनी है। इन दोनों में से पहला फ्लोमीटर (क) यह दर्शाता है कि खारा पानी कितने लीटर प्रति घंटे के तहत मशीन में जाता है। वैसे सामान्यतः इसकी रीडिंग 2000-2500 लीटर प्रति घंटे होनी चाहिए। जबकि, दूसरा फ्लोमीटर (ख) शुद्ध पानी के बहाव को दर्शाता है और इसकी गति 1000 लीटर प्रति घंटा होनी चाहिए। इनकी गति को मेम्ब्रेन व आर. डब्ल्यू. पंप पर बने वॉल्व से नियंत्रित किया जा सकता है।

3. प्रेशर सेंड फिल्टर: 

यह प्लास्टिक से बना सिलिंडर के आकार का फिल्टर है, जिसमें बजरी, कंकर तथा छोटे पत्थरों की विभिन्न परतें होती हैं। खारा पानी जब इन परतों से गुजरता है, तो पानी में मौजूद तमाम सूक्ष्म तत्व (जिन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता) इसी में रह जाते हैं। इसे नियमित रूप से बैक वॉश करना आवश्यक होता है।

4. कार्बन फिल्टर 

यह प्लास्टिक से बना हुआ सिलिंडर के आकार का दूसरा फिल्टर है। इस फिल्टर में उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की कई परतें होती हैं। यह सैंड फिल्टर से आने वाले पानी को पुनः फिल्टर करता है। इसे भी नियमित रूप से बैक बॉश करना अति आवश्यक है। इन फिल्टरों से गुजरने पर पानी में मौजूद सूक्ष्म कण, रंग व दुर्गंध आदि साफ हो जाती है।

5. कॉल्टेज फिल्टर 

यह प्लास्टिक के आवरण में ढका हुआ एक छोटा सिलिंडर के आकार का फिल्टर है। इस फिल्टर में स्पंजनुमा एक गट्टा लगा होता है, जो पानी के मट-मैलेपन तथा अन्य अशुद्धियों को दूर करता है इसे हर 15 दिन के अंतराल में खोलकर देखना चाहिए। अगर इसका रंग गाड़ा मटमैला हो तो इसे तुरंत बदल देना चाहिए। यह फिल्टर प्लांट की आर.ओ. मेम्ब्रेन में सूक्ष्म कणों को जाने से रोकता है जिनसे मेम्ब्रेन को नुकसान पहुंच सकता है।

6. डोजिंग पंप आर.ओ.

प्लांट में चार डोजिंग पंप होते हैं। प्रत्येक डोजिंग पंप प्लास्टिक की छोटी टंकी पर लगा होता है। इन पंप का प्रमुख काम प्लास्टिक की टंकी में मौजूद रसायनों को नियंत्रित मात्रा में आवश्यकतानुसार पानी में मिलाने का होता है। एक बार डोजिंग कन्टेनर भरने पर डोजिंग की प्रक्रिया से लगभग 8000 लीटर शुद्ध पानी का उत्पादन होता है। डोजिंग टकियों को समय-समय पर पुनः रसायनों से भरते रहना चाहिए। चारों डोजिंग टंकियों में अलग-अलग रसायन भरे होते हैं और इनका अलग-अलग महत्व होता है:

क्लोरीन डोजिंग 

क्लोरीन की मात्रा 80 एम.एल. प्रति 35 लीटर होती है। इसका प्रमुख कार्य पानी में मौजूद अशुद्धियों को दूर करना होता है। यह डोजिंग सैंड फिल्टर से पहले पानी में मिलती है।
एसएमबीएस (सोडियम मेटा- बाईसल्फेट डोजिंग) 

इसकी मात्रा 50 ग्राम प्रति 35 लीटर होती है। इसका कार्य पानी में घुली हुई क्लोरीन की मात्रा को न्यूनतम रखने का होता हैं, जिसे डी- क्लोरीन भी कहते हैं। क्लोरीन के कण मेम्ब्रेन के छिद्रों को बढ़ा देते हैं, इसलिए हमें क्लोरीन को मेम्ब्रेन में पहुंचने से पहले ही रोकना होता है।

एंटी स्कैलेंट डोजिंग 

इसकी मात्रा 72 एमएल प्रति 35 लीटर होती है। यह आर.ओ. प्लांट के मेम्ब्रेन पर नमक को जमने नहीं देता है। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसकी अनुपस्थिति में प्लांट किसी भी हालत में नहीं चलाना चाहिए। एस.एम.बी.एस व एन्टी स्कैलेन्ट की डोजिंग नली हाई प्रेशर पंप से पहले पानी में मिलती है। ताकि मेम्ब्रेन में जा रहे पानी में इनका अच्छे से मिश्रण हो सके।

पीएच पाउडर डोजिंग 

इस पाउडर की मात्रा 50 ग्राम प्रति 35 लीटर होती है। यह पाउडर पानी के पीएच मान को बराबर रखने में मदद करता है। पीएच एक वैज्ञानिक शब्द है जो कि किसी द्रव्य की अम्ल या क्षारियता को दर्शाता है। इसलिए पानी के संदर्भ में पीएच मान 7 होना चाहिए। अतः यह पाउडर पीएच मान को 6.5 से 7.5 के बीच बनाए रखने में मदद करता है।

7. एच. पी. पंप 

एच. पी. यानी हाई प्रेशर पंप का प्रमुख काम खारे पानी को मेम्ब्रेन तक बहुत ही अधिक प्रेशर में पहुंचाने का होता है। यह पंप 5 हॉर्स पावर का होता है। इस पंप द्वारा पानी में उच्च दबाव बनाया जाता है जिससे आर.ओ. की प्रक्रिया कार्यान्वित होती है।

8. मेम्ब्रेन 

आर ओ प्लांट का सबसे अहम हिस्सा है मेम्ब्रेन। यह मेम्ब्रेन 4 इंच के गोलाकार प्लास्टिक पाइप के अंदर लगी होती है। यह मेम्ब्रेन असल में पोलिएस्टर के धागों से बना एक रोल होता है और इन धागों के मध्य में बहुत ही महीन कपड़ा लगा होता है, जो एक प्रकार से छन्नी के तौर पर काम करता है। यह मेम्ब्रेन चार भागों में बटी होती है। मेम्ब्रेन का प्रमुख कार्य एच. पी. पंप से प्राप्त खारे पानी में मौजूद अशुद्धियों को दूर करना है एवं पीने योग्य शुद्ध जल का उत्पादन करना है। एक मेम्ब्रेन का आकार (40 x 4) इंच होता है जो हमें 250 लीटर प्रति घंटा पानी का उत्पादन देती है। चूंकि प्लांट की उत्पादन क्षमता 1000 लीटर प्रति घंटा है तो इस बड़ी नली में चार मेम्ब्रेन ( 250 X 4 ) कार्यरत रहती हैं।

9. यू.वी. फिल्टर 

यू.वी. का शाब्दिक अर्थ है अल्ट्रावॉयलेट आर. ओ. प्लॉट में लगे इस उपकरण में मौजूद यू.बी. किरणों के बीच से पानी बहता है। ये यू.वी. किरणें पानी में मौजूद बैक्टीरिया व अन्य कीटाणुओं को खत्म कर देती हैं।

10. वॉटर मीटर

 यह मीटर उत्पादित पानी की कुल मात्रा को किलो लीटर में दर्शाता है। इससे हम जान सकते हैं कि आर.ओ. प्लांट ने कितना पानी अब तक उत्पादित किया है। इस रीडिंग को प्लांट चलाते समय व बंद करते समय लिखना होता है।

11. प्रेशर गेज 

आर.ओ. प्लांट में 5 प्रेशर गेज लगे होते हैं। यह पानी के दबाव को केजी प्रति स्क्वेयर सेंटीमीटर के रूप में दर्शाते हैं।

प्रेशर गेज (ए) व (बी) 

दो प्रेशर गेज सैंड फिल्टर व कार्बन फिल्टर पर लगे होते हैं तथा इनका दबाव 1 से 1.5 केजी प्रति स्क्वेयर सेंटीमीटर होना चाहिए। अगर प्रेशर गेज में दबाव बढ़ता है, तो इसका मतलब है फिल्टर में अशुद्धियां अधिक जमा हो गई हैं। इसलिए हमें फिल्टरों को बैक वॉश करना पड़ेगा। इसके अलावा यदि दबाव कम है तो आर. डब्ल्यू पंप सही मात्रा में पानी सप्लाई नहीं कर पा रहा। ऐसे में पंप की तुरंत जांच करें।

प्रेशर गेज (सी)

 एक प्रेशर गेज कॉल्टेज फिल्टर से पहले लगा होता है तथा इसका दबाव भी 1 से 1.5 केजी प्रति स्क्वेयर सेंटीमीटर होना चाहिए। आमतौर पर कॉल्टेज फिल्टर में अशुद्धियां जमा होने पर प्रेशर गेज में दबाव बढ़ जाता है, इससे पानी की सप्लाई पर असर पड़ता है।

प्रेशर गेज (डी) व (ई)

 दो प्रेशर गेज मेम्ब्रेन पर लगे होते हैं। इनमें से पहला हाई प्रेशर पंप द्वारा मेम्ब्रेन में भेजे गए पानी का दबाव दर्शाता है, जो 10 से 16 केजी प्रति स्क्वेयर सेंटीमीटर हो सकता है। प्रेशर गेज का अगर दबाव कम है तो इसका मतलब है कि हाई प्रेशर पंप अपनी क्षमतानुसार कार्य नहीं कर रहा है या उसे फिल्टरों से उचित मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा। वहीं अगर दबाव अधिक है तो मेम्ब्रेन के चोक या जाम होने की संभावना है व उसे कैमिकल क्लीनिंग की आवश्यकता है। ध्यान न दिए जाने पर मेम्ब्रेन को नुकसान हो सकता है और प्लांट के उत्पादन पर असर पड़ सकता है।

प्रेशर गेज (ई) 

प्लांट से निकलने वाले अशुद्ध पानी के दबाव को दर्शाता है तथा इसका दबाव 10 से 15 kg / cm तक होना चाहिए। इससे यह पता चलता है कि आर.ओ. प्लांट एक हजार लीटर प्रति घंटा स्वच्छ पानी का उत्पादन कर रहा है। यह दो प्रेशर गेज दरसल मेम्ब्रेन की स्थिति पर निर्भर करते हैं व दिए गए दायरे में कार्य करते हैं।

सबसे पहले कंट्रोल पैनल पर लगे मेन स्विच को चालू करें तथा ऑटो बटन को दबा दें। इससे आर. डब्ल्यू. पंप चालू हो जाएगा और वह खारे पानी की टंकी से पानी को खींचकर सँड फिल्टर में सप्लाई कर देगा। सैंड फिल्टर में खारा पानी कंकड़, बजरी आदि की विभिन्न परतों से होता हुआ फिल्टर होगा और उसके बाद पानी कार्बन फिल्टर में पहुंचेगा। कार्बन फिल्टर में पानी पुनः फिल्टर होगा और उसके बाद कॉल्टेज फिल्टर से होता हुआ पानी एच.पी. पंप तक पहुंचेगा। ऑटो व्यवस्था अनुसार टाइमर से एच. पी. पंप स्वतः आर.डब्ल्यू. पंप के दस सैकंड बाद शुरू हो जाता है। फिर एच. पी. पंप प्रेशर से पानी को मेम्ब्रेन में भेजेगा। मेम्ब्रेन में स्वच्छ व दूषित पानी अलग हो जाएगा। इस प्रकार हमें आर.ओ. प्लांट से पीने का पानी उपलब्ध हो जाता है।

बैक वॉश (फिल्टरों की सफाई) 

 सैंड फिल्टर तथा कार्बन फिल्टर को साफ करने की प्रक्रिया बैक वॉश कहलाती है। पानी के नियमित बहाव से इन फिल्टरों में ऊपर वाली परत पर अशुद्धियों की एक परत बन जाती है, जिन्हें इस प्रक्रिया द्वारा हटाया जाता है। यह प्रक्रिया आर.ओ. पंप को शुरू करने से पहले की जाती है, ताकि फिल्टरों में मौजूद अशुद्धियां साफ की जा सकें। बैक वॉश की प्रक्रिया निम्न प्रकार से की जाती है:

दोनों फिल्टरों पर एक हत्थानुमा बटन लगा होता है, जिसे सदैव फिल्टर-1 पर रखें। जब आपको बैक वॉश करना हो तो हत्यानुमा बटन को बैक वॉश-2 पर ले जाएं तथा खारे पानी के पंप को 15 मिनट तक चला दें। उसके बाद पंप को बंद करके बटन को रिन्स-3 पर ले जाएं और 5 मिनट तक चलाएं। यह प्रक्रिया सैंड फिल्टर के बाद कार्बन फिल्टर पर भी दोहराएं। इन दोनों फिल्टरों की सफाई करने के पश्चात यह ध्यानपूर्वक देख लें कि दोनों फिल्टरों के बटन एफ-1 पर वापस आ गए हौं ।

मेम्ब्रेनवॉश (मेम्ब्रेन की सफाई)

हर दिन पानी उत्पादित करने (लगभग 5000 लीटर) के बाद मेम्ब्रेन वॉश करना अनिवार्य होता है। पैनल को मैन्यूअल करने के बाद मेम्ब्रेन तथा साफ पानी की टंकी का वॉल्व खोलकर आर.डब्ल्यू. पंप 10 मिनट तक चलाना चाहिए। इससे मेम्ब्रेन मीठे पानी से साफ हो जाती है। ध्यान रखें कि खारे पानी की टंकी का वॉल्व मेम्ब्रेन वॉश करते समय बंद रहे
आर.ओ. प्लांट संचालन के नियम:- 

  1. आर. ओ. मशीन को प्रतिदिन बैक वॉश करना आवश्यक है। इससे फिल्टरों में अशुद्धियां जमा नहीं होंगी तथा स्वच्छ जल उपलब्ध हो सकेगा।
  2. बैक वॉश प्रक्रिया में केवल खारे पानी का पंप ही कार्य करता है तथा एच.पी. पंप का इसमें कोई कार्य नहीं होता है।
  3. मेम्ब्रेन वॉश रोज पानी उत्पादित करने के बाद जरूर करनी चाहिए।
आर. ओ. प्लांट  पेयजल की शुद्धता का एक अति आवश्यक संयंत्र
आर. ओ. प्लांट  पेयजल की शुद्धता का एक अति आवश्यक संयंत्र,स्रोत- जल चेतना

आर.ओ. प्लांट चलाने हेतु महत्वपूर्ण सावधानियां

आर.ओ. मशीन एक तकनीकी ईकाई है तथा इसके प्रत्येक भाग का अपना एक अलग महत्व है। प्रत्येक भाग अपनी कार्य प्रणाली के अंतर्गत ही कार्य करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये थ्री फेज बिजली से चलने वाली मशीन है। अतः इसे चलाने में सावधानी बरतें।

  1.  मशीन चलाते समय हमेशा रबड़ की चप्पलें पहने रखें।
  2. मशीन को चालू करने से पहले कंट्रोल पैनल बोर्ड पर लगे बोल्टमीटर को अवश्य देखें ताकि बिजली कम-ज्यादा होने पर कोई नुकसान न हो।
  3.  कंट्रोल पैनल बोर्ड को नहीं खोलें।
  4.  प्लांट भवन में अनावश्यक पानी नहीं गिराएं।
  5.  बैक वॉश प्रतिदिन करें। 
  6. डोजिंग प्रतिदिन करें।
  7.  मशीन चालू व बंद करते समय वॉटर मीटर से रीडिंग आवश्यक रूप से लें।

पानी में मौजूद लवण व रसायनों की निर्धारित मात्रा

पानी में कई प्रकार के लवण मौजूद होते हैं। इनकी पानी में मौजूदगी अगर निर्धारित मात्रा से ज्यादा हो तो शरीर में पहुंचने पर विभिन्न विकार उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि पानी में मौजूद प्रमुख लवणों की निर्धारित मात्रा हमें पता हो, ताकि विभिन्न शारीरिक समस्याओं से बचा जा सके।

पानी में मौजूद जीवाणु - कीटाणु 

पानी में कई प्रकार के जीवाणु-कीटाणु भी पाए जाते हैं। इनकी उपस्थिति इतनी व्यापक होती है कि एक बूंद पानी में ही यह असंख्य मात्रा में मौजूद रहते हैं। इन्हें सामान्यतः आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इनकी जरा सी उपस्थिति भी हानिकारक साबित हो सकती है। एक सर्वे के मुताबिक लगभग दस में से सात बीमारियां अशुद्ध पानी पीने से होती हैं। पानी में मुख्य रूप से निम्नलिखित जीवाणुओं की मौजूदगी होती है जिनसे हमें पीलिया, उल्टी, दस्त, तेज बुखार, हैजा व अन्य बीमारियां हो सकती है। 

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संपर्क करें:-
विमला गोयल आयुर्वेदरत्न,
सेक्टर एफ एच 369, स्कीम नं 54, नं
विजय नगर, इन्दौर,
मध्यप्रदेश, पिन-452010
मो.नं. 9425382228
ईमेल: sunilgoyal1967@gmail.com

स्रोत- जल चेतना । खण्ड 7, अंक 1 जनवरी 2018

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Post By: Shivendra
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