40 साल में अकेले खोद डाला तालाब गांव में पानी का इंतजाम करके ही लिया दम
40 वर्षों के प्रयास में उन्होंने अपने दम पर एक विशाल तालाब खोद डाला।
40 वर्षों के प्रयास में उन्होंने अपने दम पर एक विशाल तालाब खोद डाला,PC-लोक सम्मान
किसान, उपभोक्ता एवं पर्यावरण हितैषी प्राकृतिक कृषि
पुरातन काल में फसल के सूखे पत्ते भूमि पर गिरकर आच्छादन तैयार करते थे और फसल कटाई के बाद गांव का सभी देशी गोधन खेत में दिन भर चरता था। तब उनका गोबर - गोमूत्र भूमि पर अपने आप गिरता रहता था। इससे भूमि निरंतर जीवाणु समृद्ध होती थी।
जैविक खेती,फोटो क्रेडिट- लोक सम्मान
Implementing ‘just transition’ in India
The framework and methodological considerations
A just transition strategy needs to encompass techno-economic, socio-cultural, political and other varied aspects around energy transition and climate justice (Image: Kranich17/Pixabay/CC0)
Saamuhika Shakti: Empowering Bangalore waste pickers to live dignified lives
A collective impact effort, the first of its type in India that provides informal waste pickers a chance to live safe and dignified lives, with particular emphasis on gender and equity.
Waste pickers and sorters working hard to extract recyclable value from the waste we throw out (Image: Vinod Sebastian/ Saamuhika Shakti)
गंगा दशहरा पर गोमती संरक्षण का संकल्प
गोमती केवल एक नदी नही हमारी संस्कृति की संवाहिका है।  माँ गोमती हमें परमेश्वर से वरदान के रूप में मिली है।
गोमती संरक्षण अभियान,Pc-लोक सम्मान 
जैव विविधता को सहेजने की अपरिहार्यता
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ओर हम जैव विविधिता के संरक्षण के प्रति चिंता जताते हुए संगोष्ठियां करते हैं, नए कानून बनाते हैं, वहीं प्रति वर्ष लाखों हेक्टेयर वन एवं करोड़ों जीवों का विनाश कर जैव विविधता को चुनौती देते हैं। ऐसे में समझना कठिन हो जाता है कि हमारे इस दोहरे आचरण से जैव विविधता का संरक्षण किस तरह होगा।
जैविक प्रजातियाँ / लुप्तप्राय, PC-Wikipedia
मानसून सत्र की शुरुआत में आफत की बारिश, जलवायु परिवर्तन के कारण
मौसम विज्ञानी और जलवायु वैज्ञानिक दोनों ही, एक बार फिर, चरम मौसम की घटनाओं में भारी वृद्धि के लिए ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते स्तर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। स्थिति को समझाते हुए स्काइमेट वेदर में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन विभाग के उपाध्यक्ष, महेश पलावत ने कहा, “अत्यधिक भारी बारिश का चल रहा दौर तीन मौसम प्रणालियों के एक साथ होने का नतीजा है।
मानसून सत्र की शुरुआत में आफत की बारिश, जलवायु परिवर्तन के कारण,फोटो क्रेडिट:-IWP Flicker
How data and technology can improve urban livability
By fostering strong collaborations and pooling resources, cities can collectively address the challenges of data-driven urbanization, says NIUA report
There is tremendous transformative potential of data driven approaches in shaping urban environments (Image: Needpix, CC0)
पर्यावरण संरक्षण का उत्सव
सरकारी तंत्र प्रतिवर्ष वृक्षारोपण अभियान आयोजित करता है। इस कार्यक्रम के पीछे भाव अच्छा है परंतु धरती पर हरियाली फैलने से अधिक ये आंकड़ों का खेल बनकर रह गया है। हमें अपने लिए स्वच्छ वायु चाहिए, हमारे ही द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण का निराकरण चाहिए, वातावरण के बढ़ रहे तापमान पर नियंत्रण चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण का उत्सव,फोटो क्रेडिट:Wikipedia
दरवाजे तक पहुंचा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब सिर्फ बात करने से नहीं बनेगी बात
कुछ माह पहले तक जोशीमठ के धंसते जाने की खबर देशव्यापी चर्चा का विषय थी, अब न्यूयॉर्क के निरंतर धंसते जाने की खबर विश्वव्यापी चर्चा का विषय है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि न्यूयॉर्क शहर धीरे-धीरे डूब रहा है और इसकी गगनचुंबी इमारतें इसे नीचे ला रही हैं।
दरवाजे तक पहुंचा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव,फोटो क्रेडिट:-IWP Flicker
गंगा स्वच्छता अभियान : आज तक 
प्रमुख औद्योगिक नगर कानपुर के चमड़े कपड़े और अन्य उद्योगों के अपशिष्टों के प्रभाव तले वहां गंगा का जल काला हो जाता है। गंगोत्री से लेकर वाराणसी तक गंगा नदी में 1611 नदियां और नाले गिरते हैं तथा केवल वाराणसी के विभिन्न घाटों पर लगभग 30,000 लाशों का दाह संस्कार होता है।
गंगा स्वच्छता अभियान : आज तक, फोटो क्रेडिट:IWP,Flicker 
मृदा उर्वरता संबंधी बाधाएं एवं उनका प्रबंधन
भारतीय कृषि में हरित क्रांति का प्रभाव काफी हद तक सिंचित क्षेत्रों में मुख्यतः चावल और गेहूं की फसल तक सीमित रहा। हमारे देश में प्रति इकाई क्षेत्रफल उत्पादकता, अन्य देशों की अपेक्षा काफी कम है। इसके अतिरिक्त राज्यों में और राज्यों के विभिन्न जिलों में विभिन्न फसलों की उत्पादकता में काफी भिन्नता पाई गई है।
मृदा उर्वरता संबंधी बाधाएं एवं उनका प्रबंधन,फोटो क्रेडिट:- IWP Flicker
दक्षिण भारत के अर्द्ध शुष्क क्षेत्र में पारम्परिक तालाबों पर जल ग्रहण विकास कार्यक्रम का प्रभाव: एक समीक्षा
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी  75 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है। इन लोगों की जरी जावश्यकताओं को पूरा करने के लिये जल  संसाधनों का सही तरीके से पूरा विकास किया जाना चाहिये जन संसाधनों के सही तरीके से पूरा विकास किया जाना चाहिए।
दक्षिण भारत के अर्द्ध शुष्क क्षेत्र में पारम्परिक तालाबों पर जल ग्रहण विकास कार्यक्रम का प्रभाव,फोटो क्रेडिट: विकिपीडिया
भारत के जल संसाधन
भारत लगभग 2.45 % दुनिया के भौगोलिक क्षेत्र, दुनिया के 4% जल संसाधनों और लगभग 16% दुनिया की आबादी में योगदान देता है।

भारत के जल संसाधन,PC-IWP Flicker
कालबैसाखी की कालिमा यानी कालबैसाखी झंझावात क्या है (what is Kal Baisakhi thunderstorm)
खूबसूरत मौसम खरामा-खरामा खौफनाक हो जाता है। प्रकृति में भी दूर की कौड़ी आ जाती है मध्य एशिया में इकट्ठी शीतकालीन हवाएं घड़ी की सूई की तरह सर्पिल गति से बिखर वितरित होने लगती है। यही हवा के झोंके हिमालय को लांघ उत्तर भारत के गांगेय मैदानी इलाकों को घेर लेते हैं।
कालबैसाखी कहर,फोटो क्रेडिट:IWPFlicker
वर्षा आधारित कृषि की भारतीय अर्थव्यवस्था में भूमिका
भारत में लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र से खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 1950 में 60 मिलियन टन था तथा उत्पादकता बहुत ही कम (500-600 किलोग्राम / हेक्टेयर) थी। देश की आबादी के भरण पोषण हेतु हमें आवश्यक खाद्यान्न के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता था।
वर्षा आधारित कृषि की भारतीय अर्थव्यवस्था में भूमिका,फोटो क्रेडिट--IWP Flicker
वायु प्रदूषण नियंत्रण में उत्तर प्रदेश ने मारी बाज़ी, ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या भारी
एक नए विश्लेषण के अनुसार, वायु प्रदूषण के खिलाफ भारत की लड़ाई केवल उसके शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों तक भी फैली हुई है।
वायु प्रदूषण,PC-IWP Flicker
खाद्यान्न सुरक्षा और बदलता पर्यावरण
जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के एक शोध के नतीजों ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। इस शोध के मुताबिक देश के दो तिहाई हिस्से में जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली समस्याओं का सामना करने की क्षमता नहीं है।
खाद्यान्न सुरक्षा औ बदलता पर्यावरण:-फोटो क्रेडिट:-IWP Flicker 
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