भारत के पर्वतीय जल स्रोतों (स्प्रिंग्स) की स्थिति और इनके सतत प्रबंधन हेतु जल शक्ति मंत्रालय के प्रयास (भाग 1)
विभिन्न संगठनों द्वारा मानचित्रित किये गए कुल स्प्रिंग्स की संख्या और नीति आयोग की रिपोर्ट में देश भर में संभावित स्प्रिंग्स की संख्या (लगभग 30 से 50 लाख) को संज्ञान में रखते हुए जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्प्रिंगशेड प्रबंधन हेतु गठित समिति द्वारा यह महसूस किया गया कि इनकी सम्पूर्ण देश में वास्तविक गणना अति आवश्यक है। इस क्रम में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में प्रथम स्प्रिंग सेन्सस हेतु नोडल एजेंसियां चिन्हित कर अगस्त, 2023 में राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
कश्मीर के अनंतनाग जिले में वेरीनाग चश्मा (छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)
भूजल से संवरेगा कल
जल संकट का स्थायी समाधान भूजल ही है। इसी से हमारा कल यानि भविष्य संवर सकता है। अन्यथा जल के लिए संघर्ष होता रहेगा। खासतौर पर दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में पीने के जल का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है। महिलाओं को कई किलोमीटर दूर जाकर जल लाना पड़ता है। क्योंकि उनके अपने गांव-कस्बे या क्षेत्र में भूमिगत जल स्रोत पूर्णतः सूख गए होते हैं।
रंदुल्लाबाद, महाराष्ट्र में एक सिंचाई कुआँ। छवि स्रोत: इंडिया वाटर पोर्टल
जल संसाधन परियोजनाएं और पर्यावरण पर उनका प्रभाव
जल संसाधन परियोजनाओं में मुख्यतः मानव और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र दोनों के लिए जल की पर्याप्त व सतत आपूर्ति और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधनों की विभिन्न योजनाएं, विकास और प्रबंधन सम्बन्धी गतिविधियां शामिल होती हैं। इन परियोजनाओं में गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला सम्मिलित होती है, जिसमें भविष्य में जल की मांग का अनुमान लगाना, जल के संभावित नए स्रोतों का मूल्यांकन करना, मौजूदा जल स्रोतों की रक्षा एवं संवर्धन करना और नवीनतम पर्यावरणीय नियमों का अनुपालन एवं उनको समायोजित करना शामिल है।
बड़े बांध
संदर्भ दिल्ली बाढ़: जरूरी निर्णय लेने होंगे तभी रुकेंगे हादसे
सब कुछ बेहतर और बेहतरीन तभी होगा जब सरकार की कार्यशैली निष्पक्ष और निर्भीक होगी। हम दिल्ली की ही बात करें तो यहां कई इलाके ऐसे हैं‚ जहां झुग्गियों में बड़ी आबादी बसती है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां सरकारी जमीनों‚ नाले‚ तालाब आदि का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर लिया गया है। नतीजतन‚ थोड़ी सी बरसात में शहर कितना परेशानहाल हो जाता है‚ यह जगजाहिर है। दूसरी अहम वजह‚ सिविक एजेंसियां–नई दिल्ली म्युनिसिपल कमेटी (एनडीएमसी) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में गहरे तक भ्रष्टाचार और काहिली है।
शहरी बाढ़ (courtesy needpix.com)
संदर्भ शहरी बाढ़: काश! दिल्ली बारिश को जी भर के जी पाए
जब तक हम पुराने बुनियादी ढांचे की बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उन्नत और आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल नहीं देंगे तब तक प्रत्येक वर्ष इन समस्याओं से जूझते रहेंगे। यह समस्या अचानक से नहीं आती‚ हमें इसके आने की सूचना होती है। पूर्व की गलतियों से सीखने के मौके होते हैं।
शहरों में बाढ़ अब हर साल की समस्या
तालाब या इंफिल्ट्रेशन टैंक पर कृत्रिम वर्षाजल रिचार्ज संरचनाओं की सहायता से नदियों का पुनरुद्धार ; एक केस स्टडी
तालाब, झील, पोखर, आहर, नाहर, खाव, चाल-खाल, गड्ढे ये सभी भूजल के पुनर्भरण का जरिया हैं। तालाब को पृथ्वी का रोम कूप भी कहते हैं। नदियों के किनारों के एक बड़े कैचमेंट के इन परम्परागत जलस्रोतों के पुनर्जीवन से कोई नदी भी जिंदा हो सकती है? एक केस स्टडी बहुत कुछ कहती है - 
पहचानिए
धरती जलती भट्टी बनती जाए!
उत्तर भारत मध्य मई से ही भीषण गर्मी की चपेट में रहा। कई इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, इस बार देश में अब तक की सबसे लंबी गर्मी रही। विशेषज्ञों ने भविष्य में और भी गंभीर स्थिति की चेतावनी दी है। अगर निवारक उपाय नहीं किए गए तो हीटवेव लंबे समय तक और ज्यादा भीषण रहेंगी
ग्लोबल वार्मिंग (फोटो साभार : सुनंदो रॉय, फ़्लिकर कॉमन्स)
Scaling climate adaptation technology for a just transition
The 2024 heatwave in India highlights the urgent need for a just transition in climate adaptation, emphasising inclusive and resilient strategies to protect vulnerable communities and mitigate the social and economic impacts of extreme weather events.
Championing inclusive and resilient climate solutions (Image: Asian Development Bank, CC BY-NC 2.0)
सरकार और समाज के समन्वय से सफल होगी अमृत सरोवर योजना
केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना को प्रारम्भ किया। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने अर्थात अमृतकाल में प्रस्तुत इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में 75 अमृत सरोवर का निर्माण होना था। प्रश्न यह है कि क्या वह लक्ष्य पूर्ण हुआ जिसके दृष्टिगत अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ। जानिए उसके बारे में और अधिक - 
प्रतिकात्मक तस्वीर
India should be spearheading the circular shift in the global south
With its rising innovation and technology culture and its reputation as a global growth engine, India has the ability to assist the Global South's circular transition.
India's circular ambition (Image:  Markus Winkler, Pexels)
Banni grasslands, a lifeline for Maldharis from Kachchh district of Gujarat
Pastoralism is not just an economic activity for the Maldharis residing in the Banni grasslands, but a way of life in which pastoralists, livestock, land and culture are inseparable parts of a dynamic ecosystem.
Maldharis grazing buffaloes on grasslands (Image Source: A. J. T. Johnsingh, WWF-India and NCF via Wikimedia Commons)
संदर्भ मुम्बई बाढ़: भ्रष्टाचार में जा रहा है नालों की सफाई का पैसा
यह जो सीमेंट की सड़कें बनाने और गलियों में भी सीमेंट से ही समतलीकरण की सोच है‚ यह जल संरक्षण में बाधक है। सीमेंट की सड़कों और सीमेंट की गलियों की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पाता। स्पष्ट शब्दों में कहें तो मुंबई बारिश का काफी पानी बर्बाद कर देता है। आज मुंबई में जल संकट पैदा हो गया है‚ निवासियों को पिलाने के लिए १५ दिन का भी पानी नहीं बचा है। बीएमसी को पानी की राशनिंग करनी पड़ती है। प्रस्तुत आलेख राष्ट्रीय सहारा के अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है।
शहरी बाढ़ अब ऩए स्तर पर (courtesy - needpix.com)
Meter, Measure, Manage: Engineering a data-based approach for water conservation
Kritsnam where engineering meets hydrology, founded by K. Sri Harsha focuses on developing accurate, easy to install, tamper-proof, and weather-proof smart water metering solutions to deal with the growing water crisis in India.
An AI generated image, highlighting water shortage and use of tankers to provide water but water being wasted when available (Image Source: Praharsh Patel)
जल संकट का कैसे निकले हल ! प्रेरक उदाहरण सिंगापुर का मॉडल
गंदे पानी के शुद्धिकरण, समुद्री जल का खारापन कम करने और वर्षा जल के अधिकतम संग्रह के साथ सिंगापुर ने पानी से जुड़ी अपनी जरूरतों को पूरा करने का एक ऐसा मॉडल तैयार किया, जो एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के साथ सामाजिक बदलाव की एक बड़ी मिसाल है
 सिंगापुर ने एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के भरोसे कायम किया सफलता का मॉडल
नाला नहीं, अब सदानीरा बनेगी कुकरैल नदी
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चलाया गया एक अतिक्रमण विरोधी अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद उनके बुलडोजर की बहुत चर्चा रही है। लेकिन इस बार लखनऊ में जब बुलडोजर चलाया गया तो इसके पीछे उद्देश्य सरकारी संपत्ति को कब्जा मुक्त कराना या किसी अपराधी को उसके किए का सबक सिखाना मात्र नहीं था। इसके पीछे जो कारण था वह बहुत ही पवित्र और पर्यावरण हितैषी था।
कुकरैल नदी प्रदूषण
हल्की बारिश से ही पूरी दिल्ली पानी–पानी हो जाती है, जानलेवा भी
मानसून की पहली बारिश में दिल्ली डूब गई‚ झेल नहीं पाई तेज बारिश। जगह–जगह जलभराव हुआ। टनल‚ अंडरपास‚ पुल–पुलिया‚ सड़कें सभी पानी से लबालब भर गईं। पीडब्ल्यूडी‚ दिल्ली जल बोर्ड‚ नगर निगम‚ एनडीएमसी ऐसे महकमे हैं जिन पर जलभराव से निपटने की सामूहिक जिम्मेदारियां रहती हैं। लेकिन ये सभी आपस में ही भिड़े पड़े हैं। एक–दूसरे पर नाकामियों के दोष मढ़े जा रहे हैं। इनकी इन हरकतों की मार बेकसूर दिल्लीवासी झेल रहे हैं। यह समस्या आखिर‚ क्यों साल–दर–साल नासूर बनती रही है। चुनावों में तो सभी दल इन समस्याओं से निपटने का दम भरते हैं‚ लेकिन चुनाव बीतने के बाद निल बटे सन्नाटा। इस विकट समस्या पर प्रकाश डालने के लिए डॉ. रमेश ठाकुर ने एमसीडी के प्लानिंग पूर्व चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्रा से जानना चाहा कि आखिर‚ इस समस्या के कारण और निवारण हैं क्याॽ पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से.
शहरी बाढ़ (courtesy - needpix.com)
×