वर्षा के द्वारा प्राप्त सतही जल का कुछ भाग धीरे-धीरे संचारित होकर गुरुत्वाकर्षण के कारण भूमि के नीचे चला जाता है। अतः भूजल बनने की यह क्रिया जलभृत कहलाती है और संचित जल भूजल कहलाता है। गुरुत्व प्रभाव के फलस्वरूप भूमिगत जल धीरे-धीरे मृदा के भीतर चला जाता है। निचले क्षेत्रों में यह झरनों एवं धारा के रूप में बाहर आ जाता है।
देश के विभिन्न राज्यों में संचालित कार्यक्रमों की रूपरेखा बताई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार चरखा देश के दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक मुद्दों पर लिखने में रूचि रखने वाले लेखकों की पहचान कर न केवल उनमें लेखन की क्षमता को विकसित करता है बल्कि उसे मीडिया की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास भी करता है. वर्तमान में उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ और कपकोट ब्लॉक की युवा किशोरियों के साथ प्रोजेक्ट दिशा का विशेष उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे न केवल वह सफल लेखक बन रही हैं बल्कि महिला अधिकारों के प्रति जागरूक बन कर पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती भी दे रही हैं.
भारत में ताप व पनबिजली का विकास साथ-साथ किया जा रहा है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि पूरे बिजली तंत्र के समुचित संचालन के लिए पनबिजली का अनुपात 40 प्रतिशत रहना चाहिए। 1963 में यह अनुपात 50 प्रतिशत था मगर घटते- घटते 1998 में मात्र 25 प्रतिशत रह गया था। केन्द्रीय बिजली अभिकरण ने भारत में पनबिजली क्षमता 84,000 मेगावॉट आंकी है जो 1,48.700 मेगावॉट स्थापित क्षमता के तुल्य है। भारत में छोटे पैमाने की पनबिजली परियोजनाओं की सम्भावित क्षमता 6000 मेगावॉट आंकी गई थी।
भारत सरकार ने भारतीय समुद्री क्षेत्र में तेल के व्यापार परिवहन में लगे जहाज़ों पर गहरी चिंता जताई है। ये जहाज़ देश के तटीय जल में तेल का कचरा पम्प कर फेंकते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं। इस तरह पर्यावरण को क्षति पहुंचती है और जीवन तथा सम्पत्ति दोनों पर खतरा मण्डराने लगता है। राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के अनुसार केरल के तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण के कारण झींगा, चिंगट और मछली का उत्पादन 25 प्रतिशत घट गया है।
भारत में पहली बार कीटनाशक का प्रयोग मलेरिया नियंत्रण के लिए आयातित डी.डी.टी. के रूप में किया गया था। इसके बाद 1948 में टिड्डी नियंत्रण के लिए बी.एच.सी. का उपयोग हुआ। अधिकांश कटिबन्धीय देशों में डी.डी.टी. का उपयोग वाहकों द्वारा फैलाई जाने वाली मलेरिया जैसी बीमारियों के नियंत्रण में होता है। वहीं बी. एच.सी. कृषि उत्पादन में एक सस्ते कीटनाशी के रूप में प्रयुक्त होती है। बाद में हम मलेरिया नियंत्रण को केन्द्र में रख भारत में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में कीटनाशकों के इस्तेमाल की पड़ताल करेंगे।
अब तक वैज्ञानिक गण पर्यावरण में टी.एफ.ए. की बढ़ती मात्रा का दोष हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स नामक गैसों को दिया करते थे। ये गैसें क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स के स्थान पर प्रयुक्त की जाती हैं क्योंकि क्लोरोफ्लोरो कार्बन ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाती है। किन्तु देखा यह गया है कि बड़े शहरों की हवा में जितना टी. एफ.ए. होता है
चमड़ा उद्योग का कच्चा माल मूलतः मरे हुए जानवरों से प्राप्त होता था। भारत में दुनिया के किसी भी देश से ज़्यादा मवेशी थे। लिहाज़ा यहां चमड़ा उद्योग के लिए भरपूर कच्चा माल उपलब्ध था। इस बात ने ब्रिटिशों का ध्यान आकर्षित किया। जल्दी ही कच्चा चमड़ा और अधपका चमड़ा भारत से इंग्लैण्ड को होने वाले निर्यात का एक प्रमुख आइटम बन गया। यह बीसवीं सदी के शुरू की बात है। टैनिंग के लिए चमड़े की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए म्युनसिपल बूचड़खाने स्थापित कर दिए गए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सरदार सरोवर की ऊंचाई 90 मीटर करने की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। यह बात अलग है कि इस ऊंचाई से होने वाले संभावित विस्थापितों के पुनर्वास की दिशा में कोई गम्भीर पहल नहीं हुई है (गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला में कहा गया था कि फैसले से तीन सप्ताह के भीतर ही विस्थापितों का पूर्ण पुनर्वास किया जाएगा)। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की थी। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर माननीय राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहे इन शब्दों "नदी घाटी परियोजनाएं आदिवासियों को उजाड़ रही हैं" से विस्थापित हो रहे लोगों में कुछ आशा जगी है। इस मसले पर चर्चा बदस्तूर जारी है। इसी चर्चा की एक कड़ी की बतौर प्रस्तुत है प्रवीण कुमार का यह लेख ।
Worldwide, soil degradation could cost $23 million by 2050 due to the loss of food, ecosystem services, and income. Soil health in agriculture is critical, with near-term impacts likely. As an agricultural innovator, Corteva is built on a believes in promoting sustainable agriculture and providing farmers with the most suitable and effective solutions to protect the health of their soil.
A summary of case presentations from a national symposium organised by IIM Bangalore, appointed by the center as the JJM Chair for O&M in collaboration with Arghyam and eGovernments Foundation.
A notable gap in understanding common terms related to climate action points to a strong demand for clearer language and transparent performance and accountability frameworks.
भारत की जी20 की अध्यक्षता एक मील का पत्थर है जो सफलतापूर्वक जलवायु और विकास दोनों मुद्दों का समर्थन कर रही है और यह पहचान रही है कि देशों को गरीबी उन्मूलन और पर्यावरण संरक्षण के बीच चयन नहीं करना चाहिए। सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का नेतृत्व करने में हमारे अपने अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए भारत के विकासात्मक मॉडल ने वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता हासिल की है। यह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं है कि भारत ने समावेशिता का समर्थन किया है। जनभागीदारी कार्यक्रमों के माध्यम से, देश भर के नागरिक जी20 से संबंधित कार्यक्रमों और गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हुए।
वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, अमिकों और सुरक्षा कर्मियों, सेना व भारतीय वायुसेना के रात दिन अनवरत अथक परिश्रम और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी द्वारा उत्तरकाशी में कैंप कर केन्द्र को एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित कर राहत व बचाव ऑपरेशन की रफ्तार को गति देने में जो अहम भूमिका निभाई, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। इनकी लगन और मेहनत के बलबूते 17 दिन सुरंग में फंसे रहने और जिंदगी और मौत के बीच जुझते 8 राज्यों यथा हिमाचल, उत्तराखंड, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के मजदूर बाहर आ सके और खुली हवा में सांस ले सके।