मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन ने नल जल कनेक्शन प्रदान करके घरेलू जल सुरक्षा में सुधार किया

मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन,Pc-जल जीवन संवाद
मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन,Pc-जल जीवन संवाद

नर्मदा नदी के दक्षिण भाग में स्थित सतपुरा पहाडों की गोद में बसे बारवानी जिले में गर्मी के मौसम में ऊंची-नीची सूखी चट्टाने भरी होती हैं जो वर्षा ऋतु में फिर हरी-भरी घाटी बन जाती है। जल की उपलब्धता के बावजूद इस जिले को अर्ध-शुष्क क्षेत्र माना जाता है क्योंकि यहां का पानी बह जाता है तथा यहां जल संरक्षण तथा पुनर्भरण के उपायों की कमी है। गर्मियों में जिले की ज्यादातर आबादी को जल संकट का सामना करना पड़ता है। समस्या की गंभीरता के कारण, जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की सफलता की कहानी विशिष्ट है क्योंकि सामुदायिक स्वामित्व और जिला प्रशासक के नेतृत्व मैं तेज़ी से कार्यान्वयन हुआ है। वर्ष 2021 तक, बारवानी में 51,679 ग्रामीण घरों को नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।

कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शनों के माध्यम से देश के प्रत्येक परिवार को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ जल जीवन मिशन का कार्यान्वयन किया जा रहा है ताकि जल का बेहतर उपयोग हो सके। यूनिसेफ से तकनीकी सहायता लेकर मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) ने पेयजल परियोजनाओं की आयोजन, कार्यान्वयन और प्रचालन के लिए पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को समर्थन देना शुरू किया।

अब तक, यूनिसेफ  ने क्षमता संवर्धन किया और राज्य-भर में 5,700 कुशल हितधारकों का निर्माण किया। उन्हें कैसकेड दृष्टिकोण अपनाकर मंडलीय, जिला और ग्राम स्तर पर प्रशिक्षण दिया गया। गांव की पाइपड जलापूर्ति ढांचे को सुदृढ़ करने पर बल दिया जा रहा था जिसके लिए यह आवश्यक हो गया है कि पाइपों और घरेलू ढ़ांचों की मरम्मत, जल शोधन, ग्रे-वाटर प्रबंधन और समग्र प्रचालन एवं प्रबंधन कार्य के लिए उपलब्ध तकनीकी मध्यवर्तनों को समझा जाए।
आगामी संभावित चुनौतियों को हल करने के लिए रोडमैप तैयार करनें में पीएचईडी की सहायता की गई जिसके लिए प्रारंभ में कमियों को पहचाना गया और क्षमता संवर्धन प्रयासों के लिए कैलेण्डर बनाया गया, जिसमें कार्य को विभिन्न चरणों में बांटा गया। पारंपरिक तौर पर, लोगों को प्रत्यक्ष रूप से प्रशिक्षण दिया जाता था। परंतु महामारी के दौरान सुरक्षा नियमों को ध्यान में रखते हुए यह प्रशिक्षण आभासी तौर पर (र्वचुअलरूप से) दिया गया।

चार प्रमुख जिलों बारवानी, गना और इंदौर में ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार किया जा रहा है, जिसमें भविष्य के प्रबंधन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए समुदाय स्वामित्व को प्रभावी रूप से एकीकृत किया गया है और जिला कार्य योजना (डीएपी) में इसे शामिल किया जाएगा ताकि पेयजल सुरक्षा प्राप्त हो सके। पंचायती राज
संस्थान के सदस्यों (सरपंच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक), महिला एवं बाल विकास विभाग के सदस्यों (आंगनवाड़ी अधीक्षक, कार्मिक और सहायिका), शिक्षा विभाग के सदस्यों (राज्य शिक्षा केंद्र अधिकारी और शिक्षक), स्वास्थ्य विभाग के सदस्यों (आशा कार्यकर्ता) और ग्रामीण जल जीवन मिशन (स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं) सभी
को एकजुट किया गया है।

आपसी ज्ञान साझा करने के लिए मंच उपलब्ध कराने और सुदृढ़ निगरानी सुनिश्चित करने के लिए डेटाबेस तैयार किया गया है और इसे नियमित रूप से एक व्यापक मोबाइल आधारित ऐपलिकेशन 'एम- वाटर पोर्टल' पर अपलोड किया जाता है ताकि इन्हें वीएपी सूचना में समेकित किया जा सके। विभिन्न फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और समुदायों के नेताओं के समर्थन से राज्य आंगनवाडियाँ (स्कूल पूर्व केंद्रों), स्कूलों और घरों की संख्या का पता लगा सकेगा जिनमें कार्यशील घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने हैं। पोर्टल के अलावा विभिन्न ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) के बीच सरल संवाद देते और ज्ञान साझा करने के लिए वाट्सअप ग्रुप भी बनाए गए हैं। आईईसी सामग्री उपलब्ध कराने, पीआरए को मार्गदर्शन देने और चौपाल (ग्राम बैठक) जैसी ग्रामीण गतिविधियों में मार्गदर्शन देने, पीआरआई सदस्यों को प्रशिक्षण देने तथा निर्माण के निरीक्षण के लिए भी सहायता दी जा रही है।

बारवानी गांव के निवासी विजय मेहरा के लिए यह मिशन पहले ही बहुत बड़ी सफलता बन गया है। उनके गांव में न हैंडपंप था न ही ट्यूबवेल और आंगनवाडियों तथा स्कूलों में खुले कुए के अलावा कोई ओर व्यवस्था नहीं थी। उनकी पत्नी मंजू और दोनों बेटियों को प्रतिदिन परिवार के जले की आवश्यकता के लिए एक चौथाई मिल जाना पड़ता था। विजय दिव्यांग है और वे चाह कर भी मदद नहीं कर पाते थे। परंतु उनके हिम्मत ने उनकी शारीरिक अक्षमता को दरकिनार कर दिया और उन्होने भागीदारी पूर्ण ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए) प्रक्रिया के संबंध में पहल करने पर संवाद करके स्थानीय समुदाय को जागृत किया, इस दौरान उन्होंने गांव के विभिन्न भागों के जल स्रोतों का मूल्यांकन किया और मौसमी मुद्दों पर चर्चा की तथा आधारभूत सर्वेक्षण करवाया जिसे बाद में वीएपी में शामिल किया गया। इस प्रकिया के दौरान मंजू स्वाभाविक नेता के रूप में उभरी और उन्हें वीडब्ल्यूएससी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया।

वीडब्ल्यूएससी जल और इससे संबंधित स्वास्थ्य और जल गुणवत्ता निगरानी के मुद्दों पर केंद्रित है और इसके लिए क्षेत्र जांच किट के उपयोग का प्रदर्शन करता है, निर्माण गतिविधियों तथा ग्राम स्तर पर सामग्रियों की निगरानी करता है। जल आपूर्ति परियोजनाओं के प्रचालन एवं रखरखाव के लिए स्थानीय मैकेनिको, प्लम्बरों और तकनीशियनों को सूचीबद्ध करके स्थानीय निर्माण कार्य को गति मिली है। इस सूचीबद्ध प्रक्रिया से कार्यान्वयन के दौरान प्रगति की निगरानी, व्यय और योजना बनाने में सहायता मिली है।

"आज गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है क्योंकि जल्द ही 339 परिवारों को घरेलू नल जल कनेक्शन मिलने वाला है जिससे समुदाय में सभी के लिए समान रूप से जलापूर्ति हो सकेगी।"

स्रोत- जल जीवन संवाद, दिसंबर, 2020

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Post By: Shivendra
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