![गुजरात में जल जीवन मिशन](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/2024-02/Gujarat%20water%20consrvation_0.jpeg?itok=RAheh9Jv)
भारत का पश्चिमी राज्य गुजरात, जो पहले से ही अपने जिलों में पानी की आपूर्ति को बढ़ाने के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, को अपनी संभावना तलाशने का एक और अवसर मिल जाता है। राज्य ने तकनीक आधारित समाधानों में निवेश किया है ताकि पानी समितियों के कार्य निष्पादन की निगरानी के लिए उन्हें कुशलतापूर्वक सेवाएं प्रदान करने में मदद मिल सके।
जल और स्वच्छता प्रबंधन संगठन (डब्ल्यएएसएमओ), गुजरात में फ्लैगशिप जल जीवन मिशन (जेजेएम) को लागू करने के लिए प्रमुख एजेंसी है, ने सफलतापूर्वक इसके कार्यान्वयन को पानी समितियों, ग्राम पंचायत की सशक्त उप-समितियों के लिए विकेंद्रीकृत किया है। पानी समितियाँ मुख्य आधार के रूप में कार्यक्रम की जमीनी स्तर पर जल प्रदायगी की निगरानी और देख-रेख करती है और यह सुनिश्चित करती है कि समुदाय, योजना के कार्यान्वयन, प्रचालन और रखरखाव, शुल्क एकत्रित करना, जल की गुणवत्ता का परीक्षण करैना आदि की जिम्मेदारी लें रहा है। गुजरात में 18,000 पानी समितियों के एक कैडर का निर्माण करने के बाद, उनके कार्य निष्पादन और उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की निगरानी एक चुनौती बन गई। मैन्युअल रूप से आंकडे एकत्रित करना भी समिति के सदस्यों के लिए जटिल हो गया है।
इस अड़चन को स्वीकार करते हए और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए रियलटाइम मॉनिटरिंग की आवश्यकता के लिए डब्ल्यूएएसएमओ और यूनिसेफ ने जल सेवा वितरण की निगरानी करने और स्वयं साक्ष्य कैप्चर करने डेटा (दैनिक, मासिक और वार्षिक) को अधिकारियों के साथ परेशानी रहित तरीके से इलेक्ट्रॉनिक रूप से साझा करने में पानी समितियों की सहायता करने के लिए एक फ्रेमवर्क विकसित किया है। एक मोबाइल एप्लिकेशन के रूप में विकसित, पानी समितियों (एमपीपीएस) के मॉनिटरिंग कार्य निष्पादन का यह उपकरण कमियों की पहचान करने में मदद करता है, जो प्रबंधकों और नीति निर्माताओं को गुजरात में जल आपूर्ति सेवाओं के वितरण में सुधार लाने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई का सुझाव देनें के लिए इसकी सूचना देता है। यह उपकरण घरों में पानी की आपूर्ति के मापण, भूजल उपयोग, पानी समिति के निष्पादन, इत्यादि कई संकेतक (जिन्हें नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है) को ट्रैक करता है। डब्ल्यूएएसएमओ के साथ विभिन्न परामर्शों के दौरान सिग्मा फाउंडेशन की सहायता से सावधानीपूर्वक इनकी अवधारणा बनाई जाती है और इन्हें शामिल किया जाता हैं।
कोविड-19 के बीच लोगों के प्रतिबंधित आवाजाही को देखते हुए, डिजिटल प्लेटफार्मों, जैसे कि मोबाइल के माध्यम से जागरूकता और संचार एक प्रभावी कार्यनीति बन गई है। इस कार्यनीति का उपयोग पानी की प्रगति की निगरानी के साथ-साथ साक्ष्य निर्माण के लिए भी किया जा रहा है। यूनिसेफ और डब्ल्यूएएसएमओ ने इस उपकरण का उपयोग करने पर पानी समितियों को उन्मुख बनाने और उन्हें तकनीकी रूप से जागरूक बनाने के लिए आभासी प्रशिक्षण (और कुछ ऑनसाइट, प्रशिक्षण भी) आयोजित किए, जिसके बाद उन्होंने अगस्त, 2020 से इस उपकरण का उपयोग शुरू किया। कच्छ जिले के आठ गांवों कुक्मा, कुनारिया, कनकपार, रतनपार, सिनाया, गांधीग्राम, भैराल्या और गोलपादर में इस मोबाइल ऐप का प्रायोगिक परीक्षण किया गया था जिन्हें 24x7 पानी की उपलब्धता, कनेक्टिविटी और जहां पानी समितियां सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं, जैसे मापदंडों के आधार पर चुना गया था। तथापि, अत्यधिक मानसून के दौरान सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण, प्रारंभिक चरण में डेटा कैप्चरिंग को नियमित नहीं रखा गया। इसके अलावा, प्रायोगिक परीक्षण की प्रतिक्रिया के आधार पर, मोबाइल ऐप के इंटरफ़ेस को अंग्रेजी से गुजराती में बदल दिया गया था ताकि पानी समितियों को संकेतकों और कार्यप्रणाली को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सके।
यह नवाचार न केवल गांवों या जिलों में पानी समितियों के तुलनात्मक प्रदर्शन विश्लेषण को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि जेजेएम के वांछित परिणामों को प्राप्त करने के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उनके बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धी की भावना को भी जागृत करेगा।
स्रोत- वर्ष, 2021 अंक: 4, जल जीवन संवाद,जनवरी, 2021
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