पंजाब में समुदाय, पेयजल प्रबंधन में नेतृत्व कर रहे हैं

पंजाब में समुदाय, पेयजल प्रबंधन में नेतृत्व कर रहे हैं,Pc-जल जीवन संवाद,
पंजाब में समुदाय, पेयजल प्रबंधन में नेतृत्व कर रहे हैं,Pc-जल जीवन संवाद,

होशियारपुर जिले के कंडी क्षेत्र का तखनी गांव शिवालिक पहाड़ी की घाटी में स्थित एक सुदुर गांव है जिसमें 165 परिवार हैं। पहले गांव वालों को पेयजल हेतु इस क्षेत्र से गुजरने वाली नदियों और खुले कुओं पर निर्भर रहना पड़ता था। संदूषित जल के सेवन से गांव वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती थीं।

एक दिन गांव वालों ने पेयजल की समस्या का समाधान करने का सोचा और स्थानीय प्राधिकरण (पीएचईडी) को संपर्क किया जिसके परिणामस्वरूप जून 2020 में भू-जल आधारित एकल ग्राम परियोजना (एसवीएस) संस्थापित किया गया। तखनी एसवीएस स्कूलों और आंगनवड़ियों सहित गांव के सभी घरों में नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराता है। यह परियोजना पूर्ण रूप से ग्राम पंचायत जल स्वच्छता समिति (जीपीडब्ल्यूएससी) द्वारा संचालित है।

जीपीडब्ल्यूएससी प्रचालन एवं रख- रखाव के मासिक व्यय की पूर्ति के लिए प्रत्येक परिवार से 150 रुपए प्रति माह लेता है। इस परियोजना की एक विशेषता यह है कि इससे बहुत ऊंचाई पर स्थित 40 परिवारों को जल उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसके लिए बूस्टर पंप के माध्यम से पानी चढ़ाया जाता है। इस परियोजना से 40 वर्षों बाद ऊचाई पर स्थित परिवारों को पर्याप्त मात्रा में पेयजल मिल सका है। एफटीके का उपयोग करके समुदाय द्वारा जल गुणवत्ता की निगरानी की जाती है।स्थानीय ग्राम समुदाय द्वारा जल जीवन मिशन की आयोजन, कार्यान्वयन और प्रचालन एवं रख- रखाव की नीति पर आधारित समुदाय द्वारा चालित एकल ग्राम जल आपूर्ति परियोजनाओं के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरणों में तखनी, ताना और नौलखा गांव शामिल है।

दोनों परियोजनाओं में गतिविधियों को चलाने की जिम्मेदारी जीपीडब्ल्यूएससी की 50% से अधिक महिला सदस्यों ने ली है। पंजाब के ज्यादातर गांव में जीपीडब्ल्यूएससी के माध्यम से चलाई जा रही परियोजनाओं के प्रचालन एवं रख-रखाव में समुदाय सक्रिय रूप से भागीदार है। 13,690 पाइप्ड जलापूर्ति (पीडब्ल्यूएस) गांवों में से 5,624 पीडब्ल्यूएस गांव जीपीडब्ल्यूएससी द्वारा प्रबंधित है। पंजाब में जलापूर्ति परियोजनाओं के गांव के ढांचों के लिए सामुदायकि योगदान इकट्ठा करने की समरूपी नीति है। समतल स्थानों पर प्रति परिवार 800 रुपए (सामान्य वर्ग) और प्रति परिवार 400 रुपए (अनुसूचित जाति) इकट्ठा किया जाता है। इसी प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में ग्राम पंचायत द्वारा प्रति परिवार 400 रुपए (सामान्य वर्ग) और प्रति परिवार 200 रुपए (अनुसूचित जाति) इकट्ठा किया जाता है। नीति के रूप में नई जलापूर्ति का काम तभी प्रारम्भ होता है जब संपूर्ण समुदाय से योगदान इकट्ठा कर लिया गया हो और उसे जीपीडब्ल्यूएससी के बैंक खाते में जमा कर दिया गया हो।

पंजाब के ज्यादातर गांव में घरेलू स्तर पर जल मीटर लगाए गए हैं। कुछ गांवों मैं जल मीटर की रीडिंग के आधार पर प्रमाणात्मक शुल्क लिया जाता है। तथापि, ज्यादातर गांवों में एक निश्चित शुल्क ही लिया जाता है। जीपीडब्ल्यूएससी द्वारा चलाई जा रही ज्यादातर जलापूर्ति परियोजनाएं वित्तीय रूप से स्थाई हैं और वे घरेलू स्तर पर शुल्क लेकर संपूर्ण स्थाई हैं और वे घरेलू स्तर पर शुल्क लेकर संपूर्ण प्रचालन एवं रख-रखाव लागत एकत्रित कर लेते हैं। राज्य शत प्रतिशत प्रमाणात्मक शुल्क पर बल देता है ताकि पानी की कम से कम बर्बादी हो सके।

इसका लक्ष्य विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों सहित गांव वालों के जीवन को बेहतर बनाना और वर्ष 2022 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को "कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन" (एफएचटीसी) के माध्यम से बेहतरे जीवन प्रदान करना है। राज्य वर्ष 2022 तक 'हर घर जल राज्य' बनने के लिए प्रतिबद्ध है।

 स्रोत- जल जीवन संवाद, दिसंबर, 2020

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Post By: Shivendra
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