आंध्र प्रदेश जेजेएम: आंगनवाड़ी बच्चों के लिए जीवन बदलने वाला मिशन

 आंगनवाड़ी बच्चों के लिए जीवन बदलने वाला मिशन
आंगनवाड़ी बच्चों के लिए जीवन बदलने वाला मिशन

कई लोगों का मानना है कि घरों में नल कनेक्शन प्रदान करने से महिलाओं द्वारा किए जाने वाला कठिन परिश्रम समाप्त हो जाएगा क्योंकि उन्हें अपने घरों के अंदर आराम से पानी मिलेगा, फिर एक महिला द्वारा किए गए दैनिक कार्यों को देखने की आवश्यकता है। महिला न केवल परिवार के बड़ों बल्कि बच्चों और जानवरों की भी देखभाल करती हैं, जिससे अनेकों बार परिवार की आय में राजस्व बढ़ता है। एक ग्रामीण महिला के जीवन में कोई भी विशिष्ट दिन सुबह बहुत जल्दी शुरू होता है, और वह घर में सबसे बाद में सोने वाला व्यक्ति होती है। घर की महिला तभी आराम करती है जब बच्चों सहित परिवार के अन्य सभी सदस्य सो चुके होते हैं। दिनभर वह एक जगह से दूसरी जगह दौड़ती रहती हैं। परिवार के सदस्यों की प्यास बुझाने और घर के अन्य कामों की आवश्यकताओं के लिए पानी लाने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ता है।

विजयनगर जिले के 835 परिवारों वाली जन्नावलासा ग्राम पंचायत में इस दिनचर्या का अनुकरण किया गया है। महिलाएं अपनी सुबह,कुओं और बोरवेल से पानी इकट्ठा करने में बिताती थीं। चूंकि गांव में मुख्य व्यवसाय खेती था, इसलिए कमाने का एकमात्र तरीका अपने खेत में या दूसरों की जमीन की जुताई करना था। खेती का काम सुबह-सुबह शुरू हो जाता है, लेकिन महिलाएं तड़के पानी लाने में व्यस्त हुआ करती थीं, इसलिए उन्हें खेतों में या मनरेगा के तहत काम करने का समय नहीं मिला करता था। यहां तक कि समय पर आंगनबाड़ी केंद्र पर शिशुओं और बच्चों को छोड़ना भी बहुत बड़ा काम लग रहा था। जो बच्चे अपनी मां के साथ चल सकते थे, वे उनके साथ पानी की छोटी बोतलें भर कर लाने में मदद किया करता थे। इसका अर्थ था, बच्चों के लिए आजीविका, शिक्षा और दैनिक देखभाल का नुकसान।

जल जीवन मिशन ने न केवल घर में पानी पहुंचाया है, बल्कि यह सुनिश्चित किया है कि हर स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, आश्रमशाला, स्वास्थ्य केंद्र और पंचायत कार्यालय तक नल जल कनेक्शन पहुंचे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बी. सत्यवती ग्राम पंचायत ' में नल जल मिलने से खुश है। एक तरफ इससे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका का जीवन सुगम हो गया है, जिन्हें साफ और सुरक्षित नल जल मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर केंद्र पर बच्चों की उपस्थिति में सुधार हुआ है। अब बच्चों को मां समय पर केंद्र में लाती है। वे अब कार्य यथा समय में पूरा करने के लिए समय के विपरीत नहीं चल रही हैं। कई महिलाएं जीवनोपार्जन पर वापस चली गई हैं क्योंकि अब वह सुबह सवेरे अपना ग्रह कार्य समाप्त कर लेती हैं। सुरक्षित पानी के सेवन से खासकर शिशुओं और बच्चों में पानी से जुड़ी बीमारियां काफी हद तक कम हो गई हैं।

घर में पानी की व्यवस्था से ग्रामीणों के सामाजिक जीवन में उल्लेखनीय बदलाव आया है। इससे पहले कई घरों में युवतियां काम पर जाती थीं क्योंकि घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा कमाना जरूरी था, जबकि बड़ी महिलाएं पानी भरकर लाती थीं। बच्चों को बिना देखरेख के घर पर छोड़ दिया जाता था जबकि दादा-दादी पानी इकट्ठा करने के लिए घर से बाहर जाया करते थे। लेकिन अब गांव का नजारा पूरी तरह से बदल चुका है।

इस बदलाव का विशेष रूप से महिलाओं द्वारा स्वागत किया गया है क्योंकि वे परिवार में प्राथमिक जल प्रबंधक और देखभाल करने वाली होती हैं। आज ग्राम पंचायत के सभी 835 घरों, 4 आंगनबाड़ी केंद्रों और 2 स्कूलों में नियमित रूप से नल से जल मिल रहा है।

गांव के लोग घर में नल जल की सेवा प्राप्त कर प्रसन्न हैं और समय पर उपयोगकर्ता शुल्क का भुगतान करते हैं। पंप ऑपरेटर को मानदेय, बिजली शुल्क और मामूली मरम्मत के लिए आवर्ती व्यय को पूरा करने के लिए प्रत्येक घर से 50 रुपये का मासिक शुल्क एकत्र किया जाता है।

स्रोत- जल जीवन संवाद । अंक 25 । अक्टूबर 2022

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Post By: Shivendra
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