केवल इमली के पेड़ के नीचे बैठता है, जो अब 20 साल से उसका अड्डा है। उसकी मुड़ी हुई गर्दन का प्रत्येक कोण अपने आप में एक पूरी कहानी कहता है। वह अभी भी अपने खुद के गाँव में, शिक्षक बनने की दिल में दबी अपनी चाहत के निजी सपने को पालता है, उन बच्चों को लाता है जो इस दुनिया में चमक पैदा कर सकते हैं। लेकिन, उनके जीवन के लिए फ्लोरोसिस की एक अलग योजना थी। फ्लोरोसिस से पैदा होने वाली पीड़ा के लिए केवल की मुड़ी हुई पीठ एक रूपक है।
केवल जैसे 66 मिलियन लोग भारत में पीने के पानी से उच्च फ्लोराइड के संपर्क में हैं, जिससे फ़्लोरोसिस नामक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन हो गई है। जसोदा खुन्जी, 80,000+ गाँवों में से एक है, और झाबुआ भारत के 210 ऐसे जिलों में से एक है, जहाँ भूजल में उच्च फ्लोराइड बना हुआ है। कंकाल फ्लोरोसिस जो गंभीर शारीरिक विकृति का कारण बनता है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे डेंटल फ्लोरोसिस, और संबद्ध विकार जैसे एनीमिया, थायरॉयड और अन्य बीमारियां, फ्लोरोसिस को दूर करने के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन करते हैं।
इसके अतिरिक्त, शरीर के भीतर फ्लोराइड कुपोषण की समस्या, मैग्नीशियम और विटामिन-सी जैसे अन्य पोषक तत्वों के साथ कैल्शियम की कमी का कारण बनता है, जिससे फ्लोरोसिस और गंभीर हो जाता है। सुरक्षित पेयजल और सुपोषण फ्लोरोसिस से प्रभावित लोगों के लिए अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने का माध्यम हैं। वर्ष 2010 में, केवल अपने भाई कुंवर के साथ अलगाव की जिंदगी जी रहे थे, जो इसी तरह प्रभावित हए। उनके जीवन में खराब स्वच्छता थीं और जिंदगी जीने की इच्छा नहीं थी, जो समाज के रवैये के कारण भी था कि ऐसे लोगों का कोई उत्पादक मूल्य नहीं है। भले ही सूरज की किरणें उसके लिए एलियन हैं, लेकिन धमोई ग्राम पंचायत के भीतर इस गांव में सामुदायिक प्रयासों से आशा की एक किरण जगी।
केवल एक फ़िल्टर मित्र' बन गया और अपने गाँव के लोगों को पानी के परीक्षण में मदद करने लगा। अतिरिक्त पोषण पूरकता से केवल को ऊर्जा हासिल करने, शारीरिक जोड़ों की कार्यशीलता और इनमें गतिशीलता बढ़ाने में मदद मिली। पानी और अन्य मुददों पर स्कूली बच्चों के लिए एक शिक्षक होने के नाते उनके शरीर का दर्द कम होने लगा और उनके बचपन में देखे सपने साकार होने लगे जिससे उनमें आत्मविश्वास पैदा हुआ। आईएनआरईएम फाउंडेशन, अजीम प्रेमजी की परोपकारी पहल (एपीपीआई) की मदद से, ग्राम पंचायत के साथ ऐसे सामुदायिक प्रयासों की मुख्यधारा का समर्थन कर रहा है और जल जीवन मिशन (जेजेएम) जैसे कार्यक्रमों से जुड़ रहा है।
एक कहानी है जहां जेजेएम स्थानीय जल आपूर्ति को बनाए रखने और केवल जैसे लोगों को सम्मान और साहस के साथ जीवन जीने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अब पांच गांवों में पानी की आपूर्ति के लिए धामोई में एक स्थानीय जल स्रोत की योजना बनाई गई है। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, स्थानीय जल आपूर्ति स्कीम की योजना बनाने में मदद करने के लिए ग्राम कार्य और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) और समुदाय के सदस्यों के लिए आईएनआरईएम द्वारा सदूर आधारित डिजिटल व्यवस्था की सुविधा दी गई थी। पहले, इस समिति ने पानी की टंकियों को भरने और स्थानीय रूप से फ्लोराइड मुक्त सुरक्षित जलापूर्ति को संचालित करने में मदद की है। हर ग्रामीण घर तक पानी पहुंचाना अगला कदम है और जेजेएम इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा। फ्लोराइड प्रभावित लाखों आबादी को अब राष्ट्रव्यापी राहत मिलने लगी है।
मध्य प्रदेश उच्च फ्लोराइड प्रभावित राज्यों में से एक है, जो इस समस्या को गंभीरता से ले रहा है और समुदायों को दीर्घकालिक स्थायी समाधान करने में मदद कर रहा है। पोषण के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ तालमेल एक ऐसी व्यवस्था है जो बीमारी से बेहतर राहत देने में सक्षम है और सभी फ्लोरोसिस एंडेमिक क्षेत्रों में इसकी बहत आवश्यकता है और यही केवल जैसे फ्लोरोसिस प्रभावित लोगों के पुनर्वास में सहायता कर सकेगी।
इमली का पेड़ अब दुनिया से छुपने के लिए केवल का स्थान नहीं रह गया है, अपितु आराम करने और भविष्य की योजना बनाने के लिए उनकी यहीं जगह है। घरेलू पानी के कनेक्शन की उम्मीद केवल जैसे दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कहीं अधिक उत्साहजनक है। प्रकाश को उसकी आँखों की एक धार के साथ देखा जा सकता है। आईएनआरईएम फाउंडेशन जल, लोक स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण से संबंधित सामाजिक मददों की जांच करने वाला एक शोध संस्थान है। संस्था अभिनव अंतर-अनुशासनात्मक समाधान विकसित करती है और उन्हें समुदायों और सरकार के साथ साझा करके व्यापक रूप से कार्य क्षेत्र में लाती है
स्रोत- जल जीवन संवाद । अंक 25 । अक्टूबर 2022
/articles/suraj-ki-kiranon-ko-ab-dekha-ja-sakta-hai-ek-safalta-ki-kahani-inrim-foundation-suns-rays