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समाचार और आलेख
वर्षा जल संचयन एवं इसका बहुआयामी उपयोग तथा प्रबंधन
Posted on 19 May, 2023 11:34 AMप्रस्तावना
कृषि उत्पादन में जल की बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सिंचित स्थिति की तुलना में असिंचित स्थिति में उगाई गई फसलों की पैदावार लगभग आधी ही प्राप्त होती है जिससे किसानों को कृषि में भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। देश के उत्तरप्रदेश राज्य में औसतन वर्षा लगभग 1000 मिलीमीटर ही प्राप्त होती हैं जिसका अधिकांश भाग भूमि की ऊपरी सतह से बहकर नदी एवं नालों
जम्मू व कश्मीर के नहरी कमांड क्षेत्रों में धान-गेहूँ फसल अनुक्रम की जल उत्पादकता में सुधार हेतु किसानों के खेतों में लेजर लेवलर तकनीक का प्रसार
Posted on 18 May, 2023 03:09 PMप्रासंगिकता
जम्मू के विभिन्न नहरी कमांड क्षेत्रों में चान गेहूँ फसल अनुक्रम के तहत कुल क्षेत्र 1.10 लाख हैक्टेयर आता है। इस क्षेत्र के कमांड क्षेत्रों में कृषि के लिये जल उपलब्धता में कमी के साथ साथ फसलों की पैदावार और इनपुट दक्षता में कमी मुख्य चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसलिये जल की कमी को देखते जम्मू के विभिन्न नहरी कमांड क्षेत्रों में चान गेहूँ फसल अनुक्
पूर्वी भारत के वर्षा आधारित क्षेत्रों में अनानास की खेती
Posted on 18 May, 2023 02:14 PMप्रस्तावना
पूर्वी भारत में 12.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वर्षा आधारित धान की खेती के अंतर्गत है। इन वर्षा आधारित क्षेत्रों में अधिकांशतः भूमि वर्षा के बाद रबी मौसम में सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण मुख्य रूप से परती खंड दी जाती है। इस कारण इस भूमि का खेती के लिए उचित उपयोग नहीं हो पाता है। इसी प्रकार की समान परिस्थिति ओडिशा राज्य में भी मौजूद है। दूसरी तरफ धान
ओडिशा राज्य के तटीय क्षेत्रों में मीठे जल की उपलब्धता में वृद्धि हेतु तकनीकी विकल्प
Posted on 18 May, 2023 12:40 PMप्रस्तावना
ओडिशा राज्य के तटीय क्षेत्रों में मानसून अवधि के दौरान अतिरिक्त जल का भराव और मानसून अवधि के बाद ताजा जल की अनुपलब्धता आदि जैसी दोहरी समस्याओं का सामना करना पड़ता है या करना पड़ रहा है। मौजूदा जल संसाधनों के लिये लवणीय जल का प्रवेश इस स्थिति को और भी अधिक गंभीर बना देता है और यह आमतौर पर मानवता और विशेष रूप से कृषि, मीठे जल के संसाधन, मछली पालन और जल
शारदा सहायक कमांड क्षेत्र में अधिकतम धान के उत्पादन एवं जल उत्पादकता हेतु जल प्रबंधन तकनीक
Posted on 18 May, 2023 11:58 AMकृषि के लिये जल एक सीमित संसाधन है जिसकी फसलोत्पादन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जल की कमी ना अत्यधिक मात्रा के कारण फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है संसार के समस्त जल संसाधनों का केवल 2.6 प्रतिशत जल ही पीने एवं फसलों को सिंचाई के लिये उपलब्ध है। इसलिये कृषि में इसका उपयोग आवश्यकतानुसार संतुलित मात्रा में करना बहुत ही आवश्यक है अतः आज के इस जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि में जल क
भारतीय कृषि में आधुनिक - उन्नत सिंचाई विधियां
Posted on 17 May, 2023 03:21 PMभारत के कृषि पर निर्भर होने के कारण सिंचाई इसकी रीढ़ की हड्डी है। कृषि के उपयोग में आने वाली सामग्रियों (इनपुट) में बीज, उर्वरक, पादप संरक्षण, मशीनरी और ऋण के अतिरिक्त सिंचाई की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। सिंचाई सूखी भूमि को वर्षा जल के पूरक के तौर पर जल की आपूर्ति की एक विधि है, इसका मुख्य लक्ष्य कृषि है। देश में सिंचाई कुओं, जलाशयों, आप्लावन और बारहमासी नहरों तथा बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजना
टपक सिंचाई विधि
Posted on 17 May, 2023 01:13 PMसाधारणतया किसी फसल अथवा खेत में पानी दिए जाने के ढंग को सिंचाई की विधि कहा जाता है। सिंचाई की उत्कृष्ट अथवा वैज्ञानिक विधि का अभिप्राय ऐसी सिंचाई व्यवस्था से होता है जिसमें सिंचाई जल के साथ उत्पादन के अन्य आवश्यक उपादानों का प्रभावकारी उपयोग एवम् फसलोत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित हो सकें। सिंचाई की सबसे उपयुक्त विधि वह होती है जिसमें जल का समान वितरण होने के साथ ही पानी का कम नुकसान हो तथा कम से
सिंचाई की प्रमुख विधियाँ
Posted on 16 May, 2023 03:29 PMआमतौर पर किसी फसल अथवा खेत में पानी दिये जाने के तरीके का सिंचाई की विधि कहा जाता है। सिंचाई की वैज्ञानिक विधि का मतलब ऐसी सिंचाई व्यवस्था से होता है जिसमें सिंचाई जल के साथ उत्पादन के अन्य आवश्यक लागतों का प्रभावकारी उपयोग एवं फलोत्पादन में वृद्धि हो सके। सिंचाई की सबसे उत्तम विधि वह होती है जिसमें जल का एक समान वितरण होने के साथ ही साथ पानी का कम नुकसान होता है और अधिक से अधिक क्षेत्र सींचा
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई की सार्थकता: प्रगति एवं प्रभाव विश्लेषण
Posted on 15 May, 2023 04:33 PMभारत में शुद्ध कृषित क्षेत्रफल का लगभग 48.9% हिस्सा ही सिंचित है एवं शेष क्षेत्रफल वर्षाजल पर आधारित है। देश में अभी तक उपलब्ध परियोजनागत सिंचाई क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सका है और कृषि में माँग के अनुरूप सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए ई की नवीन तकनीक “सूक्ष्म सिंचाई” को व्यापक स्तर पर अपनाने की आवश्यकता है। सरकार “प्रति बूँद अधिक फ़सल” मिशन के तहत फव्वारा तथा बूँद-बूँद विधियों को बढ़ाव
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई प्रगति, प्रभावशीलता एवं संभावित क्षेत्रफल के आच्छादन हेतु सांकेतिक लागत का आंकलन
Posted on 10 May, 2023 06:14 PMसारांश :
भारतीय कृषि क्षेत्र देश में कुल उपलब्ध जल का सर्वाधिक उपभोक्ता है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की बढ़ती मांग, घटली आपूर्ति एवं बदलते मौसम के कारण खेती में पानी के उपयोग को 50 प्रतिशत से नीचे लाने का सुझाव दिया जा रहा है और इसके लिए नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों (सिंचाई विधियों और कम पानी चाहने वाली किस्मों) के अपनाने पर बल भी दिया जा रहा है। वर्तमान स