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सहस्त्रधारा-बाल्दी नदी के सभी कब्जे हटाए जाएं - एनजीटी
सहस्त्रधारा-बाल्दी नदी के किनारे के धनौला गांव में नदी पर अवैध निर्माण गतिविधियों के मुद्दे को सबसे पहले याचिकाकर्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने उठाया था, जिनका इस साल 6 मार्च 2023 को निधन हो गया। उनके पति केसर सिंह अब सहस्त्रधारा-बाल्दी नदी मामले की पैरवी कर रहे हैं।

Posted on 17 Jun, 2023 05:06 PM

5 जून 2023, देहरादून,

सहस्त्रधारा-बाल्दी नदी पर अतिक्रमण,फोटो सभागार:- केसर सिंह
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय
गुजरात में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय ने दस्तक दे दी है। Posted on 16 Jun, 2023 01:18 PM

आज गुजरात में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय दस्तक दे दी है । हर तरफ इसी चक्रवाती तूफान की चर्चा हो रही है। आखिर बिपरजॉय चक्रवात क्या है और कितना ये खतरनाक है इसको समझने से पहले हमें चक्रवाती तूफान होता क्या है उसको समझना होगा।  

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय, PC-Buisness Today
मृदा आर्द्रता संवेदक का गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के साथ निष्पादन एवं मूल्यांकन
कृषि में कुल उपलब्ध पानी का 70% से 80% उपयोग हो जाता है। इस गंभीर जल संकट के दौर में कृषि हेतु जल की बचत करना बहुत ही आवश्यक हो गया है। ट्रिप सिंचाई विधि में पाइप नेटवर्क का उपयोग करके खेतों में पानी का वितरण किया जाता है Posted on 12 Jun, 2023 10:58 AM

प्रस्तावना

भूमि और जल संसाधन कृषि की बुनियादी जरूरते हैं और किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए यह दोनों संसाधन बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह सर्वविदित है कि बढ़ती आबादी के कारण इन संसाधनों की माँग लगातार बढ़ती रहेगी। वर्तमान में खाद्य आपूर्ति की तुलना में विश्व की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है दुनिया में कुल 3% ही जल उपयोग हेतु उपलब्ध है जबकि भारत में केवल 2.4% भू-भा

मृदा आर्द्रता संवेदक का गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के साथ निष्पादन एवं मूल्यांकन,PC-db
पंजाब में टिकाऊ कृषि हेतु जलसंसाधनों का प्रबंधन
इन भूजल संसाधनों में आ रही गिरावट के मुख्य कारण हर साल नलकूपों की संख्या में वृद्धि, वर्षा की असमान प्रवृत्ति, प्रचलित फसल पद्धति, बढ़ती जनसंख्या औद्योगीकरण, शहरीकरण आदि हैं। अतः इस गंभीर समस्या पर काबू पाने के लिए कृषि में जल का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने का हमारा कर्तव्य बन जाता है। यह तभी संभव है जब कृषि के लिए भूजल एवं सतही जल संसाधनों का उचित रूप से दक्ष प्रबंधन किया जाए। Posted on 10 Jun, 2023 01:33 PM

प्रस्तावना

हमारे देश में उपलब्ध कुल जल संसाधनों की 85% से अधिक खपत कृषि के क्षेत्र में होती है और इसमें से हम भूजल द्वारा ही फसलों की 72% से अधिक सिंचाई की माँग को पूरा करते हैं जिससे देश में उपलब्ध भूजल संसाधनों पर बहुत अधिक दबाव पड़ रहा हैं। इन भूजल संसाधनों में आ रही गिरावट के मुख्य कारण हर साल नलकूपों की संख्या में वृद्धि, वर्षा की असमान प्रवृत्ति, प्रचलित

पंजाब में टिकाऊ कृषि हेतु जलसंसाधनों का प्रबंधन,Pc-ToI
सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली एक बेहतर विकल्प
वर्षा जल का सही तरीके से सरक्षण करते हुए "जल सिंचन" के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर जल दोहन करके संरक्षित सिंचाई सृजित की जाये  सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली आज की आवश्यकतानुसार एक बेहतर विकल्प है।



Posted on 09 Jun, 2023 04:47 PM

किसी भी देश को आगे ले जाने के लिए कृषि के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।क्योंकि कृषि का योगदान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सहायक होता है जबकि ऐसे समय में जब जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और उस जनसंख्या की खाद्य पूर्ति एवं अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमें और अधिक उत्पादन की जरूरत पड़ेगी, पर इस बढते हुए जनसंख्या को खिलाने के लिए हमारे पास जो उपलब्ध संसाधन है

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली एक बेहतर विकल्प, Pc-aurjaniy
 नहरी कमांड क्षेत्र के तहत जल उत्पादकता में वृद्धि के विकल्प
किसानों के पास जल का अत्यधिक विशेषाधिकार होना और मानसून के महीनों के दौरान ही नहर में जल का उपलब्ध होना आदि है। नतीजतन वर्तमान के दौरान भारत में मध्यम और प्रमुख नहरी कमांड्स में जल की उपयोग दक्षता केवल 38% ही है। इस जल उपयोग दक्षता को बाढ़ सिंचाई विधि की जगह ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई विधियों को स्थानातरित करने के माध्यम से काफी हद तक सुधारा जा सकता है। Posted on 09 Jun, 2023 03:23 PM

प्रस्तावना

भारत में लगभग 140 मिलियन हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में से वर्ष 1950-51 के दौरान नहर से सिंचित कुल क्षेत्र 83 मिलियन हेक्टेयर ही रिपोर्ट किया जा चुका है जो अब वर्तमान में 17 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ गया है। इसके बावजूद भी वर्ष 1951 में नहरों का सापेक्ष महत्व 40% से घटकर वर्ष 2010-11 में 26% तक घट गया है (धवन, 2017)। चूंकि, आजकल नहर से सिंचाई करने में कई ब

नहरी कमांड क्षेत्र के तहत जल उत्पादकता में वृद्धि के विकल्प,Pc-Teri
मोबाइल एप आधारित रिमोट संचालित पंप प्रणाली
सिंचाई जल की उपयोग दक्षता बहुत गंभीर हो गयी है। कई स्थानों पर तो किसानों को कृषि के लिये बिजली की आपूर्ति केवल रात के समय में ही उपलब्ध रहती है। अतः किसानों को अपनी रात की नींद की कीमत पर खेत में पंप चलाने के लिए जाना पड़ता है। हालांकि कुछ किसानों द्वारा रात की सिंचाई को खेत से वाष्पीकरण के नुकसान को कम करने के लिए प्राथमिकता दी जाती है। इस तरह इससे असुविधाजनक स्थिति बन जाती है। Posted on 09 Jun, 2023 02:21 PM

प्रस्तावना

हम कृषि की विभिन्न उन्नत तकनीकों को अपनाने के कारण खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर चुके हैं जो उत्पादन पद्धति में अधिकत्तम उत्पादन और निम्नतम जोखिम को सुनिश्चित करती हैं। इसके अतिरिक्त मशीनीकरण और कठिन परिश्रम को कम करने वाली तकनीकों ने किसानों की कामकाजी और जीवन स्तर की स्थितियों में सुधार किया है। लेकिन आज भी किसानों को अपने खेत की सिंच

मोबाइल एप आधारित रिमोट संचालित पंप प्रणाली,Pc-भाकृअनूप
नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई जल की कम उपलब्धता की स्थिति में अरहर के साथ उड़द / धान की उन्नत खेती
पूर्वी उत्तरप्रदेश में किसान प्रायः धान-गेहूँ फसल चक्र को अपनाते है लेकिन नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई जल की कम उपलब्धता के कारण कृषकों को पारंपरिक फसलोत्पादन से समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। इस क्षेत्र की शारदा सहायक नहरी कमांड की चाँदपुर रजबहा एवं उसकी छ अल्पिकाओं के अधीन कुल 4551 कृषि क्षेत्र फल/ हेक्टेयर आता है जिसका मात्र 27.7 प्रतिशत क्षेत्रफल ही इस उपलब्ध जल से सिंचित हो पाता है जिसका अधिकांश भाग अल्पिकाओं के शीर्ष एवं मध्यम छोर तक ही सीमित होता है Posted on 08 Jun, 2023 05:45 PM

प्रस्तावना

यह सर्वविदित है कि जिस प्रकार से मनुष्य को अपनी शारीरिक आवश्यकता के हेतु जल की आवश्यकता पड़ती है वैसे ही पौधों को भी अपनी जरूरतें पूरी करने के लिये जल की आवश्यकता पड़ती है। पौधों के लिये कई प्रकार के खनिज तत्व एवं रासायनिक यौगिक मृदा में मौजूद रहते हैं। लेकिन पौधे उन्हें ठीक तरह से ग्रहण नहीं कर सकते हैं मृदा में उपस्थित जल इन तत्वों को घोल कर जड़ों

नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई,Pc-MID
जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल द्वारा शिवनाथ उप - बेसिन के समस्याग्रस्त जल ग्रहण क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु सुझाव
इस अध्ययन क्षेत्र में आमतौर पर वार्षिक वर्षा 700 से 1500 मिमी के बीच होती है तथा औसत वार्षिक वर्षा 1080 मिमी है। इस अध्ययन क्षेत्र के समग्र वातावरण को सब ट्रॉपिकल रूप में वर्गीकृत किया गया है। शिवनाथ उप बेसिन के मोर्फोमेटिक गुणों की स्थिति की जानकारी एकत्रित की गई तथा इनका विश्लेषण भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के माध्यम से किया गया। इस अध्ययन में कन्टीन्युअस डिस्ट्रिब्यूटेड पैरामीटर मॉडल जिसे सोइल एण्ड वाटर असेसमेंट टूल (एसडब्लूएटी) यानि स्वाट के नाम से जाना जाता है। Posted on 08 Jun, 2023 04:25 PM

प्रस्तावना

जल विज्ञान और जल गुणवत्ता की जांच किसी भी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिवनाथ उप बेसिन, महानदी बेसिन की सबसे लंबी सहायक नदी है। शिवनाथ उप बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र 29,638.9 वर्ग किलोमीटर है। शिवनाथ उप-बेसिन 80 डिग्री 25' से 82 डिग्री 35' पूर्व देशांतर तथा 20डिग्री 16' से 22 डिग्री 41' उत्तर अक्षांश के बीच एवं औसत समु

जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल,PC-Shutterstock
मछली पालन आधारित एकीकृत खेती पद्धति और खेत पर जल प्रबंधन: आदिवासी किसानों हेतु वरदान
जातीय अल्पसंख्यक (उप जनजाति) समुदाय, जिन्हें आमतौर पर आदिवासी के रूप में जाना जाता है जो भारतीय आबादी के सबसे अधिक गरीबी वाले क्षेत्रों में रहते हैं. और ये भारत की सांस्कृतिक विरासत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग पंद्रह प्रतिशत भाग में रहते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी आदिवासी लोगों ने कृषि और पशुधन, मछली पालन और शिकार के द्वारा एक विविध आजीविका रणनीति का अभ्यास करते हैं। मुख्यधारा की आबादी के विपरीत, वे मूल रूप से प्राकृतिक संसाधनों की आसानी से पहुँच के लिये कम आबादी वाले क्षेत्रों में निवास करते हैं। Posted on 08 Jun, 2023 04:19 PM

प्रस्तावना 

जातीय अल्पसंख्यक (उप जनजाति) समुदाय, जिन्हें आमतौर पर आदिवासी के रूप में जाना जाता है जो भारतीय आबादी के सबसे अधिक गरीबी वाले क्षेत्रों में रहते हैं.

मछली पालन,Pc-jagarn
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