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भविष्य धन शैवाल ईंधन
शैवाल स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। अनुकूलतम परिस्थितियों में, इसे बड़े पैमाने पर, लगभग असीमित मात्रा में उगाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के जल संसाधनों जैसे- खारा पानी, समुद्री पानी और कृषि के लिए अनुपयुक्त या अपशिष्ट पानी का उपयोग करके भी शैवाल विकसित किया जा सकता है। Posted on 10 May, 2023 03:24 PM

दुनिया के सभी देशों में ईंधन का एक नया रूप विकसित करने की होड़ लगी हुई है। पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में पेट्रोलियम पर आधारित ईंधन के लिए विकल्प खोजने की आवश्यकता है। सौभाग्य से, वैज्ञानिक जैवईंधन (एक वैकल्पिक उत्पाद) बनाने में कार्यरत हैं। जैवइंधन बनाने के बहुत से विकल्प खोजे जा चुके हैं। जैसे-जेट्रोफा, सोयाबीन, वनस्पति तेल, सरसों आदि । परन्तु वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसा

भविष्य धन शैवाल ईंधन, PC- Education Blog
पर्यावरण संरक्षण : विविध आयाम
मैं उन दिनों को याद करता हूं जब हमारे संगी साथी रायपुर नगर और लभांडी ग्राम की सीमा बनाते छोकड़ा नाला पर पिकनिक मनाने जाते थे। रायपुर से धमतरी के रास्ते पर दोनों ओर कौहा के वृक्ष छाया करते थे। इसी छाया में बरसाती झरनों का शीतल जल साल भर प्रवाहित होता था। Posted on 09 May, 2023 01:17 PM

"हे मेघ! जब तुम आकाश मार्ग से अलकापुरी की ओर बढ़ रहे होगे, तब नीचे धरती पर जहां तुम्हें शत-शत योजनों तक जलाशय ही जलाशय दिखें तो समझ लेना कि तुम छत्तीसगढ़ से गुजर रहे हो।" महाकवि कालिदास ने यदि अपनी अमर काव्य कृति "मेघदूत' में देश की नैसर्गिक सुषमा का चित्रण करते हुए छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया होता तो उनका यक्ष शायद इसी तरह का वर्णन करता !

पर्यावरण संरक्षण : विविध आयाम, PC-Hans India
पर्यावरण संरक्षण के लिए श्रेयस्कर है गांधी मार्ग
महात्मा गांधी ने जीवन जीने का ज्ञान देते हुए कहा था कि आज शुद्ध जल, शुद्ध पृथ्वी और शुद्ध वायु हमारे लिए अपरिचित हो गए हैं। हम आकाश और सूर्य के अपरिमेय मूल्य को नहीं पहचानते। अगर हम पंच तत्वों का बुद्धिमतापूर्ण उपयोग करें और सही तथा संतुलित भोजन करें तो हम युगों का काम पूरा कर सकेंगे। इस ज्ञान के अर्जन के लिए न डिग्रियों की आवश्यकता है Posted on 09 May, 2023 12:25 PM

वर्तमान में तथाकथित आधुनिक, विकसित और सुख सुविधा से पूर्ण जीवन जीने की कभी तृप्त न होने वाली लालसा के कारण पूरी पृथ्वी में पर्यावरण के विनाश की लीला खेली जा रही है। आर्थिक और भौतिक विकास की अंधी दौड़ के कारण, दुनिया में विज्ञान और तकनीकी के हर चार बढ़ते कदम के साथ प्रकृति एक कदम पीछे धकेली जाने लगी है। बढ़ती जनसंख्या, गरीबी शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और विकास संबंधी कार्य, वनोन्मूलन तीव्र यातायात के

पर्यावरण संरक्षण के लिए श्रेयस्कर है गांधी मार्ग, Pc-NT
बारिश का पानी सोख लेगी फ्लाई एश कांक्रीट की सड़क
फ्लाईएश के पोरस कांक्रीट से बनी सड़क पर पानी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है और 7 दिनों में सड़क बनकर तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस पोरस कॉक्रीट की सड़क की उम्र सीमेंट सड़क के बराबर रहेंगी Posted on 09 May, 2023 11:11 AM

बिजली परियोजनाओं के फ्लाई एश की कांक्रीट से सड़क बनाने की कारगर तकनीक की खोज कर ली गई है. यह सड़क बारिश का पानी सोखेगी. कार्बन को कम करेगी और भूगर्भ का जलस्तर भी बढ़ाएगी.

बारिश का पानी सोख लेगी फ्लाई एश, Pc-FIH
मेरा पानी मेरी विरासत योजना जल संरक्षण
ग्रामीण क्षेत्रों में 90% आबादी पीने के लिए भू-जल पर निर्भर है क्योंकि कई बार शहर के जल आपूर्ति विभाग या कंपनियां उन्हें पीने के लिए पानी की बुनियादी आवश्यकता प्रदान करने में विफल रहती हैं। वर्ष 2015 में लगभग 48% सिंचाई प्रक्रिया इसी भू-जल के माध्यम से की गई थी और तब से जल स्तर तेजी से घट रहा है।  Posted on 08 May, 2023 03:26 PM

प्राकृतिक जलभृत के रूप में माना जाने वाला भू जल हमारे लिए उपलब्ध सबसे आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों में से एक घरों या सार्वजनिक कार्यालयों में लगभग 33% जलापूर्ति इसी भू जल के माध्यम से होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में 90% आबादी पीने के लिए भू-जल पर निर्भर है क्योंकि कई बार शहर के जल आपूर्ति विभाग या कंपनियां उन्हें पीने के लिए पानी की बुनियादी आवश्यकता प्रदान करने में विफल रहती हैं। वर्ष 2015 में लगभ

जल संरक्षण, Pc-villageera
मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभावः एक भौगोलिक अध्ययन
मानव अपनी जीवन की उत्पत्ति से ही पर्यावरण से संबंधित रहा है। मानव पर्यावरण का संबंध मनुष्य के लिए अपेक्षाकृत अधिक लाभकारी रहा है। पिछली चार शताब्दियों में मानव की गतिविधियों के कारण पृथ्वी के मूल तत्वों हवा, पानी, मिट्टी तथा रासायनिक संगठन में परिवर्तन हुआ है
Posted on 06 May, 2023 05:34 PM
सारांश-

मानव अपनी जीवन की उत्पत्ति से ही पर्यावरण से संबंधित रहा है। मानव पर्यावरण का संबंध मनुष्य के लिए अपेक्षाकृत अधिक लाभकारी रहा है। पिछली चार शताब्दियों में मानव की गतिविधियों के कारण पृथ्वी के मूल तत्वों हवा, पानी, मिट्टी तथा रासायनिक संगठन में परिवर्तन हुआ है, जिसके कारण पृथ्वी के भौतिक और रासायनिक विशेषताओं में तेजी से रूपांतरण हुआ है इस रूपांतरण के का

मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव,PC-H&F
मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन
वर्तमान अध्ययन भोपाल शहर की दो यूट्रोफिक झीलों, शाहपुरा झील एवं लोअर लेक हैं जोकि केंद्रित सिंचाई मत्स्य पालन एवं मनोरंजक गतिविधियों के केंद्र हैं, पर किया गया है। शाहपुरा झील नए भोपाल में स्थित है तथा छोटा तालाब पुराने शहर में स्थित है। दोनों ओर सीवेज झील हैं। Posted on 06 May, 2023 01:33 PM

सारांश: भोपाल शहर मध्य प्रदेश में लोकप्रिय झीलों के शहर के रूप में जाना जाता है भोपाल शहर में अठारह से अधिक छोटे-बड़े तालाब जल स्रोत के रूप में विद्यमान हैं। कुछ प्रारंभिक उपचार के बाद पीने के पानी के स्रोत हैं। वर्तमान अध्ययन भोपाल शहर की दो यूट्रोफिक झीलों, शाहपुरा झील एवं लोअर लेक हैं जोकि केंद्रित सिंचाई मत्स्य पालन एवं मनोरंजक गतिविधियों के केंद्र हैं, पर किया गया है। शाहपुरा झील नए भोपाल

मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन, Pc- webnode
घटता भूजल स्तर : कारण और निवारण
भारत में वार्षिक औसत वर्षा 1160 मिलीमीटर है. देश में बहुत बड़ा क्षेत्र सूखाग्रस्त है, जो वर्षा पर निर्भर है. जो कुल खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 44 प्रतिशत का योगदान करता हैं इसके साथ-साथ 40 प्रतिशत मानव एवं 60 प्रतिशत पशुपालन में सहयोग करता है Posted on 05 May, 2023 04:02 PM

जल केवल मानव जाति के लिए ही नही बल्कि जीव-जन्तुओं और पेड़ पौधों के लिए भी आवश्यक है. पृथ्वी पर जल के बिना जीने की कल्पना नहीं की जा सकती है. समस्त जीव जगत का आधार ही जल है. हमारे शरीर के अंदर चलने वाली समस्त जैवरासायनिक प्रक्रियाएं तो जल के अभाव में पूर्णरूप से रुक ही जाएंगी. यदि हम जल ग्रहण करना बंद कर दें तो क्या हमने और आपने कभी सोचा था कि पानी एक दिन बोतलों में बिकेगा.

घटता भूजल स्तर : कारण और निवारण, Pc-News18
राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति
प्रतिकूल भू-वायविक कारणों से यहां प्रायः सूखे की पुनरावृत्ति होती है। अतः मरुस्थलीय क्षेत्रों में मृदा व जल संसाधनों के उचित संरक्षण के द्वारा ही फसल उत्पादन में दीर्घकालिक स्थायित्व लाया जा सकता है। जल संसाधनों के उचित संरक्षण, प्रयोग व नियोजन के लिये जल संसाधनों की उपलब्धता व गुणवत्ता का समय-समय पर आंकलन इस दिशा में पहला कदम है। जल संसाधनों के दीर्घकालिक नियोजन की दृष्टि से केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर ने राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की तीन शुष्क तहसीलों के भू-जल व इसकी गुणवत्ता का विस्तृत सर्वेक्षण किया है। प्रस्तुत प्रपत्र में सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। Posted on 02 May, 2023 04:01 PM

प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से राजस्थान राज्य का पश्चिमोत्तर भू-भाग अत्यन्त पिछड़ा हुआ है। कम व अनियमित वर्षा, तीन हवाएं व भीषण गर्मी इस क्षेत्र के जलवायु को प्रतिकूल बनाने वाले प्रमुख कारक है। यहां का भू-जल अधिकांश भाग में काफी गहरा व प्रायः लवणीय होता है जो पेय व खेता दोनों ही दृष्टि से अनुकूल नहीं है। क्षेत्र की मृदाएं प्रायः बलुई व बहुत कम जल धारण क्षमता वाली होती है। तेज हवाओं के साथ बलुई

राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति,Pc-SC
रानीगंज कोयलांचल के खदान जल की गुणवत्ता का अध्ययन एक समीक्षा
इन नमूनों से विभिन्न प्रावल पैरामीटर जैसे पी एवं चालकता, कुल घुलनशील ठोस, टर्बोडिटी, घुलनशील ऑक्सीजन, कठोरता, क्लोराइड, सल्फेट, बाइकार्बोनेट, क्षारियता, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम इत्यादि का विश्लेषण किया गया। खदान जल के नमूनों की पी एच 6.5 से 8.2 के बीच पायी गयी जो कि भारतीय पेयजल मानक 10500 के अनुसार अपनी उचित सीमा 65 से 8.5 के मध्य में पायी गयी Posted on 02 May, 2023 12:11 PM

सारांश : रानीगंज कोयलांचल को भारत में कोल खनन क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। रानीगंज कोयलांचल के खदान जल की गुणवत्ता का आकलन करने के लिये खदान जल के भौतिक और रासायनिक गुणों की विशेषताओं का अध्ययन किया गया। वर्तमान अध्ययन में खदान जल को घरेलू और पेयजल में उपयोग करने हेतु खदान जल के विभिन्न प्राचल पैरामीटरों की भारतीय पेयजल मानक IS;10500 के साथ तुलना की गया। 8 खनन क्षेत्रों से ख

रानीगंज कोयलांचल के खदान जल की गुणवत्ता का अध्ययन एक समीक्षा,Pc- patrika
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