/sub-categories/news-and-articles
समाचार और आलेख
खरीफ धान के बाद फसल की उत्पादकता को बढाने और आय में वृद्धि के लिये कम से कम सिंचाई के साथ सूरजमुखी की खेती
Posted on 22 May, 2023 12:28 PMपृष्ठभूमि
सूरजमुखी एक उभरती हुई तिलहन फसल है जिसमें खरीफ धान की फसल के बाद एक आपातकालीन (Contingent ) फसल के रूप में समायोजित होने की अनुकूलन क्षमता है या यूं कह सकते हैं कि यह फसल नीची भूमि के पारिस्थितिक तंत्र में अधिक जल आवश्यकता वाली धान की फसल का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। किसी भी फसल की उपज की क्षमता और लाभप्रदता उचित सिंचाई की पद्धतियों और समय पर बुवाई
![सूरजमुखी एक उभरती हुई तिलहन फसल,Pc-Jagran](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/suraj%20mukhi%20.jpg?itok=O_h1G5pi)
जल मृदा-पौधे भोजन शृंखला के द्वारा मनुष्यों में आर्सेनिक का एक्सपोजर एक मूल्यांकन
Posted on 20 May, 2023 12:27 PMप्रस्तावना
आर्सेनिक एक सर्वव्यापी तत्व हैं, जो पृथ्वी की ऊपर की सतह (पपड़ी) में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसका तत्वों में 20 वां स्थान है तथा यह पिरियोडिक तालिका के समूह-15 से संबंधित धातु के रूप में रासायनिक रूप से वर्गीकृत है। आर्सेनिक की सबसे मुख्य ऑक्सीडेशन अवस्थाएं है (i) -3 (आर्सेनाइड), (ii) +3 (आर्सेनाइट्स) और (ii) +5 (आर्सेनेट्स) आदि। यह अकार्बनिक
![मनुष्यों में आर्सेनिक का एक्सपोजर एक मूल्यांकन,Pc-N18](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%B0%20%E0%A4%8F%E0%A4%95%20%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%A8.jpg?itok=8LOIaLLO)
मानवीय हस्तक्षेप के कारण भूजल प्रदूषण
Posted on 20 May, 2023 11:56 AMप्रस्तावना
भारत एक विकासशील देश है जहां जनसंख्या घनत्व विश्व के औसत जनसंख्या घनत्व से कहीं अधिक है। हर जगह मानव हस्तक्षेप ध्यान देने योग्य बात है, जो पीड़ित व्यक्ति से शुरू होकर मूल्यांकन करने वाले व्यक्ति तक मौजूद है। देश की प्रकृति भी इनके साथ प्रभावित हो गई है। देश में जैसे-जैसे जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है वैसे-वैसे खाद्य की माँग भी एक साथ बढ़ रही है। यह अनु
![मानवीय हस्तक्षेप के कारण भूजल प्रदूषण,Pc-Indiatimes](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/Water%20pollution.jpeg?itok=Qo8NxKtd)
मृदा प्रबंधन द्वारा जल उपयोग दक्षता में सुधार हेतु तकनीकी विकल्प
Posted on 19 May, 2023 03:22 PMप्रस्तावना
जल की कमी वाले क्षेत्रों में अधिक फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिये जल के प्रभावी प्रबंधन के दक्ष दृष्टिकोणों को अपनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है। जहाँ सिंचाई जल संसाधन सीमित है या कम ही रहे है और जहाँ वर्षा एक सीमित कारक है वहाँ फसलों की जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करना एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण विचारणीय विषय है। वैसे कुछ महत्त्वपूर्ण मृदा प्रबंधन पद्
![मृदा प्रबंधन द्वारा जल उपयोग दक्षता में सुधार हेतु तकनीकी विकल्प,PC-](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/Strip-Cropping.jpg?itok=jolG8o1u)
पैन वाष्पीकरण मीटर: सिंचाई के उपयुक्त समय के निर्धारण हेतु एक उपयोगी उपकरण
Posted on 19 May, 2023 02:40 PMप्रस्तावना
जब वर्षा और मृदा में संचित नमी फसलों की पैदावार बढ़ाने स्थिर करने के लिये पर्याप्त नहीं होती है तब फसलों की जल की माँग को पूरा करने के लिये सिंचाई बहुत ही आवश्यक है। कृषि उद्देश्यों के लिये जल संसाधनों की उपलब्धता तेजी से घट रही है क्योंकि अन्य क्षेत्रों में प्रतिस्पधायें दिन-प्रतिदिन बढ़ती हो जा रही है। हमारे देश में वर्ष 20025 और वर्ष 2050 तक सतह ज
![पैन वाष्पीकरण मीटर, Pc-constructor](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/pan-evaporation.jpg?itok=FdjDghSw)
गुजरात के जल संसाधनों पर सिंचाई विधियों का प्रभाव
Posted on 19 May, 2023 01:52 PMप्रस्तावना
गुजरात राज्य भारत के पश्चिमी भाग में स्थित है। यह पश्चिम में अरब सागर, पूर्वोत्तर में राजस्थान राज्य, उत्तर में पाकिस्तान के साथ अंतराष्ट्रीय सीमा, पूर्व मैं मध्य प्रदेश राज्य और दक्षिण-पूर्व व दक्षिण में महाराष्ट्र राज्य की सीमाओं से घिरा हुआ है। भारत में इस राज्य का 1600 किलोमीटर की लंबाई के साथ सबसे लंबा समुद्र तट है यह 20°01' से 24° उत्तरी अक्षा
![गुजरात के जल संसाधनों पर सिंचाई विधियों का प्रभाव,Pc-vivacepanorama](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/Water-Resources.jpg?itok=m2sJPwgq)
वर्षा जल संचयन एवं इसका बहुआयामी उपयोग तथा प्रबंधन
Posted on 19 May, 2023 11:34 AMप्रस्तावना
कृषि उत्पादन में जल की बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सिंचित स्थिति की तुलना में असिंचित स्थिति में उगाई गई फसलों की पैदावार लगभग आधी ही प्राप्त होती है जिससे किसानों को कृषि में भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। देश के उत्तरप्रदेश राज्य में औसतन वर्षा लगभग 1000 मिलीमीटर ही प्राप्त होती हैं जिसका अधिकांश भाग भूमि की ऊपरी सतह से बहकर नदी एवं नालों
![वर्षा जल संचयन एवं इसका बहुआयामी उपयोग तथा प्रबंधन,PC-MONCHASHA](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/fish.jpg?itok=WaBDCTWQ)
जम्मू व कश्मीर के नहरी कमांड क्षेत्रों में धान-गेहूँ फसल अनुक्रम की जल उत्पादकता में सुधार हेतु किसानों के खेतों में लेजर लेवलर तकनीक का प्रसार
Posted on 18 May, 2023 03:09 PMप्रासंगिकता
जम्मू के विभिन्न नहरी कमांड क्षेत्रों में चान गेहूँ फसल अनुक्रम के तहत कुल क्षेत्र 1.10 लाख हैक्टेयर आता है। इस क्षेत्र के कमांड क्षेत्रों में कृषि के लिये जल उपलब्धता में कमी के साथ साथ फसलों की पैदावार और इनपुट दक्षता में कमी मुख्य चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसलिये जल की कमी को देखते जम्मू के विभिन्न नहरी कमांड क्षेत्रों में चान गेहूँ फसल अनुक्
![जम्मू व कश्मीर के नहरी कमांड क्षेत्रों में धान-गेहूँ फसल,PC-AT](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/farmer.jpg?itok=WCKt3tmV)
पूर्वी भारत के वर्षा आधारित क्षेत्रों में अनानास की खेती
Posted on 18 May, 2023 02:14 PMप्रस्तावना
पूर्वी भारत में 12.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वर्षा आधारित धान की खेती के अंतर्गत है। इन वर्षा आधारित क्षेत्रों में अधिकांशतः भूमि वर्षा के बाद रबी मौसम में सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण मुख्य रूप से परती खंड दी जाती है। इस कारण इस भूमि का खेती के लिए उचित उपयोग नहीं हो पाता है। इसी प्रकार की समान परिस्थिति ओडिशा राज्य में भी मौजूद है। दूसरी तरफ धान
![पूर्वी भारत के वर्षा आधारित क्षेत्रों में अनानास की खेती,Pc-Advance Agriculture](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B8%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%80-1.jpg?itok=HyGmX5sA)
ओडिशा राज्य के तटीय क्षेत्रों में मीठे जल की उपलब्धता में वृद्धि हेतु तकनीकी विकल्प
Posted on 18 May, 2023 12:40 PMप्रस्तावना
ओडिशा राज्य के तटीय क्षेत्रों में मानसून अवधि के दौरान अतिरिक्त जल का भराव और मानसून अवधि के बाद ताजा जल की अनुपलब्धता आदि जैसी दोहरी समस्याओं का सामना करना पड़ता है या करना पड़ रहा है। मौजूदा जल संसाधनों के लिये लवणीय जल का प्रवेश इस स्थिति को और भी अधिक गंभीर बना देता है और यह आमतौर पर मानवता और विशेष रूप से कृषि, मीठे जल के संसाधन, मछली पालन और जल
![स्लूइस गेट तकनीक, PC- Wikimedia Commons](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/Sluice_Gate.jpeg?itok=NPB5aySr)