उत्तराखंड

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बाढ़ प्रबंधन में तटबंध की विवादास्पद भूमिका
Posted on 01 Feb, 2012 02:02 PM बाढ़ प्रबंधन के संरचनात्मक उपायों में तटबंध का महत्वपूर्ण स्थान सुरक्षित है। फिर भी अपनी कई मूलभूत कमियों के कारण शुरू से ही इसकी उपयोगिता विवादास्पद रही है। इन कमियों में कुछ मानवीय कमियां या क्रियाओं यथा तटबंध का उचित रखरखाव का अभाव, तटबंध बनाने की गलत योजना या स्लूइस इत्यादि संरचनाओं के यथोचित यथास्थान निर्माण या रखरखाव के अभाव से अत्यधिक वृद्धि हुई है तथा इनकी कई प्रभावी उपयोगिताओं पर प्रश्न च
जलवायु परिवर्तन – कारण एवं प्रभाव
Posted on 01 Feb, 2012 01:59 PM पिछले कुछ दशकों से संपूर्ण विश्व में अभूतपूर्व औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ है। जिसके कारण सांसारिक ऐशो आराम और मूलभूत सुविधाओं को आम-आदमी तक पहुंचाना संभव हुआ है। परंतु इस होड़ में औद्योगिक एवं कृषि संबंधी क्रिया-कलापों के फलस्वरूप हमारे पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। इसके कारण हमारे सामने नई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।
जल सस्य-कर्तन तथा प्रबंधन- एक वस्तुस्थिति अध्ययन
Posted on 01 Feb, 2012 01:56 PM भारत में ज्यादातर कृषि-भूमि वर्षा पर निर्भर करती है। यह वर्षा मानसून के महीनों में ही प्राप्त होती है। यदि इस मौसम में प्राप्त अत्यधिक जल का संरक्षण तथा नियंत्रण किया जा सके तो क्षेत्र की कई समस्यायें जैसे कि तलछट हानि, सूक्ष्म जलवायु आदि के सुधार में लाभकारी सिद्ध होगा। इस प्रपत्र में पंजाब के होशियारपुर जिले में बलोवल सोंखरी क्षेत्र के लिये सस्य कर्तन संरचना की योजना का वस्तुस्थिति अध्ययन किया ग
गढ़वाल हिमालय में विभिन्न भूमि उपयोग वाले दो जलागमों में जल उत्पादन अध्ययन
Posted on 25 Jan, 2012 09:46 AM प्रस्तुत शोध पत्र में विभिन्न भूमि उपयोग वाले दो सूक्ष्म जलागमों का अध्ययन किया गया है। प्रथम जलागम भाग बंजर, 38 प्रतिशत तथा 50 प्रतिशत वनाच्छादित, 12 प्रतिशत कृषि हेतु उपयुक्त होता है। इस जलागम से मात्र 1.7 टन प्रति हे.
जल संसाधन के इष्टतम उपयोग में प्रबंधन की भूमिका- एक विषय विशेष अध्ययन
Posted on 24 Jan, 2012 04:57 PM

जलाशयों की संरक्षण मांगों को उत्तम प्रकार से तभी संतुष्ट किया जा सकता है जब जलाशय मानसून के मौ

भारतीय कृषि जलवायु : एक अध्ययन
Posted on 24 Jan, 2012 04:38 PM प्रस्तुत अध्ययन से स्पष्ट होता है कि आदर्श कृषि नियोजन के लिए पूरे भारतवर्ष को कृषि मौसमीय मार्गों में कम्प्यूटर की सुविधा अच्छी तरह से बांटा जा सकता है। इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट है कि मोटे तौर पर देश को 179 Soil Climatic Zones में बांटा जा सकता है तथा इस प्रकार इन क्षेत्रों के विकास का नियोजन उनकी प्रभावी क्षमता के आधार पर किया जा सकता है।
जल संतुलन के अध्ययन से जल स्रोतों के संयुक्त उपयोग की योजना-बरगी परियोजना के अंतर्गत एक अध्ययन
Posted on 19 Jan, 2012 05:06 PM सतही जल स्रोतों का अधिकता में उपयोग करने से विभिन्न सिंचाई कमान क्षेत्रों में भूमिगत जल के पुनर्भरण में वृद्धि देखी गई है जिसक कारण भूमिगत जल का स्तर ऊपर उठने लगता है, जल संतुलन के अध्ययन द्वारा जल के आवागमन के विभिन्न घटकों का मूल्यांकन कर उनके संयुक्त उपयोग के बारे में योजना बनाई जा सकती है। प्रस्तुत अध्ययन मध्यप्रदेश के जबलपुर के पास बरगी कमान क्षेत्र में इन्हीं घटकों का मूल्यांकन करने हेतु किय
जल संसाधन के आयोजन एवं प्रंबधन मे जलविज्ञानीय अन्वेषण का योगदान
Posted on 19 Jan, 2012 05:04 PM भारत की जल-संसाधन परियोजनाएं कम आंकड़ें व पुरानी पद्धतियों के आधार पर बनी है, फलस्वरूप इनकी वास्तविक क्षमता आंकलित क्षमता से भिन्न है। तदर्थ आधार पर जल संसाधनों का विकास नियंत्रण और उपयोग लम्बे समय तक नहीं चल सकता। इसके लिए समकेतिक योजना समग्र दृष्टि के रूप में तैयार की जाए। जल के अधिकतम उपयोग, अधिकतम काम एवं नियंत्रण के लिए परियोजना में संबंधित सभी पक्षों एवं कारणों पर विचार जरूरी है। सभी संभावित
जलवायु परिवर्तन और जल संसाधन पर इसका प्रभाव : एक विवेचन
Posted on 19 Jan, 2012 04:59 PM तीव्र औद्योगिकीकरण और शहरीकरण की वजह से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसें, जो वातावरण में तो नगण्य मात्रा में हैं, परन्तु विकिरण की दृष्टि से काफी सक्रिय हैं, दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही चली जा रही है। इन गैसों के सांद्रण की वृद्धि पर समुचित नियंत्रण न रखा गया तो इसकी वजह से वायुमंडल की रचना में क्रमिक परिवर्तन होगा, जो पूरे विश्व के जलवायु और जल चक्र को प्रभावित कर सकता है। फलस्वरूप, जल संसा
जल संसाधन विकास व भारतीय संविधान- विवेचनात्मक अध्ययन
Posted on 19 Jan, 2012 04:43 PM जल एक प्रधान प्राकृतिक संसाधन है। जल मानव की आधारभूत आवस्यकता है और सब विकासमान आयोजन का एक मुख्य तत्व है। यह परिस्थितिकी का एक अनिवार्य और नियंत्रक तत्व है। जीवित रहने और बढ़ोत्तरी के लिए मानव पूरी तरह जल पर निर्भर है। जल के प्रबंधन और उसको संभालने के लिए मानव की क्षमता बड़ी तेजी से बदलती रही है। जल का प्रबंधन जटिल किन्तु रोमांचक अनुभव है।
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