उत्तराखंड

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म.प्र. स्थित औद्योगिक क्षेत्रों से निस्सारित दूषित जल का भूजल पर प्रभावः एक अध्ययन
Posted on 31 Mar, 2012 12:07 PM

उपरोक्त अध्ययन से ज्ञात होता है कि संबंधित औद्योगिक क्षेत्र में भूजल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है जिसका मुख्य कार

हिमालय बेसिन में हिमाच्छादित क्षेत्र के अपक्षय से वायुताप का संबंध
Posted on 30 Mar, 2012 03:25 PM माध्य वायु ताप के प्रयोग से हिमाच्छादित क्षेत्र (एस.सी.ए) के अपक्षय के मूल्यांकन के लिए एक प्रणाली की रूपरेखा तैयार की गई तथा इसका परीक्षण किया गया। चूँकि हिम का अपक्षय हिमाच्छादित क्षेत्र तथा उसके आसपास की जलवायु की दशाओं का एक संचयी प्रभाव होता है, अतः एक निकटवर्ती स्टेशन के संचयी माध्य ताप (सी.टी.एम) को एस.सी.ए के अपक्षय को दर्शाना चाहिए। पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में अवस्थित सतलुज बेसिन (22,305 व
हिमनदीय बेसिन से आने वाले जल प्रवाह पर ऋतु परिवर्तन के प्रभाव
Posted on 30 Mar, 2012 03:15 PM वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों के निरंतर बढ़ती मात्रा के परिणाम स्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। हिमनदों के द्रव्यमान, आयतन, क्षेत्रफल व लम्बाई में होने वाली कमी को स्पष्ट तौर पर निरंतर गर्म होती ऋतु का संकेतक माना जा सकता है। हिमनदों से आने वाला जल प्रवाह स्थानीय जल संसाधनों में महत्वपूर्ण योगदान करता है। इस प्रपत्र में गढ़वाल हिमालय में स्थित डोकरयानी हिमनद से अलग-अलग ऋतु परिवर्तन परि
उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में मौसम के परिवर्तन का प्रभाव
Posted on 30 Mar, 2012 03:04 PM मौसम का पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों एवं मानव के रहन-सहन व उनके क्रियाकलापों का सीधा सम्बंध है। मौसम के आकस्मिक परिवर्तन जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। एक साथ तेज वर्षा से बाढ़ व जलमग्नता की स्थिति, वर्षा के न होने से सूखे की स्थिति अथवा तापक्रम में एक साथ परिवर्तन की स्थिति सभी में जन जीवन पूरी तरह से प्रभावित होता है। उदाहरणतया गत वर्ष मार्च माह में तापक्रम में आकस्मिक परिवर्तन से बढ़ी गर्मी
भारतीय उपमहाद्वीप में 10,000 वर्षों में हुये जलवायु परिवर्तन
Posted on 30 Mar, 2012 02:56 PM यह आलेख भारतीय उपमहाद्वीप में 10,000 वर्षों में जलवायु परिवर्तन का संस्कृति एवं साहित्य के विकास पर प्रभाव का संक्षिप्त इतिहास है। इस आलेख को तैयार करने के लिए कई विषयों से सामग्रियां एवं सूचनाएं एकत्रित की गई है, जैसे कि पौराणिक धर्मग्रंथ, पुरातत्वविज्ञान, जीवाश्म जलवायु विज्ञान, जलवायु विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, सुदूर संवेदन, भूविज्ञान, जलविज्ञान, धर्म-शास्त्र, धर्मदर्शन, इतिहास, तत्व-ज्ञान इत्य
अब देवसारी प्रोजेक्ट से गुस्सा
Posted on 30 Mar, 2012 12:45 PM

‘माँटू’ जनसंगठन और ‘भूस्वामी संघर्ष समिति’ का सवाल यह है कि जिस परियोजना की जनसुनवाई तीन साल में पूरी नहीं हो पा

निचली मनेर बांध में दरार जनित प्रवाह का एनडब्लुएस डीएएमबीआरके द्वारा अनुकार अध्ययन
Posted on 30 Mar, 2012 11:08 AM जल संसाधनों के विकास एवं बेहतर उपयोग तथा बाढ़ प्रबंधन हेतु बांधों का निर्माण सर्वविदीत है। इसके फलस्वरूप नियोजित उद्देश्यों के साथ-साथ बांध के निचले क्षेत्रों के विकास की गतिविधि एवं आबादी में भी बढ़ोत्तरी होने लगती है। बांध में दरार उत्पन्न होने या इसके सम्पूर्ण-रूप से बह जाने की स्थिति में निचले क्षेत्रों में बाढ़ जैसी आपदा उत्पन्न हो सकती है। इन क्षेत्रों में घनी आबादी की वजह से अत्यधिक जान एवं
बाढ़ पूर्वानुमान एवं जल प्रबंधन में निर्णय समर्थक तंत्र की भूमिका
Posted on 30 Mar, 2012 10:59 AM हमारे देश में जल वृष्टि एवं हिमपात के रूप में जल उपलब्ध होता है, किंतु यह समय और स्थान की भिन्नता के कारण एक ओर बाढ़ एवं दूसरी और सूखा की स्थिति उत्पन्न कर देता है। इससे बचने के लिये विभिन्न उपाय किये गये हैं किन्तु इस समस्या का सम्पुर्ण उन्मूलन नहीं हुआ है। वहीं दूसरी ओर विकास की प्रक्रिया में साधारणतः संसाधनों की मात्रा एवं गुणवत्ता दिन पर दिन क्षीण होती जाती है, जब तक कि प्राकृतिक अथवा कृत्रिम
रेडियोधर्मि विधि से उत्तर भारत की प्रमुख झीलों में अवसाद दर का आंकलन
Posted on 30 Mar, 2012 10:46 AM उत्तर भारत के राज्य उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर और मध्यप्रदेश में स्थितर प्रमुख झीलों के अवसादन दर का आंकलन रेडियो धर्मी विधि से किया गया है। यह प्रमुख झीलें उत्तराखंड में, नैनीताल, भीमताल, समतल व कूचीयाताल झील, जम्मू एवं कश्मीर में मानसर और डल झील और मध्यप्रदेश में सागर एवं भोपाल झील है। इन झीलों का फैलाव क्षेत्र तथा पानी संचय करने की क्षमता में तीव्र गति से अवसाद जमा होने के कारण घट रही है अतः र
बड़े बांध नहीं : स्थायी विकास चाहिए
Posted on 30 Mar, 2012 10:29 AM

भागीरथी गंगा पर जिस लोहारी-नागपाला बांध को रोका गया था वहां पर बन चुकी सुरंग को ऐसे ही छोड़ दिया है। मकानों में

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