निचली मनेर बांध में दरार जनित प्रवाह का एनडब्लुएस डीएएमबीआरके द्वारा अनुकार अध्ययन

जल संसाधनों के विकास एवं बेहतर उपयोग तथा बाढ़ प्रबंधन हेतु बांधों का निर्माण सर्वविदीत है। इसके फलस्वरूप नियोजित उद्देश्यों के साथ-साथ बांध के निचले क्षेत्रों के विकास की गतिविधि एवं आबादी में भी बढ़ोत्तरी होने लगती है। बांध में दरार उत्पन्न होने या इसके सम्पूर्ण-रूप से बह जाने की स्थिति में निचले क्षेत्रों में बाढ़ जैसी आपदा उत्पन्न हो सकती है। इन क्षेत्रों में घनी आबादी की वजह से अत्यधिक जान एवं माल की हानि की संभावना होती है। ऐसे परिपेक्ष्य में ही बांध में दरार जनित प्रवाह के अनुकार अध्ययन का महत्व बढ़ जाता है। अनुकार अध्ययन से यह पता किया जा सकता है कि बांध के पूर्णतः या अंशतः विफल या टूटने की स्थिति में निचले स्थानों में कितने समय बाद और कितना प्रवाह आ सकता है।

आप्लावित क्षेत्रों में जल का स्तर कितना होगा और कितने समय के लिए अप्लावन की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे आंकड़ों का उपयोग कर निचले क्षेत्रों को जोखिम के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में बांटा जा सकता है तथा क्षेत्र विशेष के लिए विकासशील गतिविधियां भी निर्धारित की जा सकती है जिससे कि बांध के विफल होने की स्थिति में इससे होने वाले नुकसान को कमतर किया जा सके। इस शोध-पत्र में आंध्रप्रदेश के करीमनगर जिले में गोदावरी की सहायक नदी मनेर पर स्थित निचली मनेर बांध के टूटने या दरार पैदा होने से उत्पन्न प्रवाह के विश्लेषण के लिए एनडब्लुएस डीएएमबीआरके मॉडल का उपयोग किया गया है। अधिकतम संभावित बाढ़ जलालेख के अभाव में ऐतिहासिक बाढ़ जलालेख और तीन दिवसीय अधिकतम अभिकल्पित दृष्टि के आंकड़ों का उपयोग कर एक परिक्ष्यमान संभावित अधिकतम बाढ़ जलालेख की गणना की गई है।

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