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/regions/uttarakhand-1
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इस देश में सिंचाई प्रबंधन की दो भिन्न व्यवस्थाएं चालू हैं एक जो बहुत पहले कृषक समुदाय द्वारा सामूहिक प्रयास से व
पानी की कमी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। राष्ट्र में 1951 में प्रति व्यक्ति पानी का व्यय 2450 मी.3 प्रतिवर्ष था, जो
अंतः स्यंदन जल संतुलन की गणना एक आवश्यक अंग है। जलविज्ञानीय अध्ययनों के लिए विभिन्न प्रकार की मृदाओं एवं भूमि उपयोगों की स्थिति में अन्तःस्यंदन ज्ञान जरूरी है। अंतःस्यंदन दर एक मृदा में जल के प्रवेश कर सकने की अधिकतम दर को निर्धारित करती है। अंतः स्यंदन दर पूर्वगामी मृदा नमी एवं प्रपुण्ज घनत्व में परिवर्तन से प्रभावित होती है। जलोढ़ मृदा, काली मृदा, लाल मृदा एवं लेटराइट मृदा, भारत में पाये जाने