उत्तराखंड

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सानंद के साथ बदसलूकी, भरत झुनझुनवाला पर हमला
Posted on 23 Jun, 2012 04:32 PM 22 जून की सुबह जी.डी अग्रवाल के साथ धारी देवी के जाने के दौरान बांध समर्थकों ने बदसलूकी की और उनकी गाड़ी का पीछा किया और पथराव किया। फिर बाद में प्रसिद्ध लेखक भरत झुनझुनवाला के घर पर तोड़फोड़ की।

पुलिस स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद को अपनी गाड़ी में बैठाकर धारी देवी मंदिर से निकली तो बांध समर्थक भी बाइक और कारों में सवार होकर पीछे हो लिए। उन्होंने लछमोली तक पुलिस वाहन का पीछा किया। रास्ते में ढामक, चमधार, श्रीनगर, कीर्तिनगर और जुयालगढ़ में पुलिस वाहन रोकने का भी प्रयास किया गया। इस दौरान उन्होंने वाहन पर पथराव कर सानंद पर स्याही डालने की कोशिश भी की। यहां पहुंचे बांध समर्थकों का अगला निशाना सानंद के मित्र डॉ. झुनझुनवाला बने। लछमोली में उनके आवास पर धावा बोलकर तोड़फोड़ की गई। बांध समर्थकों ने उनके चेहरे पर स्याही उड़ेली और उनकी पत्नी के साथ मारपीट की।

22 जून 2012 जागरण टीम, श्रीनगर / हरिद्वार। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना बंद होने की चर्चा के बीच पहली बार धारी देवी मंदिर पहुंचे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद (प्रो.जीडी अग्रवाल), जल पुरुष राजेंद्र सिंह और वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक को परियोजना समर्थकों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। हालात की गंभीरता को देखते हुए पुलिस सुरक्षा में उन्हें वहां से निकाला गया, लेकिन गुस्साए लोगों ने उनका 19 किलोमीटर दूर लछमोली तक पीछा किया। उग्र रूप ले चुके प्रदर्शनकारियों ने यहां भी जमकर बवाल काटा। इन लोगों ने स्वामी सानंद के मित्र वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.भरत झुनझुनवाला के घर पर जमकर तोड़फोड की। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने डॉ. झुनझुनवाला के चेहरे पर स्याही उड़ेल दी और पत्‍‌नी के साथ मारपीट की। उधर, सानंद और उनके साथियों को पुलिस ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार ले गई। दोपहर बाद सानंद को पुलिस सुरक्षा में मुजफ्फरनगर के लिए रवाना कर दिया गया।
परियोजनाओं के समर्थन का ‘खेल’
Posted on 14 Jun, 2012 10:06 AM विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनते ही अपने एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है। उनके साथ उन लोगों की एक बड़ी जमात जुट गई है जो सत्ता के आसपास रहकर अपने हित साधने में लगी रहती है। विजय बहुगुणा ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था तो उनके विरोधियों को शंका थी कि उन्हें प्रदेश का मुखिया बनाने में इन्हीं लोगों का हाथ है। विजय बहुगुणा ने जिस तत्परता से जलविद्युत परियोजनाओं की वकालत शुरू की है तथा उ
उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों की लूट कर रहीं परियोजनाएं
Posted on 13 Jun, 2012 01:06 PM उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण आवश्यक बताए जाने से लोग उनके पक्ष में खड़े होते दिख रहे हैं। इनमें समाजसेवी, साहित्यकार, बुद्धिजीवी एवं आम लोग भी शामिल दिख रहे हैं। भागीरथी पर बन रहे बांधों के खतरे सबके सामने हैं। टिहरी का जलस्तर बढऩे से कई गांव मौत के साये में जी रहे हैं। बावजूद इसके आंखें बंद कर राज्य को बिजली प्रदेश बनाने की जिद में बांध परियोजनाओं को जायज ठहर
फिर चहकी बीन गूज
Posted on 12 Jun, 2012 03:11 PM

बीते दिनों उत्तराखंड के कार्बेट क्षेत्र में तुमड़िया बांध के पास बीन गुज विचरण करते पाए गए। उत्तराखंड में पहली ब

कोप 15 : कोपेनहेगन जलवायु वार्ता: जनपक्षीय और समग्र हिमालयी नीति जरूरी
Posted on 07 Jun, 2012 03:59 PM संयुक्त राष्ट के कोपेनहेगन जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि में आज दुनिया भर में जिस विषय पर यकायक चर्चा केन्द्रित हो गई है, वह विषय है तेजी से गरमाती धरती और वातावरण के कारण हो रहा जलवायु परिवर्तन। बाली से बार्सेलोना तक और ऋषिकेश से लेकर बेलम (ब्राजील) तक विभिन्न स्तरों पर जलवायु परिवर्तन का मसला गरम है। जलवायु परिवर्तन को लेकर एक बहस तो यह है कि 18 हजार
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भागीरथी नदी का दर्द
Posted on 29 May, 2012 11:58 AM भागीरथी नदी के अविरल प्रवाह को रोकने और अनावश्यक छेड़छाड़, नदी को बांधने की कोशिश और तटों पर खनन बदस्तूर जारी है। गोमुख के पास चट्टानों पर साधु-संतों के लंगोट तथा बहते पानी के साथ मैले अंगोछे तैरते रहते हैं, गुटखे के खाली पाउच और सिगरेट के डिब्बे जगह-जगह बिखरे पड़े रहते हैं। गंगोत्री जाने वाले सैलानी खाना खाकर थालियों में बचा-खुचा खाना उस पानी के हवाले कर दिया जाता है जो पहाड़ से उतर कर भागीरथी
वर्षा जल तथा भू-जल में समस्थानिकों का क्षेत्रीय संजाल
Posted on 16 May, 2012 11:52 AM स्थिर समस्थानिकों का जल विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग एक बड़ी उपलब्धि है। सर्वप्रथम फ्रीडमान द्वारा वर्षा जल में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के समस्थानिकों में सह-परिवर्ती के अध्ययन के उपरांत क्रेग के द्वारा ग्लोबल मीटिओरिक वॉटर लाइन (जी.एम.डब्ल्यू.एल.) के रूप में स्थापना की गयी।
जल प्रबंधन में कल्पित जल के सिद्धांत की भूमिका व महत्व
Posted on 15 May, 2012 03:49 PM कल्पित जल (Virtual Water) किसी उत्पाद या विशिष्ट सेवा के लिए आवश्यक जल की मात्रा है। खाद्यान्न, सब्जी, मांस, डेयरी उत्पादों, इस्पात, पैट्रोल, कागज इत्यादि के उत्पादन हेतु जल की आवश्यकता होती है। यह जल कल्पित है, क्योंकि प्रत्यक्षतः यह उत्पादों में विधमान नहीं रहता है। उदाहरणार्थ भारतवर्ष में एक किग्रा गेहूं के उत्पादन के लिए 1654 लीटर एवं एक किग्रा मक्का के उत्पादन हेतु 1937 लीटर जल की आवश्यकता हो
शक्ति-संतुलित जल-संसाधन व्यवस्था : भारत-समृद्धि का समीकरण
Posted on 15 May, 2012 01:22 PM भारत जल-संसाधन सम्पदा में काफी समृद्ध है, फिर भी पेय जल के लिए सर्वत्र हाहाकार मचा है। बड़े-बड़े बांधों का निर्माण निरंतर जारी है। बंधियों की लम्बाई भी बढ़ती जा रही है। इसी अनुपात में विनाशलीला भी बढ़ती चली जा रही है। लाखों, करोड़ों की सम्पत्ति तथा असंख्य लोगों की तबाही हर वर्ष अवश्यम्भावी हो गयी है। मृदाक्षरण के प्रकोप से हजारों एकड़ जमीन हर वर्ष नष्ट हो रही है। गांव का गांव उजड़ता चला जा रहा है।
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