उत्तराखंड

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भारतवर्ष की प्रमुख नदियों के पौराणिक नाम - एक अध्ययन
Posted on 15 May, 2012 12:52 PM जल मानव जीवन के लिए अमूल्य है तथा जल के बिना जीवन की परिकल्पना भी सम्भव नहीं है। जल का प्रमुख स्रोत होने के कारण नदियों के तट पर विभिन्न संस्कृतियां एवं जन-जीवन विकसित हुए हैं। विश्व की अधिकांश नदियों को उनकी स्थिति, व्यवहार, जल के रंग-रुप एवं पौराणिक किवदंतियों के आधार पर अपने मूल नामों के साथ अन्य पौराणिक एवं वैकल्पिक नामों से भी जाना जाता है। प्रस्तुत प्रपत्र में विश्व की प्रमुख नदियों के साथ-स
भारतवर्ष के निरंतर विकास में जल-संसाधनों की भूमिका
Posted on 15 May, 2012 12:24 PM पीने के पानी और मल निस्सारण पर हो रहे खर्च का आठ गुणा खर्च भारत में रक्षा पर होता है। एक तृतीयांश से भी अधिक आबादी वाली ऐसी 14 नदियों का क्षेत्र बुरी तरह से प्रदूषित है। हर गर्मियों में पानी के लिए लंबी कतारें और अखबार की सुर्खियों में इसके चर्चे हमें दिखाई देते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति में भी स्वतंत्रता के 60 साल बाद भी जीवन द्रव्य माने जाने वाले पानी के संरक्षण के प्रति हमारी लापरवाही स्पष
भारतीय धर्म महोत्सवों का जल संसाधनों पर प्रभाव – एक अध्ययन
Posted on 15 May, 2012 11:14 AM प्रस्तुत अध्ययन अर्ध कुम्भ मेला 2007 के आयोजन के दौरान जल गुणवत्ता में आये परिवर्तन पर प्रकाश डालता है। कुम्भ मेले के आयोजन के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं के इलाहाबाद में गंगा, यमुना एवं संगम पर स्नान करने के कारण उन घाट के जल का गुणवत्ता के स्तर बदल जाते हैं। हम इस अध्ययन में जल के इस गुणवत्ता परिवर्तन का विश्लेषण कर, इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस प्रकार के आयोजन के लिए एक ठोस रणनीति की आवश्यकता
शुष्क प्रदेशों में जल संसाधन व उनका महत्तम उपयोग- एन.एम.सदगुरु जल व विकास संस्थान दाहोद (गुजरात) का एक प्रयास
Posted on 15 May, 2012 10:02 AM दाहोद जिला गुजरात राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है। यह पश्चिम दिशा में पंचमहाल जिले गुजरात से उत्तर दिशा में बांसवाड़ा (राजस्थान) पूर्व में झाबुआ जिला म.प्र.
कुमाऊं के जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू
Posted on 03 May, 2012 03:31 PM

वन महकमें के हिस्से आने वाली रकम का ज्यादातर भाग वन विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की तनख्वाह वगैरह में खर्च हो

wildfire
पहाड़ों से पलायन
Posted on 03 May, 2012 02:28 PM

उत्तराखंड में 558 जलविद्युत परियोजनाएं प्रस्तावित हैं जो भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी और नदी सहायक जलधाराओं पर चल

दूर संवेदन के समग्र प्रयोग द्वारा भूजल स्रोतों का चित्रण
Posted on 01 May, 2012 03:16 PM मनुष्य की कुल जल आवश्यकता लगभग 80% पूर्ति भूजल से प्राप्त होती है। समग्र कृषि और जल का विकास, सर्वांगीण विकास की आवश्यक कड़ी है। जल संसाधन विकास के लिए आवश्यक है कि भूजल स्रोतों को चिन्हित किया जाये और विश्वसनीय एवं आशावादी विकास किया जाय सामान्यतः यह पाया गया है कि संसाधनों के आंकलन हेतु आवश्यक सूचना प्रथमतः तो उपलब्ध ही नहीं होती है या फिर आवश्यक के अनरुप नहीं होती है। दूर संवेदन तकनीकी का प्रयो
सुदूर संवेदन तकनीक का हिम जलविज्ञान में उपयोग
Posted on 01 May, 2012 03:12 PM हिमालय में स्थित हिम व हिमनद प्राकृतिक जलाशय का कार्य करते हैं। हिम व हिमनद गलन द्वारा उत्तर भारत की प्रमुख नदियों में ग्रीष्म काल में जल उपलब्ध होता है। हिम गलन से हिम आवरण में मार्च से अक्टूबर तक प्रतिवर्ष परिवर्तन होता है। हिम आवरण में परिवर्तन की जानकारी जलविज्ञानीय अनुकरण व निदर्श में सहायक है। जल अपवाह के आधार पर जल संसाधन व जल विद्युत परियोजनाओं की योजना, प्रबंधन व परिचालन होता है। जल आवरण
सुदूर संवेदी तकनीकों द्वारा जल बंधता का निर्धारण एवं चित्रण करना
Posted on 01 May, 2012 03:08 PM पर्याप्त निकासी तंत्र की व्यवस्था किये बिना सिंचाई परियोजनाओं के निष्पादन से भूजल पुनःपूरण एवं निस्सरण के बीच साम्यता प्रभावित हो गयी है, जिसके परिणाम स्वरूप भारत में सेच्य क्षेत्र में भूजल स्तर में अभिवृद्धि पायी गयी है। तवा सेच्य क्षेत्र सिंचाई अधिकता एवं नहर तंत्र से रिसाव के कारण जल बंधता की समस्या का सामना कर रहा है।
सुदूर संवेदी विधि द्वारा ऊपरी कोलाब जलाशय में अवसादन का निर्धारण
Posted on 01 May, 2012 03:04 PM पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए समस्त प्राकृतिक सम्पदाओं में से जल सबसे महत्वपूर्ण एवं आवश्यक सम्पदा है। भविष्य में प्रत्येक प्राणी मात्र के लिए उचित मात्रा में जल उपलब्ध हो सके इसलिए इसका उचित भंडारण, संरक्षण एवं प्रबंधन करना अति आवश्यक है। जल के भंडारण के लिए जलाशय एक महत्वपूर्ण संरचना है। इन जलाशयों में समय के साथ-साथ अवसादन का जमाव एक प्रमुख समस्या है। इस समस्या से निपटने एवं जल
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