जल संग्रह में जन सहकार द्वारा ग्रामीण जल समृद्धि एवं रोजगारी

गुजरात सरकार ने राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में भूजल सतह की गिरावट एवं ग्रामीणों के सूरत एवं अहमदाबाद जैसे शहरों की और स्थानातंरित होने की समस्या को गंभीरता से लेते हुए 1997-1998 वर्ष में इस समस्या के समाधान हेतु जलसंग्रह योजनायें शुरु की, एवं उनकी प्रगति की समीक्षाएं करते हुये उनके क्रियान्वयन में आने वाली रुकावटों को दूर करने के उपाय सुझाये। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज तालाब, खेत, तलाबड़ी, सीमतलबड़ी, चेकडैम जैसी योजनायें ग्रामीणों की अपनी योजना बन गयी हैं तथा वे अपने गांव की भूमि में ऐसे जलसंग्रह के अधिक से अधिक कार्य करा लाने के लए सदैव प्यत्नशील रहते हैं।

सौराष्ट्र विस्तार में पहले जहां खरीफ में मूंगफली मुख्य फसल थी एवं रबी की फसलें गिरते जल स्तर के कारण लगभग लुप्त होती जा रही थी। लोगों का शहरों में रोजगार प्राप्त करने हेतु स्थानांतरण हो रहा था। वहीं “जल संग्रह” के कार्यों से आज स्थिति एकदम विपरीत हो गई है। अब खरीफ में सिंचाई देकर कपास की खेती के विस्तार क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में 657700 हैक्टेअर अर्थात 194% वृद्धि हुई है। रबी में गेहूं की फसल का विस्तार क्षेत्र 26800 से 1,96,600 हैक्टेअर हो गया है जो 634% वृद्धि है। (तालिका-1) वही ग्रीष्मकाल की मूंगफली की खेती के विस्तार क्षेत्र में 16100 हैक्टेअर बढ़ोत्तरी पाई गई है। इस प्रकार वर्ष 2000-01 की तुलना में 460% ज्यादा विस्तार क्षेत्र में मूंगफली की फसल उगाई गई। खेती विस्तार क्षेत्र की बढ़ोत्तरी के साथ उत्पादकता में भी वृद्धि होने से इस क्षेत्र की खेती से अतिरिक्त 728.53 लाख मानव दिन कृषि रोजगार निर्मित हुए हैं।

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