वी.के चौबे

वी.के चौबे
झील के जल संसाधन का विकास, संरक्षण तथा प्रबंधन का सिद्धांत
Posted on 28 Apr, 2012 10:13 AM किसी भी भौगौलिक क्षेत्र के झील के जल संसाधन प्रबंधक अंततः उस क्षेत्र के जन समुदाय के सामाजिक, राजनितिक एवं आर्थिक मूल्यों एवं समृद्ध के लिए जिम्मेदार है। झील संसाधन प्रबंधन किसी भी क्षेत्र के सामाजिक एवं राजनितिक लक्ष्य को इंगित कर देना चाहिए। इन सामाजिक एवं राजनितिक लक्ष्य को परिभाषित करने का दायित्व सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के उपर है एवं इन दायित्वों का निर्वाह सरकार के विभिन्न कार्यालयों के
विभिन्न भूमि उपयोगों पर अंतःस्यंदन गुणों का अध्ययन
Posted on 26 Apr, 2012 10:05 AM

अंतः स्यंदन जल संतुलन की गणना एक आवश्यक अंग है। जलविज्ञानीय अध्ययनों के लिए विभिन्न प्रकार की मृदाओं एवं भूमि उपयोगों की स्थिति में अन्तःस्यंदन ज्ञान जरूरी है। अंतःस्यंदन दर एक मृदा में जल के प्रवेश कर सकने की अधिकतम दर को निर्धारित करती है। अंतः स्यंदन दर पूर्वगामी मृदा नमी एवं प्रपुण्ज घनत्व में परिवर्तन से प्रभावित होती है। जलोढ़ मृदा, काली मृदा, लाल मृदा एवं लेटराइट मृदा, भारत में पाये जाने

भूजल की गुणवत्ता प्रभावित करने वाले प्राचलों का सांख्यकीय विधि प्रिंसीपल कम्पोनेन्ट एनालिसिस द्वारा निर्धारण
Posted on 25 Apr, 2012 09:59 AM

विगत कुछ दशकों में हुए औद्योगिक एवं अन्य विकासों का जल संसाधनों की गुणवत्ता पर विपरीत परिणाम देखा गया है। जल प्रदूषण, लवणता, यूट्रोफिकेशन आदि समस्यायें दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। इसका परिणाम न केवल सतही जल संसाधनों पर बल्कि भूजल पर भी देखा जा सकता है। इसलिए जल गुणवत्ता प्रबंधन वर्तमान जल संसाधन प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है।

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