मध्य प्रदेश

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बारिश के पानी से रिचार्ज होता कुआँ
Posted on 11 Feb, 2016 11:43 AM
चार दशक पूर्व किसान ने खुदवाया था वर्षाजल रिचार्ज कुआँ
विकास संवाद मीडिया फेलोशिप के लिये आवेदन आमंत्रित
Posted on 04 Feb, 2016 03:54 PM
फेलोशिप के दौरान पत्रकार को सम्बन्धित विषय पर 10 समाचार/आलेख प्रकाशित करवाने होंगे। इनमें नीतिगत मुद्दों पर 3 विस्तृत आलेख 1500 शब्दों में होना अनिवार्य है। फेलोशिप की समाप्ति पर 10,000 शब्दों की एक शोध रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। चयनित पत्रकारों को फेलोशिप के दौरान कुल 84000 रुपए की सम्मान निधि शोध कार्य और लेखन के लिये दी जाएगी। भोपाल (सप्रेस)। विकास संवाद की ओर से जारी विज्ञप्ति में वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीवान एवं राकेश मालवीय ने बताया है कि विकास और जनसरोकार के मुद्दों पर दी जाने वाली विकास संवाद मीडिया लेखन और शोध फेलोशिप की घोषणा कर दी गई है।

फेलोशिप के बारहवें साल में पोषण सुरक्षा पर चार फेलोशिप के साथ प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर भी एक फेलोशिप के लिये आवेदन किये जा सकते हैं। फेलोशिप के चार विषय पिछले दो साल की तरह वंचित, उपेक्षित या हाशिए पर खड़े समुदाय की पोषण सुरक्षा पर केन्द्रित होंगे।

इस साल एक और नया विषय प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर केन्द्रित होगा। फेलोशिप के लिये मुख्य धारा या स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, समाचार एजेंसी और प्रिंट माध्यम के पत्रकार 20 फरवरी 2016 तक आवेदन कर सकते हैं।
मोदी काका किसानों को बचा लो
Posted on 04 Feb, 2016 01:06 PM

उदारीकरण की राह पर चलने वाली मोदी सरकार से किसान आत्महत्या रोकने की विनती कर रहे हैं, लेक

महोबा का विजयपर्व है कजली महोत्सव
Posted on 02 Feb, 2016 01:48 PM

महोबा का कजली महोत्सव केवल एक परंपरागत धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठान ही नहीं है बल्कि इसके

पर्यावरण और जल संरक्षण को धार देता कुल्हार
Posted on 01 Feb, 2016 03:14 PM

 

भोपाल-बीना रेल लाइन पर स्थित कुल्हार गाँव में इसकी शुरुआत सन 1983 में हुई जब तत्कालीन सरपंच वीरेंद्र मोहन शर्मा ने क्रमश: 14 हेक्टेयर, 26 हेक्टेयर, 05 हेक्टेयर और 10 हेक्टेयर शासकीय भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया और भूमि, जल एवं वन प्रबन्धन की आधुनिक सोच के साथ इस जमीन का विकास किया। यह काम पढ़ने में जितना आसान प्रतीत हो रहा है हकीक़त में उतना ही मुश्किल था। दबंगों के कब्जे से अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराना, गाँव वालों के उसके सार्वजनिक उपयोग के लिये समझाना तथा उससे जुड़े लाभों को उनके समक्ष पेश करना कतई आसान नहीं था।

विदिशा जिले के गंज बासोदा तहसील में पहुँचते-पहुँचते हमें पानी के संकट का अन्दाजा होने लगा था। आम लोगों से बातचीत में पता चला कि तहसील के 90 प्रतिशत बोरवेल विफल हो चुके हैं यानी उनमें पानी नहीं रहा, वहीं जलस्तर 300 फीट से भी नीचे जा चुका है। हमारी इस यात्रा का मकसद भी पानी और पर्यावरण से जुड़ा हुआ था लेकिन कहीं सकारात्मक अर्थों में।

गंज बासोदा तहसील का कुल्हार गाँव, ग्रामीण भारत के लिये स्थायी विकास का एक अनुकरणीय मॉडल पेश करता है। एक ऐसा मॉडल जिसमें ग्राम पंचायत, गाँववासियों, किसानों, पर्यावरण और जल सब एक दूसरे पर आश्रित हैं और एक दूसरे के काम आते हैं।

कुल्हार मॉडल के निर्माण का श्रेय जाता है गाँव के पूर्व सरपंच वीरेंद्र मोहन शर्मा को।

भोपाल का बड़ा तालाब यानी अन्तरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि (वेटलैण्ड) खतरे में
Posted on 31 Jan, 2016 12:01 PM
यूँ तो झीलों की नगरी भोपाल में 18 तालाब और एक नदी है। इसीलिये इसे ‘सिटी ऑफ लेक’ कहा जाता है। अगर पूरे मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहाँ लगभग 2400 छोटे-बड़े तालाब हैं।

इनमें भोपाल का बड़ा तालाब अन्तरराष्ट्रीय वेटलैण्ड के रूप में जाना जाता है। यह तालाब जलसंग्रहण की पुरानी तकनीक का बेहतरीन नमूना है और मनुष्यों द्वारा निर्मित यह तालाब एशिया का सबसे बड़ा तालाब है। इस तालाब का कैचमेंट क्षेत्र 361 किलोमीटर और पानी से भरा क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

आज भी सारे शहर की प्यास यह तालाब बुझा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यहाँ पानी बी. कैटेगरी का है और यह पीने योग्य नहीं है। वर्तमान में इस तालाब के चारों ओर अवैध कब्ज़ा हो चुका है।
खइके पान महोबा वाला
Posted on 30 Jan, 2016 04:26 PM
पान की खेतीफोटो साभार ‘डाउन-टू-अर्थ’
स्थायी विकास के लिये वर्षाजल संरक्षण: सूखा प्रभावित बुंदेलखण्ड क्षेत्र से एक केस स्टडी
Posted on 29 Jan, 2016 09:24 AM
वर्षाजल संरक्षण (आरडब्ल्यूएच) देश में एकीकृत जल विभाजक प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) का अहम घटक है और उसे वर्षा पर निर्भर इलाकों, खासतौर पर बुंदेलखण्ड के सूखाग्रस्त इलाके में लोगों की आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अहम माना जाता है। यह पूरा क्षेत्र मध्य भारत के 70.04 लाख हेक्टेयर भूभाग में फैला हुआ है। बुंदेलखण्ड का इलाका अर्द्ध शुष्क क्षेत्र है जहाँ लाल और काली मिट्टी पाई जाती है
Rain Water Harvesting for Sustainable Development: A case Study from Drought Prone Bundelkhand Region of India
Posted on 23 Jan, 2016 10:42 AM
Rain water harvesting (RWH) is a vital component of all integrated watershed management programmes (IWMPs ) running in India and considered as a boon for livelihood and food security in rainfed areas particularly in drought prone Bundelkhand region, spread over in 7.04 m ha area of central India.
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