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मध्य प्रदेश
गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान - आवेदन पत्र आमंत्रित
Posted on 21 Feb, 2016 03:55 PMमाखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय ने पत्रकारिता के क्षेत्र में गणेश शंकर विद्यार्थी राष्ट्रीय सम्मान स्थापित किया है। यह सम्मान पत्रकारिता में प्रजातांत्रिक मूल्यों की स्थापना, सत्यान्वेषण, जनपक्षधरता, गहरे सामाजिक सरोकार, स्वातंत्र्य चेतना और अप्रतिम सृजनात्मक योगदान के लिये देय होगा। यह सम्मान किसी एक कृति के लिये न होकर पत्रकारिता के क्षेत्र में सुदीर्घ साधना एवं उपलब्धि के लिये देय होगा। सम्मान के अन्तर्गत राशि रु. 200001/- (रुपए दो लाख तक) की सम्मान राशि एवं प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाएगी।
वर्ष 2015 के लिये इस सम्मान को प्रदान करने हेतु पत्रकारिता क्षेत्र में सार्थक सरोकार और रुझान रखने वाले पत्रकारों, सम्पादकों, साहित्यकारों एवं समालोचकों तथा सम्बन्धित संस्थाओं से अनुशंसाएँ आमंत्रित की जाती हैं। कृपया अपनी अनुशंसा निम्नानुसार प्रारूप में प्रेषित करें।
नर्मदा जी के बहाने नदी-चिन्तन
Posted on 20 Feb, 2016 03:24 PMनर्मदा जयंती पर विशेष
‘‘जो आँखें भगवान को याद दिलाने वाली नदी का दर्शन नहीं कराती है, वो मोरों की पाँख में बने हुए आँखों के चिन्ह के समान निरर्थक है।’’ - श्रीमद् भागवत पुराण
औरतों ने खोदा अपने लिये कुआँ
Posted on 20 Feb, 2016 01:11 PM26 साल की फूलवती अपने हाथों के छाले दिखाते हुए कहती है कि इनक
बुन्देलखण्ड का कश्मीर है चरखारी
Posted on 14 Feb, 2016 04:12 PMपंत जी ने चरखारी को कश्मीर यूँ ही नहीं कह दिया था। राजमहल के चारों तरफ नीलकमल और पक्षियों
नर्मदा के साथ आन्तरिक यात्रा
Posted on 14 Feb, 2016 01:11 PM
एक महीने बाद फिर नर्मदा से भेंट हो गई। वैसे उससे होते ही कब अलग हैं। वह तो हमारे जीवन में समाई हुई है। बचपन से लेकर अब तक बार-बार उसके दर्शन किये हैं। अमरकंटक से लेकर गुजरात तक उसके कई घाटों पर उसके दर्शन किये हैं।
सूखा बुन्देलखण्ड
Posted on 12 Feb, 2016 04:40 PM
अवर्षा, असमय वर्षा, अल्प वर्षा इन सब में सूखा आता है। बुन्देलखण्ड में पिछले लगभग एक दशक में सबसे अच्छी वर्षा 2012 और 2013 में ही हुई। बाकी के साल अल्प वर्षा के रहे। 2013 का साल अति वर्षा का रहा, और 2012-13 मे भी आँधी-तूफान और ओला वर्षा ने फसलों का काफी नुकसान किया। यानी कह सकते हैं कि बुन्देलखण्ड में किसानी के लिये पिछला दशक ही अच्छा नहीं रहा है। 10-12 सालों से अल्प वर्षा और कभी- कभार अति वर्षा और ओला वर्षा की मार झेलते- झेलते बुन्देलखण्ड के किसान और किसानी दोनों टूट गये हैं।
बुन्देलखण्ड में किसानी सबसे बुरे दौर में है। आये दिन सूखी फसलों को देखकर सदमे से किसानों की मौत हो रही है। जालौन के सिरसाकलार थाना क्षेत्र के गाँव पिथऊपुर के किसान लालाराम ने 10 बीघा जमीन में गेहूँ की फसल लगायी थी, फसल अच्छी नहीं हुई, जिससे दुखी होकर लालाराम ने खाना-पीना छोड़ दिया और 22 अप्रैल को सदमे में उसकी मौत हो गयी।